नई दिल्ली: राज्यसभा ने मंगलवार को जल प्रदूषण से संबंधित छोटे अपराधों को जेल की सजा की श्रेणी से बाहर करने, केंद्र को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के अध्यक्षों की सेवा शर्तों को निर्धारित करने में सक्षम बनाने और औद्योगिक संयंत्रों की कुछ श्रेणियों को वैधानिक प्रतिबंधों से छूट देने का प्रावधान करने वाले जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) संशोधन विधेयक 2024 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि विकास और पर्यावरण संरक्षण एक साथ चलना चाहिए. उन्होंने कहा कि जीवन जीने में आसानी और व्यापार करने में आसानी में सामंजस्य होना चाहिए. उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों से जल प्रदूषण से संबंधित विभिन्न मुद्दों से निपटने में अधिक पारदर्शिता आएगी.
भूपेन्द्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल वाराणसी में जो नौ आग्रह किए थे उनमें से पहला आग्रह देश में जल के संरक्षण को लेकर हर नागरिक के जागरुक होने का था.
उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल के दौरान देश में 75 अमृत सरोवर तैयार किए गए. जल संरक्षण को सरकार की प्रतिबद्धता बताते हुए यादव ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत पानी के समुचित उपयोग के वास्ते कई अभियान चलाए गए. भूमिगत जल के लिए अटल भूजल योजना चलाई गई जिसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह सभी कार्य देश में जल के संरक्षण के लिए किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ‘नमामि गंगा' परियोजना के तहत प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उल्लेखनीय कार्य हुआ है और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने समय समय पर दिशानिर्देश भी दिए हैं.
भूपेन्द्र यादव ने संशोधनों से प्रदूषण के खिलाफ संकल्प कमजोर होने की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि पुराने कानून में सामान्य नियमों के उल्लंघन पर सजा का प्रावधान था और कुछ उल्लंघन अनजाने में हो जाते थे. उन्होंने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए नए विधेयक में कैद की जगह जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में आपराधिक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाने और यह सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है कि नागरिक, व्यवसाय और कंपनियां मामूली, तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूक के लिए कारावास की सजा के डर के बिना काम करें. विधेयक में फैसला करने वाली इकाई का और उसके फैसले से संतुष्ट न होने की स्थिति में अपीलीय अथॉरिटी के रूप में एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित अधिकरण में याचिका दी जा सकती है.
भूपेन्द्र यादव ने कहा कि राज्यों में अलग अलग कानून होने की वजह से, उद्योगों द्वारा मांगी गई मंजूरी में विलंब होने की स्थिति में दिशानिर्देश देने की भी व्यवस्था नए कानून में होगी ताकि उद्योगों का विकास बाधित न होने पाए. उन्होंने कहा कि राज्यों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति में पारदर्शिता होनी चाहिए.
भूपेन्द्र यादव ने कहा कि विधेयक में उद्योगपतियों के लिए सजा के बजाय जुर्माने का प्रावधान किया गया है और जुर्माने की यह राशि पर्यावरण संरक्षण कोष में डाली जाएगी तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए खर्च की जाएगी. उन्होंने कहा ‘‘ जुर्माने के तहत मिलने वाली राशि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत पर्यावरण संरक्षण निधि में रखी जाएगी जिसका 75 फीसदी हिस्सा राज्यों को दिया जाएगा. इसका उपयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाएगा. इसके लिए समुचित नियम बनाए जाएंगे.''
भूपेन्द्र यादव ने कहा कि पेरिस समझौते में भारत ने 2023 के लिए नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया था उसे वह 2021 में ही, नौ साल पहले हासिल कर चुका है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं