VIDEO: हिमाचल प्रदेश में रैलियों में क्यों रो रहे बीजेपी नेता? बागी बनाम पीएम मोदी का चेहरा

हिमाचल प्रदेश चुनाव : राज्य में बीजेपी के बागियों की संख्या 30 तक पहुंच गई, इनमें टिकट से वंचित विधायक और वर्षों से कतार में लगे रहने के बाद टिकट न मिलने से नाराज नेता शामिल

शिमला:

Himachal Pradesh Assembly election: एक केंद्रीय मंत्री और एक पूर्व राजा के आंसू हिमाचल प्रदेश में सत्ता बनाए रखने के लिए बीजेपी (BJP) की लड़ाई अधिक कठिन होने का संकेत देने वाले हैं. प्रदेश में 12 नवंबर को होने वाले चुनाव से पहले 68 में से कम से कम 19 सीटों पर बीजेपी को बागी उम्मीदवारों का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस अपनी पार्टी के बागियों को शांत करने में कामयाब रही है और वह सत्ताधारी दल की सीटों पर सेंध लगा सकती है. उसे विश्वास है कि पहाड़ी राज्य का हर चुनाव में सरकार बदलने जो "रिवाज" है, वह उसके लिए मददगार हो सकता है.

बीजेपी के रोने वाले दो नेता पार्टी के साथ हैं, लेकिन उनका वायरल वीडियो संदेश दूर-दूर तक फैल रहा है. 

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पिछले चुनाव में पार्टी का चेहरा होने के बावजूद हार गए थे. अनुराग ठाकुर उनके बाहर बैठे होने से नाराज हैं. हालांकि 78 वर्षीय धूमल ने घोषणा की कि वे वैसे भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

क्या 2017 के बाद से धूमल जी अपने घर बैठे थे? हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर समर्थकों को शांत करने की कोशिश करते हुए एक वीडियो में कहते हैं, “पूरे राज्य में सिर्फ एक नेता था जो हर मतदान केंद्र पर गया था, अपने स्वास्थ्य की भी परवाह नहीं की. क्या वह उस संगठन को कमजोर कर देंगे जिसके लिए उन्होंने खुद को समर्पित किया है?”

कुल्लू में पूर्व शाही परिवार के सदस्य "राजा" महेश्वर सिंह कई बार विधायक रह चुके हैं. उनको इस बार टिकट नहीं मिला. वे एक रैली में अपने आंसू नहीं रोक सके. इस रैली में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रमुख जेपी नड्डा, जो कभी हिमाचल की धूमल सरकार में मंत्री थे, भी मंचासीन थे.

महेश्वर सिंह ने अपने भाषण में कहा, "मैंने एक सुंदर राजनीतिक यात्रा की है. उन्होंने जेपी नड्डा से अपने अधूरे काम को पूरा करने का अनुरोध किया. फिर आखिरकार उनका गला रुंध गया और वे अपनी कुर्सी पर लौट आए.

महेश्वर सिंह उन 11 मौजूदा बीजेपी विधायकों में से एक हैं जिन्हें इस बार टिकट नहीं मिला है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पार्टी ने अपने आंतरिक सर्वेक्षण पर भरोसा किया है. इनमें से दो अब बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जबकि पांच पूर्व विधायकों ने भी पर्चा दाखिल किया है.

बागियों में से एक किशोरी लाल हैं, जो लगातार दो बार कुल्लू के आनी से विधायक थे. पहाड़ी गीत पर नाचते हुए अपने समर्थकों के कंधों पर बैठकर प्रचार करते हुए उन्होंने एनडीटीवी से कहा कि कोई भी उन्हें चुनाव लड़ने के लिए मना नहीं सकता. उन्होंने कहा कि, "मैं घर पर बैठा था लेकिन मेरे समर्थक रोने लगे. उनकी भावना थी कि मुझे चुनाव लड़ना चाहिए." उन्होंने कहा, "मेरे पास नड्डा जी और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के भी फोन आए, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फोन करते तब भी मैं नहीं मानता."

ऐसे ही अन्य बड़े नामों में देहरा से विधायक होशियार सिंह, किन्नौर से पूर्व विधायक तेजवंत नेगी और नालागढ़ से केएल ठाकुर चुनाव में बागी प्रत्याशी हैं. बीजेपी के बागियों की संख्या 30 को छू रही है. इनमें से कुछ पार्टी के फिर से भरोसा न जताने से परेशान थे, तो कुछ वर्षों से कतार में लगे रहने के बावजूद टिकट न मिलने से.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बगावत की समस्या स्वीकार की, लेकिन उन्हें लगता है कि मोदी लहर सब कुछ संभाल लेगी. उन्होंने कहा कि, “हम उनमें से कई को समझाने में कामयाब रहे. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के सामने किसी बगावत का कोई मतलब नहीं है.'' उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में एनडीटीवी से कहा था कि, "धूमल साहब, शांता कुमार, हर कोई प्रचार कर रहा है." 

ठाकुर ने इस बात से इनकार किया कि कई बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस के प्रति लोगों में सहानुभूति है. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह राज्य कांग्रेस अध्यक्ष हैं और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह फिर से उम्मीदवार हैं.

कांग्रेस बीजेपी के बागियों को एक ऐसे कारक के रूप में देखती है जो उसे सत्ता में वापस आने में मदद करेगा. उसमें इस बात को लेकर कोई संशय नहीं है कि राज्य में साफ तौर पर उसका अपना नेता कौन है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, “कुछ असंतुष्ट नेता हमारी पार्टी में भी थे, लेकिन हम उन्हें साथ लाने में कामयाब रहे.” उन्होंने दावा किया, "बीजेपी के नेता कांगड़ा, मंडी, कुल्लू-मनाली में आपस में लड़ रहे हैं. वहां कांग्रेस उम्मीदवार आसानी से सफल होंगे."

हिमाचल में पिछली बार हार के बाद दिल्ली और पंजाब में सफल हुई आम आदमी पार्टी को अब फिर उम्मीद है. आम आदमी पार्टी भी बीजेपी को 'विभाजित सदन' बता रही है.

बीजेपी वोटिंग से पहले के कुछ दिनों में पीएम मोदी और पार्टी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी की रैलियों के जरिए अपना असर बढ़ाने की कोशिश में है.

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राज्य में सत्ता बदलने की परंपरा को के सवाल पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा, 'हां, यहां यह रिवाज रहा है कि हर चुनाव में सरकार बदल जाती है, लेकिन कई राज्यों में बीजेपी ने इस रिवाज को बदल दिया है.