प्रांजल पाटिल
मुंबई:
मुंबई से सटे उल्लाहसनगर में रहने वाली 26 साल की प्रांजल पाटिल ने यूपीएससी की परीक्षा में 773 वां रैंक हासिल किया है। शायद आपको यह बड़ी उपलब्धि न लगे, जब तक आप यह नहीं जानते कि प्रांजल देख नहीं सकतीं। अपनी पहली कोशिश में ही प्रांजल सफल रही हैं।
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बोलीं- जो सपने देखने को तैयार हैं, मैं उनका समर्थन करुंगी
अपनी कामयाबी के बाद मुंबई लौटी प्रांजल ने कहा- जो जो कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हैं, सपने देखने के लिए तैयार हैं, मैं उन सबका समर्थन करुंगी। मैं सबको सपने देखने के लिए प्रोत्साहित करुंगी। प्रांजल जब 6 साल की थीं, तभी उनकी एक आंख में पेंसिल से चोट लग गई, धीरे-धीरे उनके दोनों आंखों की रोशनी जाती रही, लेकिन पढ़ने आगे बढ़ने की ललक और बढ़ती गई।
12वीं में 85 फीसदी अंक लाने के बाद उन्होंने मुंबई से सेंट जेवियर्स कॉलेज में प्रवेश लिया। रोज़ उल्लाहसनगर से कॉलेज तक की लगभग 60 किलोमीटर की दूरी लेकिन यहीं से यूपीएससी में बैठने के उनके सपने पलने शुरू हुए। एम, एमफिल और फिलहाल जेएनयू से पीएचडी करते हुए प्रांजल ने यूपीएससी की तैयारी जारी रखी और पहली कोशिश में ही 773 रैंक हासिल किया।
पति का खास योगदान है कामयाबी के पीछे...
उनकी उपलब्धि से मां खुश हैं, संयत हैं लेकिन बाबा की आंखें छलक आती हैं। उनके पिता एलबी पाटिल ने कहा उसका फोन आया तो उसने पूछा बाबा आपको लगा था कि मैं पास हो जाऊंगी, मैंने कहा हां मुझे पूरा भरोसा था। वहीं मां ज्योति पाटिल का कहना था- वह हमेशा कामयाब रही है, कभी असफल नहीं हुई। हम सबको उस पर पूरा भरोसा था।
कुछ सालों पहले प्रांजल की शादी हुई थी, तब उन्होंने शर्त रखी थी कि वह पढ़ाई नहीं छोड़ेंगी। प्रांजल का कहना है कि उनकी कामयाबी के पीछे उनके पति का बड़ा योगदान है, जिन्होंने हर कदम पर उनका सहयोग दिया।
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बोलीं- जो सपने देखने को तैयार हैं, मैं उनका समर्थन करुंगी
अपनी कामयाबी के बाद मुंबई लौटी प्रांजल ने कहा- जो जो कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हैं, सपने देखने के लिए तैयार हैं, मैं उन सबका समर्थन करुंगी। मैं सबको सपने देखने के लिए प्रोत्साहित करुंगी। प्रांजल जब 6 साल की थीं, तभी उनकी एक आंख में पेंसिल से चोट लग गई, धीरे-धीरे उनके दोनों आंखों की रोशनी जाती रही, लेकिन पढ़ने आगे बढ़ने की ललक और बढ़ती गई।
12वीं में 85 फीसदी अंक लाने के बाद उन्होंने मुंबई से सेंट जेवियर्स कॉलेज में प्रवेश लिया। रोज़ उल्लाहसनगर से कॉलेज तक की लगभग 60 किलोमीटर की दूरी लेकिन यहीं से यूपीएससी में बैठने के उनके सपने पलने शुरू हुए। एम, एमफिल और फिलहाल जेएनयू से पीएचडी करते हुए प्रांजल ने यूपीएससी की तैयारी जारी रखी और पहली कोशिश में ही 773 रैंक हासिल किया।
पति का खास योगदान है कामयाबी के पीछे...
उनकी उपलब्धि से मां खुश हैं, संयत हैं लेकिन बाबा की आंखें छलक आती हैं। उनके पिता एलबी पाटिल ने कहा उसका फोन आया तो उसने पूछा बाबा आपको लगा था कि मैं पास हो जाऊंगी, मैंने कहा हां मुझे पूरा भरोसा था। वहीं मां ज्योति पाटिल का कहना था- वह हमेशा कामयाब रही है, कभी असफल नहीं हुई। हम सबको उस पर पूरा भरोसा था।
कुछ सालों पहले प्रांजल की शादी हुई थी, तब उन्होंने शर्त रखी थी कि वह पढ़ाई नहीं छोड़ेंगी। प्रांजल का कहना है कि उनकी कामयाबी के पीछे उनके पति का बड़ा योगदान है, जिन्होंने हर कदम पर उनका सहयोग दिया।
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