केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में बदलाव कर सकती है. माना जा रहा है कि अगले हफ्ते सरकार इसे सदन पटल पर रख सकती है, लेकिन उससे पहले ही वक्फ बोर्ड की शक्तियां कम करने के लेकर विरोध जताया जाना शुरू हो गया है. इन्हीं खबरों के बीच तमिलनाडु का एक गांव भी चर्चा में है, जिसमें किसी इमारत या घर पर नहीं, पूरे गांव पर ही 2022 में वक्फ बोर्ड ने दावा ठोक दिया. वक्फ ने अपने दावे में कहा कि ये पूरी जमीन ही उनकी है. ये सुनते ही गांव में जितने भी लोग रहते हैं, वो भौंचक्के रह गए थे. सरकार जब वक्फ बोर्ड अधिनियम में बदलाव करेगी तो इस गांव का जिक्र भी हो सकता है. यकीनन जिस जगह आप सालों से रह रहे हों और अचानक कोई आकर कहे कि ये जमीन आपकी नहीं तो बेशक किसी के भी होश फाख्ता हो जाएंगे. तब दावा किया गया कि तिरुचेंथुरई एक हिंदू बहुल इलाका है और यहां पर एक 1500 साल पुराना मंदिर भी मौजूद है. ऐसे में यहां की जमीन पर भला वक्फ बोर्ड का कब्जा कैसे हो सकता है?
मंदिर और पूरे गांव पर वक्फ के दावा करने की कहानी
तमिलनाडु के तिरुचेंथुरई के स्थानीय लोग तब हैरान रह गए, जब उन्हें पता चला कि उनके पूरे गांव को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दिया गया है. तिरुचेंथुरई, तिरुचिरापल्ली जिले में कावेरी नदी के तट पर बसा एक खूबसूरत गांव है. इसी गांव में एक 1,500 साल पुराना सुंदरेश्वर मंदिर भी है. इस गांव की जमीन वक्फ बोर्ड की, इस बारे में तब मालूम हुआ जब एक स्थानीय शख्स ने अपनी कृषि भूमि बेचने की कोशिश की.
राजगोपाल नामक व्यक्ति को स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि उसकी 1.2 एकड़ की संपत्ति तमिलनाडु वक्फ बोर्ड की है और इसलिए इसे बेचने के लिए उसे बोर्ड से एनओसी लेना जरूरी है. बस ये सुनते ही जमीन के मालिक के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई. हैरानी की बात तो ये है कि इस क्षेत्र में मुसलमानों के रहने के बारे में कोई सबूत नहीं था. इस क्षेत्र में मुसलमानों के पास संपत्ति होने की भी कोई जानकारी नहीं थी. एक अधिकारी ने कहा कि तिरुचेंदुरई गांव की सभी ज़मीनें वक्फ बोर्ड की हैं, और इसे बेचने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को चेन्नई में बोर्ड से एनओसी लेनी होगी.
गांव में मुस्लिमों के पास कोई प्रोपर्टी नहीं
उस मंदिर की दीवारों पर स्पष्ट लिखा हुआ है कि कई एकड़ की जमीन मंदिर की है.अब क्योंकि मंदिर 1500 साल पुराना है, ऐसे में गांववालों का दावा भी काफी मजबूत दिखा. लेकिन वक्फ बोर्ड ने कैसे ये दावा किया, इसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चल सका. मामले के तूल पकड़ने पर गांव के लोगों ने जिला प्रशासन से इस बारे में बात की है. प्रशासन की तरफ से भी यही कहा गया कि इस इलाके को लेकर ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है जिससे कहा जा सके कि यहां पर मुस्लिमों के पास कोई प्रॉपर्टी है. ऐसे में ये मामला और पेचीदा हो गया.
वक़्फ़ बोर्ड क्या होता है?
वक़्फ़ का मतलब होता है ‘अल्लाह के नाम'. यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है, लेकिन मुस्लिम समाज से उनका ताल्लुक हैं, वो वक़्फ की जमीनें होती हैं. जिसमें मस्ज़िद, मदरसे, क़ब्रिस्तान, ईदगाह, मज़ार और नुमाइश की जगहें प्रमुख तौर पर शामिल हैं, लेकिन एक वक्त के बाद ऐसा देखा गया कि ऐसी ज़मीनों को ग़लत तरीक़े से इस्तेमाल किया जा रहा है और यहां तक की इन्हें बेचा जा रहा है. ऐसे में वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की ज़मीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था. वक्फ की ज़मीनों के बेजा इस्तेमाल को रोकने और ज़मीनों को ग़ैर क़ानूनी तरीक़ों से बेचने से बचाने के लिए वक्फ बोर्ड बनाया गया था. रेलवे और सेना के बाद वक्फ वोर्ड के पास सबसे ज्यादा संपत्ति है.
अचानक क्यों चर्चा में आया वक्फ बोर्ड
केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर अंकुश लगाने की तैयारी कर ली है. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार अगले हफ्ते वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन से जुड़ा एक बिल संसद में पेश कर सकती है. इसके तहत वक्फ बोर्ड अधिनियम में 40 से अधिक संशोधनों किए जा सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि अगले सप्ताह ये बिल संसद में लाया जा सकता है. संशोधनों के अनुसार अब वक्फ बोर्ड जिस भी संपत्ति पर दावा करेगा उसका सत्यापन करना अनिवार्य होगा. इसी तरह वक्फ की विवादित संपत्तियों का भी सत्यापन ज़रूरी हो जाएगा.
नए अधिनियम में क्या-क्या होंगे बदलाव?
- इस विधेयक में वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधन प्रस्तावित किए जाने की संभावना है. सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी.
- इस विधेयक में अधिनियम की कुछ धाराओं को निरस्त करने का भी प्रस्ताव है. साथ ही मसौदा कानून द्वारा प्रस्तावित प्रमुख संशोधनों में वक्फ बोर्डों का पुनर्गठन, बोर्डों की संरचना में बदलाव और बोर्ड द्वारा वक्फ की संपत्ति घोषित करने से पहले भूमि का सत्यापन सुनिश्चित करना भी शामिल है.
- इस विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन करने का प्रस्ताव है, ताकि केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की संरचना में बदलाव किया जा सके, और महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया जा सके.
- इस विधेयक में राज्य वक्फ बोर्डों द्वारा दावा की गई विवादित भूमि का नए सिरे से सत्यापन करने का भी प्रस्ताव है. वर्तमान में, देश भर में अट्ठाईस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 वक्फ बोर्ड हैं.
क्यों पड़ी वक्फ के कानून में बदलाव की जरूरत
सूत्रों ने बताया कि इस तरह के कानून की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि मुस्लिम बुद्धिजीवियों, महिलाओं और शिया तथा बोहरा जैसे विभिन्न संप्रदायों के कई लोग मौजूदा कानून में काफी वक्त से बदलाव की मांग कर रहे थे. उन्होंने इस बात पर खासा जोर दिया कि संशोधन लाने की तैयारी 2024 के लोकसभा चुनावों से काफी पहले ही शुरू हो गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि ओमान, सऊदी अरब और अन्य इस्लामी देशों के कानूनों के प्रारंभिक अवलोकन से पता चलता है कि इनमें से किसी भी देश ने किसी एक इकाई को इतने व्यापक अधिकार नहीं दिए हैं.
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