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This Article is From Jul 15, 2016

वीके सिंह ने ट्वीट किया 'ऑपरेशन संकट मोचन' का जोश से भरा वीडियो

वीके सिंह ने ट्वीट किया 'ऑपरेशन संकट मोचन' का जोश से भरा वीडियो
तिरुवनंतपुरम: विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने युद्ध प्रभावित दक्षिण सुडान से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बचाकर लाने के लिए चलाए गए 'ऑपरेशन संकट मोचन' का वीडियो ट्वीट किया है। वीडियो में लोग भारतीय वायु सेना के विमान के अंदर तालियां बजाते हुए, खुशी मनाते हुए और भारत माता की जय के नारे लगाते हुए देखे जा सकते हैं।

करीब 30 घंटे के इस ऑपरेशन में 156 भारतीयों को बचाकर लाया गया। इन सभी को भारतीय वायु सेना के कार्गो विमान सी-17 से स्वदेश लाया गया। विमान में खास तौर पर सीटें लगाई गई थीं। जबकि 300 से ज्यादा लोगों ने दक्षिण सुडान की राजधानी जुबा में जारी गोलाबारी के बावजूद वहां से वापस वतन लौटने से इनकार कर दिया है।
विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने पब्लिक एड्रेस सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए बचाए गए परिवारों से कहा, 'भारतीय वायु सेना की सराहना करें।' उन्होंने मुस्कुराते हुए, उत्साहवर्धक तरीके से कहा, 'हमारा मुख्य उद्देश्य आपकी सुरक्षा है। यह वायुसेना का विमान है। इसमें आपके लिए खासतौर पर सीटें लगाई गई हैं, लेकिन यह उतनी आरामदायक नहीं हैं।' एक अन्य वीडियो में वीके सिंह विमान के अंदर घूम-घूमकर यात्रियों से बात कर रहे हैं।

जिन लोगों ने स्वदेश लौटने से इनकार कर दिया है, वे दक्षिण सुडान में हालात सुधरने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। उन्हें हाल ही में दक्षिण सुडान की सरकार और विद्रोहियों के बीच हुए युद्धविराम से काफी उम्मीदें हैं और वे वहां अपना बिजनेस नहीं छोड़ना चाहते थे।
वीके सिंह ने कहा, 'हमारा लक्ष्य जुबा और आसपास के इलाकों में फंसे उन लोगों को सुरक्षित निकालना था, जिन्होंने कहा था कि वे मुसीबत में हैं। करीब 300 लोगों ने आने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे अपना व्यापार नहीं छोड़ सकते थे।

अंजलि उनके बिजनेसमैन पति और तीन साल की बेटी ने शुक्रवार सुबह तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर उतरकर चैन की सांस ली। उनके लिए पिछले कुछ दिनों से गोलियों की आवाज पर छिपने का सिलसिला जारी था। अंजलि अरुण कहती हैं, 'वहां बहुत ज्यादा फायरिंग हो रही थी। हमें लगातार गोलियों की आवाजें सुनाई दे रही थीं, लेकिन हम सुरक्षित थे।'

जय कृष्णन ने कहा, 'हालात बहुत बुरे हैं। फायरिंग के कारण हम लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। हमारे पास खाना भी नहीं था। स्वदेश लौटे कुछ लोग जितनी जल्दी हो सके जुबा लौटना चाहते हैं।

अरुण कहते हैं, 'मेरा वहां पिछले 12 सालों के बिजनेस है और मैं वहां सबकुछ यूं ही नहीं छोड़ सकता। यहां तक कि इस समय भी वहां 10 लोग हैं जो बिजनेस की देखभाल कर रहे हैं। आखिरकार हम सबकुछ तो यहां नहीं ला सकते। पूरे स्टाफ को पैसा कौन देगा?'

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