हैदराबाद:
नए सचिवालय भवन का निर्माण वास्तुशास्त्र के नियमों के आधार पर करवाने की योजना को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के खिलाफ दायर की गई एक जनहित याचिका पर हैदराबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी.
कांग्रेस नेता जीवन रेड्डी द्वारा दायर की गई जनहित याचिका (पीआईएल) में कहा गया है कि इस परियोजना में कम से कम 100 करोड़ रुपये का सार्वजनिक धन बेवजह खर्च होगा.
हालांकि केसीआर पहले कह चुके हैं कि नए सचिवालय का निर्माण राज्य की 'समृद्धि' के लिए करवाया जा रहा है, लेकिन अब उनकी सरकार का कहना है कि सचिवालय की इमारत 'आग से सुरक्षित' नहीं है.
नए सचिवालय के तैयार होने तक एक अन्य इमारत में शिफ्ट होने की बात करते हुए एक कर्मचारी ने कहा, "वे उन्हें 'आग से सुरक्षित' क्यों नहीं बना रहे हैं, और सवाल यह है कि इतने साल तक उन्हें 'आग से सुरक्षित' होने का क्लीयरेंस कैसे मिलता रहा... अब आप उन्हें ध्वस्त क्यों करना चाहते हैं..."
पुराने सचिवालय को गिराया जाना हिन्दू माह कार्तिक में ही शुरू हो जाएगा, जो अभी चल रहा है, और जिसे पवित्र माह माना जाता है. नई इमारत का डिज़ाइन हफीज़ कॉन्ट्रैक्टर ने तैयार किया है, जिसमें प्रत्येक विभाग को वास्तु के हिसाब से बनाया जाएगा.
सामाजिक संगठन तेलंगाना डेमोक्रेटिक फोरम की पद्मजा शॉ ने कहा, "जब से नई सरकार आई है, धार्मिक आडंबरों पर ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है, पहले से समृद्ध मंदिरों को दान दिया जा रहा है, जिन्हें उसकी ज़रूरत नहीं है, और मुख्यमंत्री के विश्वास के हिसाब से यज्ञों तथा वास्तु जैसी बातों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं... असली मुद्दों पर ध्यान कहां है...?"
राजनैतिक विश्लेषक के. नागेश्वर का कहना है, "तेलंगाना राष्ट्र समिति हर चुनाव में पहले से ज़्यादा ताकतवर होती गई है... और तेलंगाना में अब तक ऐसी कोई बड़ी समस्या नहीं आई है, जिसका दोष वास्तु को दिया जा सके..."
आंध्र प्रदेश से अलग कर बनाए गए तेलंगाना राज्य का गठन वर्ष 2014 में हुआ था. आंध्र प्रदेश की पुरानी राजधानी हैदराबाद अब तेलंगाना का हिस्सा है, जबकि आंध्र के लिए अमरावती में नई राजधानी विकसित की जा रही है, जहां उनका नया सचिवालय होगा.
केसीआर चाहते थे कि आंध्र प्रदेश 2.25 एकड़ भूमि में हैदराबाद में बने अपने सचिवालय भवन को भी तेलंगाना को सौंप दे, लेकिन वह मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है, और आंध्र प्रदेश सरकार ने उस पर निर्णय करने लिए समिति का गठन किया है.
कांग्रेस नेता जीवन रेड्डी द्वारा दायर की गई जनहित याचिका (पीआईएल) में कहा गया है कि इस परियोजना में कम से कम 100 करोड़ रुपये का सार्वजनिक धन बेवजह खर्च होगा.
हालांकि केसीआर पहले कह चुके हैं कि नए सचिवालय का निर्माण राज्य की 'समृद्धि' के लिए करवाया जा रहा है, लेकिन अब उनकी सरकार का कहना है कि सचिवालय की इमारत 'आग से सुरक्षित' नहीं है.
नए सचिवालय के तैयार होने तक एक अन्य इमारत में शिफ्ट होने की बात करते हुए एक कर्मचारी ने कहा, "वे उन्हें 'आग से सुरक्षित' क्यों नहीं बना रहे हैं, और सवाल यह है कि इतने साल तक उन्हें 'आग से सुरक्षित' होने का क्लीयरेंस कैसे मिलता रहा... अब आप उन्हें ध्वस्त क्यों करना चाहते हैं..."
पुराने सचिवालय को गिराया जाना हिन्दू माह कार्तिक में ही शुरू हो जाएगा, जो अभी चल रहा है, और जिसे पवित्र माह माना जाता है. नई इमारत का डिज़ाइन हफीज़ कॉन्ट्रैक्टर ने तैयार किया है, जिसमें प्रत्येक विभाग को वास्तु के हिसाब से बनाया जाएगा.
सामाजिक संगठन तेलंगाना डेमोक्रेटिक फोरम की पद्मजा शॉ ने कहा, "जब से नई सरकार आई है, धार्मिक आडंबरों पर ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है, पहले से समृद्ध मंदिरों को दान दिया जा रहा है, जिन्हें उसकी ज़रूरत नहीं है, और मुख्यमंत्री के विश्वास के हिसाब से यज्ञों तथा वास्तु जैसी बातों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं... असली मुद्दों पर ध्यान कहां है...?"
राजनैतिक विश्लेषक के. नागेश्वर का कहना है, "तेलंगाना राष्ट्र समिति हर चुनाव में पहले से ज़्यादा ताकतवर होती गई है... और तेलंगाना में अब तक ऐसी कोई बड़ी समस्या नहीं आई है, जिसका दोष वास्तु को दिया जा सके..."
आंध्र प्रदेश से अलग कर बनाए गए तेलंगाना राज्य का गठन वर्ष 2014 में हुआ था. आंध्र प्रदेश की पुरानी राजधानी हैदराबाद अब तेलंगाना का हिस्सा है, जबकि आंध्र के लिए अमरावती में नई राजधानी विकसित की जा रही है, जहां उनका नया सचिवालय होगा.
केसीआर चाहते थे कि आंध्र प्रदेश 2.25 एकड़ भूमि में हैदराबाद में बने अपने सचिवालय भवन को भी तेलंगाना को सौंप दे, लेकिन वह मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है, और आंध्र प्रदेश सरकार ने उस पर निर्णय करने लिए समिति का गठन किया है.
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