पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को कहा कि विश्वभारती को निरंकुश तरीके से नहीं चलाया जाना चाहिए. बनर्जी ने कोलकाता से बीरभूम जिले में स्थित शांतिनिकेतन में पौष मेले का ऑनलाइन माध्यम से उद्घाटन किया.
यह विरासत मेला तीन साल के अंतराल के बाद आयोजित किया जा रहा है. पहले दो साल मेला कोविड-19 महामारी के कारण आयोजित नहीं किया गया था जबकि तीसरे साल केंद्रीय विश्वविद्यालय ने बुनियादी ढांचागत समस्याओं के कारण इसका आयोजन नहीं किया.
ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘हम किसी को भी रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़े इस स्थान को दूषित करने की इजाजत नहीं देंगे. विश्वभारती को निरंकुश तरीके से नहीं चलाया जाना चाहिए. प्रत्येक विद्यार्थी और आश्रमवासी को समान सम्मान दिया जाना चाहिए.''
बनर्जी की टिप्पणियां पूर्व कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती के विवादों से भरे कार्यकाल की ओर संकेत करती प्रतीत हुई. चक्रवर्ती का छात्र नेताओं और संकाय के वरिष्ठ सदस्यों के निलंबन सहित कुछ शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्रवाइयों को लेकर छात्रों और संकाय के एक वर्ग के साथ अक्सर टकराव हुआ था.
उनके कार्यकाल में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और विश्वविद्यालय से जुड़ा भूमि विवाद भी सामने आया. उनके कार्यकाल में शांतिनिकेतन को यूनेस्को सम्मान के बाद संस्थान द्वारा स्थापित स्मारक पट्टिका से टैगोर का नाम हटा दिया गया था.
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