कोरोना वायरस की महामारी के बीच संसद का मॉनसून सत्र कराने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैय्या नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मसले पर बैठक की है. कोरोना के प्रकोप के कारण सोशल डिस्टेसिंग की गाइडलाइंस के साथ राज्यसभा कक्ष में 245 के स्थान पर केवल 60 सांसद ही बैठ सकते हैं. लोकसभा और सेंट्रल हॉल में भी सभी सांसदों का बैठ पाना संभव नहीं है. इन दोनों स्थानों पर भी 100 सांसद ही बैठ सकेंगे विकल्प के तौर पर विज्ञान भवन पर भी विचार किया गया लेकिन वहां भी सभी सांसदों को बैठा पाना संभव नहीं है. अगर दर्शक दीर्घा में भी कुछ सांसदों को बैठाया जाए तब भी सभी सांसद नहीं बैठ सकेंगे.
Covid19 के कारण उत्पन्न स्थिति के कारण संसद के नियमित सत्र के आयोजन पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग मानकों को पालन करते हुए सभी सांसदों को समाहित करने के लिये किसी भी सरकारी इमारत की क्षमता को पर्याप्त नहीं पाया जा रहा है. समझा जाता है कि ऐसी स्थिति में दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी संसद के आभासी सत्र या हाइब्रिड सत्र आयोजित करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं. हाइब्रिड सत्र के तहत कुछ सांसद तो संसद में स्वयं उपस्थित रहते हैं जबकि शेष सांसद आभासी माध्यम से हिस्सा लेते हैं. सूत्रों ने बताया कि एक ऐसे भी विकल्प पर विचार किया जा रहा है कि सामाजिक दूरी के मानकों का पालन करते हुए ऐसे सदस्यों की सूची तैयार की जाए जिनकी सदन के कामकाज के विभिन्न विषयों में दैनिक आधार पर जरूरत है. संसद का मॉनसून सत्र आमतौर पर जुलाई महीने में आयोजित किया जाता है.
विज्ञान भवन और सेंट्रल हॉल के विकल्प को आजमाने की स्थिति में दूसरी भी समस्या है. इन दोनों स्थानों पर पूरे दिन में एसी चलाने और साथ-साथ अनुवाद करने की सुविधा भी नहीं है. दूसरा विकल्प जिस पर विचार किया गया, वह यह कि दोनों सदनों के उन सांसदों का मौजूदगी दर्ज करना जिनकी उस दिन की कार्यवाही के लिए उपस्थिति जरूरी है. दोनों पीठासीन अधिकारियों ने महासचिवों को निर्देश दिया कि वर्चुअल पार्लियामेंट के विभिन्न विकल्पों की तलाश करें. हालांकि संसदीय समितियों की वर्चुअल बैठक तब तक संभव नहीं जब तक कि संसद के दोनों सदनों में इस बारे में प्रस्ताव पारित नहीं किया जाता.
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