उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि योग आधुनिक विश्व को भारत का आनमोल तोहफा है और योग का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने साथ ही कहा कि कुछ लोग इस प्राचीन वैज्ञानिक प्रणाली को धार्मिक रंग देकर मानवता को 'गहरा नुकसान' पहुंचा रहे हैं. तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि योग के मूल में 'सर्व जन: सुखिनो भवन्तु' है और इसका अध्ययन और उपयोग अन्य चिकित्सा पद्धति की तरह ही किया जाना चाहिए.
दीर्घकालिक लाभ के लिए झेलनी होगी अल्पकालिक परेशानी : वेंकैया नायडू
उन्होंने कहा, 'योग का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. दुर्भाग्य से कुछ लोग इस प्राचीन वैज्ञानिक पद्धति को धार्मिक रंग देते हैं. ऐसे लोग मानवता को गहरा नुकसान पहुंचा रहे हैं.' उन्होंने कहा कि योग सभी तरह की कसरतों और शारीरिक अभ्यास की जननी है जिससे न केवल शरीर तंदरूस्त रहता है बल्कि मानसिक तंदरूस्ती के साथ आध्यात्मिक पोषण मिलता है. उन्होंने अपने चिर परिचित मजाकिया अंदाज में कहा कि इससे मेडकल बिल भी नियंत्रण में रहता है.
वीडियो : गुजरात में राहुल गांधी ने की छात्राओं से मुलाकात
वेंकैया नायडू ने कहा कि सम्मेलन का मुख्य विषय आज के समय में काफी प्रासंगिक है क्योंकि यह प्राचीन विज्ञान को समझने का अवसर प्रदान करता है, साथ ही वर्तमान में बेहतर, स्वस्थ्य और खुशहाल जीवन के बारे में इस ज्ञान के उपयोग के संभावित रास्ते बताता है. उपराष्ट्रपति ने आयुष एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव की ओर संकेत करते हुए कहा कि अगर आप आयुष मंत्रालय को लोकप्रिय बनायेंगे, तब स्वास्थ्य पर आपका खर्च कम हो जायेगा.' उन्होंने कहा कि योग हमारी धरोहर है जो हमें अपने पुरखों से प्राप्त हुई है और हमें इसका संरक्षण करने की जरूरत है.
अन्य वीडियो देखने के लिए क्लिक करें
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं