प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
3600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी चॉपर घोटाले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को गिरफ्तार किया गया है. भारतीय इतिहास में संभवतया यह ऐसा पहला मामला है कि जब किसी पूर्व चीफ को घोटाले के मामले में पकड़ा गया है. इससे पहले भी कई बार कुछ चर्चित घोटालों ने देश का ध्यान खींचा. ऐसे ही कुछ बड़े मामलों पर एक नजर :
टाट्रा टक घोटाला (2012)
तत्काल आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह ने आरोप लगाया कि टाट्रा ट्रक की डील के सिलसिले में उनको 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. इन ट्रकों की क्वालिटी को लेकर भी तब सवाल उठे थे.
ऑपरेशन वेस्ट एंड (1999)
ऑनलाइन न्यूज पोर्टल तहलका ने ऑपरेशन वेस्ट एंड कोडनेम से एक स्टिंग किया था. उसमें तहलका के दो पत्रकारों ने स्टिंग के जरिये रक्षा सौदों में सैन्य अधिकारियों और नेताओं के रिश्वत लेने के मामले का पर्दाफाश किया था.
ताबूत घोटाला (1999)
कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों के लिए ताबूत खरीदे गए थे. इस मामले में भी घोटाला उजागर होने पर सीबीआई ने एक अमेरिकी कांट्रैक्टर और कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया था.
बराक मिसाइल सौदा
भारत ने इजरायल से बराक मिसाइलों को खरीदने की योजना बनाई. लेकिन उस वक्त के वैज्ञानिक सलाहकार एपीजे अब्दुल कलाम ने इस डील का विरोध किया. लेकिन 1150 करोड़ रुपये में भारत ने सात बराक मिसाइलों को खरीदा. सीबीआई ने 2006 में इस मामले में एक एफआईआर दर्ज की. सीबीआई ने सवाल उठाया कि जब डीआरडीओ ने सवाल उठाए थे तब भी इन्हें क्यों खरीदा गया.
बोफोर्स घोटाला (1987)
स्वीडिश फर्म बोफोर्स से 155एमएम होवित्जर तोपें खरीदने के मामले में 64 करोड़ की दलाली का मामला सामने आया था. इस विवाद में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भी नाम आया.
जीप घोटाला (1948)
आजादी के बाद का पहला रक्षा घोटाला माना जाता है. दरअसल भारत ने ब्रिटेन की एक कंपनी से 200 जीप खरीदने का सौदा किया था. 80 लाख रुपये का यह सौदा था लेकिन केवल 155 जीपें ही आईं. ब्रिटेन में भारत के हाई कमिश्नर वीके कृष्णा मेनन का नाम भी इस विवाद में आया. लेकिन 1955 में केस बंद कर दिया गया.
टाट्रा टक घोटाला (2012)
तत्काल आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह ने आरोप लगाया कि टाट्रा ट्रक की डील के सिलसिले में उनको 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. इन ट्रकों की क्वालिटी को लेकर भी तब सवाल उठे थे.
ऑपरेशन वेस्ट एंड (1999)
ऑनलाइन न्यूज पोर्टल तहलका ने ऑपरेशन वेस्ट एंड कोडनेम से एक स्टिंग किया था. उसमें तहलका के दो पत्रकारों ने स्टिंग के जरिये रक्षा सौदों में सैन्य अधिकारियों और नेताओं के रिश्वत लेने के मामले का पर्दाफाश किया था.
ताबूत घोटाला (1999)
कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों के लिए ताबूत खरीदे गए थे. इस मामले में भी घोटाला उजागर होने पर सीबीआई ने एक अमेरिकी कांट्रैक्टर और कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया था.
बराक मिसाइल सौदा
भारत ने इजरायल से बराक मिसाइलों को खरीदने की योजना बनाई. लेकिन उस वक्त के वैज्ञानिक सलाहकार एपीजे अब्दुल कलाम ने इस डील का विरोध किया. लेकिन 1150 करोड़ रुपये में भारत ने सात बराक मिसाइलों को खरीदा. सीबीआई ने 2006 में इस मामले में एक एफआईआर दर्ज की. सीबीआई ने सवाल उठाया कि जब डीआरडीओ ने सवाल उठाए थे तब भी इन्हें क्यों खरीदा गया.
बोफोर्स घोटाला (1987)
स्वीडिश फर्म बोफोर्स से 155एमएम होवित्जर तोपें खरीदने के मामले में 64 करोड़ की दलाली का मामला सामने आया था. इस विवाद में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भी नाम आया.
जीप घोटाला (1948)
आजादी के बाद का पहला रक्षा घोटाला माना जाता है. दरअसल भारत ने ब्रिटेन की एक कंपनी से 200 जीप खरीदने का सौदा किया था. 80 लाख रुपये का यह सौदा था लेकिन केवल 155 जीपें ही आईं. ब्रिटेन में भारत के हाई कमिश्नर वीके कृष्णा मेनन का नाम भी इस विवाद में आया. लेकिन 1955 में केस बंद कर दिया गया.
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