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This Article is From Jul 25, 2016

विजय दिवस पर खास : एम्स के डाक्टरों की टीम ने जीत लिया कारगिल का दिल

विजय दिवस पर खास : एम्स के डाक्टरों की टीम ने जीत लिया कारगिल का दिल
कारगिल में चिकित्सकों का दल।
नई दिल्ली: कारगिल का जिक्र आते ही हमारे जेहन में भारत-पाकिस्तान के युद्ध की याद ताजा हो जाती है। भारत-पाकिस्तान के बीच 30 दिन चले कारगिल युद्ध के बाद ही 26 जुलाई 1999 को भारत को जीत मिली थी। यह दिन विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

इस विजय से लेकर आज तक कारगिल से जुड़ी हर बात को महज लड़ाई से जोड़ा जाता है। जम्मू-कश्मीर राज्य के कारगिल शहर में 90 फीसदी से ज्यादा मुसलमान रहते हैं लेकिन इन इलाकों से न तो कभी सीमापार से घुसपैठ की खबर आई और न ही आतंकवादी घटनाएं हुईं। यहां के लोगों की परेशानी का सबसे बड़ा कारण चिकित्सा सुविधाओं की कमी है। श्रीनगर से करीब सवा दो सौ किमी और दिल्ली से करीब एक हजार किमी दूर पहाड़ी इलाके में बसे इस शहर से मरीज को श्रीनगर या दिल्ली पहुंचाना बड़ा मुश्किल होता है। जो दिल्ली पहुंचते भी हैं तो आने-जाने और रुकने में उनके लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं। इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए विजय दिवस के मौके पर एम्स के कुछ उत्साही डाक्टरों ने कारगिल जाने का मन बनाया।
 

मुश्किल था कारगिल जाना
दस जुलाई को डाक्टरों की एक टीम को हवाई यात्रा से श्रीनगर फिर सड़क के रास्ते कारगिल पहुंचना था। इस बीच श्रीनगर में हालात बिगड़ने के चलते अंतिम समय में दिल्ली से सीधे लेह जाना पड़ा। एम्स के डाक्टरों की टीम में जाने माने घुटना प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डा चंद्रशेखर यादव, नेत्र सर्जन डा टिटयाल, डा अतुल शर्मा, अमलेश सेठ, डा अचल श्रीवास्तव और डा अनुराग श्रीवास्तव शामिल थे। इन डाक्टरों के साथ 500 किलो से ज्यादा वजनी आपरेशन करने का साजो सामान था। कारगिल के जिला अस्पताल में यह पहला मौका था जब इतने बड़े डाक्टरों की टीम वहां पहुंच रही थी। हफ्ते भर में दर्जनों आपरेशन और हजारों रोगियों की भीड़ लगने वाली थी। डा चंद्रशेखर यादव बताते हैं कि श्रीनगर के हालात खराब होने के कारण पहले लगा कि यह प्रोग्राम कैंसिल करना पड़ेगा, लेकिन कारगिल अस्पताल में काम करने वाले डाक्टरों ने बताया कि द्रास, जास्कर, कारगिल जैसे दूरदराज के इलाकों के हजारों लोग पहुंच गए हैं। अब अगर प्रोग्राम कैंसिल हुआ तो उन्हें बड़ी निराशा होगी।
 

हजारों लोगों का इलाज और आपरेशन
तमाम मुश्किलों के बावजूद डाक्टरों की इस टीम ने छह दिन में 13 लोगों के घुटनों का प्रत्यारोपण और 50 से ज्यादा लोगों की आंखों की सर्जरी की। यही नहीं इस दौरान करीब तीन हजार से ज्यादा लोगों को डाक्टरों की इस टीम ने मेडीकल सहायता की। लेह-लद्दाख में काम करने वाले अशोका मिशन के प्रमुख लामा लोबजॉग ने बताया कि इन इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोगों को हड्डी संबंधी, पेट और सीने से संबंधित रोग होते हैं। लेकिन गरीब मरीजों के लिए अच्छे सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल तक पहुंचना ही मुश्किल है। लेह से दिल्ली साल के ज्यादातर समय में आप केवल हवाई यात्रा करके ही पहुंच सकते हैं। इसी के चलते एम्स के डाक्टरों के इस कैंप ने लोगों को खासी सहूलियत दी है।

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