
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
हिंसा प्रभावित जिलों के लिए शरणार्थी कैंप खोले गए हैं, लेकिन वहां बंदोबस्त के नाम पर कुछ नहीं है। लोग बेहद खौफ में हैं, लेकिन सरकार दावा कर रही है कि हालात सुधर रहे हैं।
उधर, कोकराझार में भी हालात बदतर हैं और वहां से भी ज्यादातर लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर भाग गए हैं। हिंसा प्रभावित जिलों के लिए शरणार्थी कैंप खोले गए हैं, लेकिन यहां बंदोबस्त के नाम पर कुछ नहीं है। लोगों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकार दावा कर रही है कि हालात सुधर रहे हैं और जल्द ही सबकुछ ठीक हो जाएगा।
हालांकि हिंसा के चलते रद्द की गईं ट्रेनें अब चलनी शुरू हो गई हैं। नॉर्थ-फ्रंटियर रेलवे की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि अलीपुर द्वार और कोकराझार के बीच बुधवार दोपहर से ट्रेनें चलनी शुरू हो गई हैं। इसके अलावा प्रभावित इलाकों में कुछ स्पेशल ट्रेन भी चलाई जाएंगी। ये स्पेशल ट्रेन दिल्ली, बेंगलुरु और कोलकाता से चलेंगी।
क्यों भड़की हिंसा
दरअसल इस पूरे टकराव की असली वजह बोडो और गैर-बोडो समुदायों के बीच का तनाव बताया जा रहा है, जो कई महीनों से जारी है। एक तरफ जहां बोडो समुदाय अलग राज्य की मांग करता रहा है, वही गैर-बोडो समुदाय इसके विरोध में खड़ा है।
बोडो समुदाय का गुस्सा इस वजह से भी ज्यादा भड़का है कि गैर-बोडो उन गांवों को बोडो क्षेत्रीय परिषद के दायरे से बाहर करने की मांग कर रहे हैं, जिनमें बोडो आबादी आधी से कम है। असम में जातीय हिंसा भड़कने से बनी परिस्थिति को खतरे की घंटी बताते हुए बीजेपी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधा और उन पर हालात को लेकर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया है।
बीजेपी महासचिव अनंत कुमार ने कहा, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संसद में असम का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह असम में बढ़ती हिंसा पर और वहां बाढ़ के हालात पर मूकदर्शक बने हुए हैं। बीजेपी कोर समूह की बुधवार शाम पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के आवास पर हुई बैठक में भी असम के हालात पर गंभीर चिंता जताई गई।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं