हरीश रावत।
नई दिल्ली:
उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले ने राज्य में कांग्रेस को वह मौका दे दिया है जो वह खो चुकी थी। अब सारा दारोमदार 29 अप्रैल के फ्लोर टेस्ट पर है, जहां तय होगा कि हरीश रावत अपने साथ कितने विधायकों को जुटा पाए। पार्टी फिलहाल दावा कर रही है कि उसे आसानी से बहुमत हासिल हो जाएगा।
कांग्रेस का दावा, 36 विधायकों का साथ
उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन का नजारा साफ बता रहा था कि हरीश रावत का साथ उनके कई अपनों ने छोड़ दिया है। शायद इसी कारण केंद्र ने वहां राष्ट्रपति शासन लगाने का राजनीतिक फैसला किया। बीजेपी गुरुवार की सुबह तक दावा करती रही कि वह सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटा लेगी। लेकिन राष्ट्रपति शासन खत्म होने के बाद कांग्रेस का अपना हिसाब कुछ और कह रहा है। उत्तराखंड विधानसभा की कुल 71 सीटों में बहुमत का आंकड़ा 36 से बनता है। कांग्रेस का दावा है कि उसके साथ उसके कुल 36 विधायकों के अलावा उत्तराखंड क्रांति दल- 1, निर्दलीय- 3, बीएसपी- 2, बीजेपी निष्कासित-1 , मनोनीत- 1 यानी कुल 44 विधायक हैं। जबकि बीजेपी के पास कुल 27 विधायक हैं।
कांग्रेस के बागियों के बारे में फैसला तय कर देगा भविष्य
हालांकि यह गणित इतना आसान नहीं है। कांग्रेस के 9 विधायक बागी हैं तो उसके पास 27 विधायक रह जाते हैं और उसकी समर्थन संख्या 35 रह जाती है। जबकि बीजेपी के पक्ष में इन बागी विधायकों को मिलाकर 36 विधायक हो जाते हैं। लेकिन इन बागी विधायकों पर 23 अप्रैल को फैसला आ सकता है।
अगर अदालत विधायकों को मान्यता दे देती है तो हरीश रावत फिलहाल जीती लग रही बाजी हार सकते हैं। लेकिन हाइकोर्ट का रुख देखते हुए कांग्रेस को उम्मीद है कि इन बागी विधायकों की सदस्यता चली जाएगी। ऐसे में विधानसभा में कुल 62 सीटें रह जाएंगी जिनमें बहुमत के लिए 32 सीटें चाहिए होंगी। कांग्रेस के पास 35 विधायक दिख रहे हैं। यानी 29 अप्रैल को विधानसभा में जो कुछ होना है उसकी तस्वीर 23 को उत्तराखंड हाईकोर्ट में साफ हो सकती है।
कांग्रेस का दावा, 36 विधायकों का साथ
उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन का नजारा साफ बता रहा था कि हरीश रावत का साथ उनके कई अपनों ने छोड़ दिया है। शायद इसी कारण केंद्र ने वहां राष्ट्रपति शासन लगाने का राजनीतिक फैसला किया। बीजेपी गुरुवार की सुबह तक दावा करती रही कि वह सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटा लेगी। लेकिन राष्ट्रपति शासन खत्म होने के बाद कांग्रेस का अपना हिसाब कुछ और कह रहा है। उत्तराखंड विधानसभा की कुल 71 सीटों में बहुमत का आंकड़ा 36 से बनता है। कांग्रेस का दावा है कि उसके साथ उसके कुल 36 विधायकों के अलावा उत्तराखंड क्रांति दल- 1, निर्दलीय- 3, बीएसपी- 2, बीजेपी निष्कासित-1 , मनोनीत- 1 यानी कुल 44 विधायक हैं। जबकि बीजेपी के पास कुल 27 विधायक हैं।
कांग्रेस के बागियों के बारे में फैसला तय कर देगा भविष्य
हालांकि यह गणित इतना आसान नहीं है। कांग्रेस के 9 विधायक बागी हैं तो उसके पास 27 विधायक रह जाते हैं और उसकी समर्थन संख्या 35 रह जाती है। जबकि बीजेपी के पक्ष में इन बागी विधायकों को मिलाकर 36 विधायक हो जाते हैं। लेकिन इन बागी विधायकों पर 23 अप्रैल को फैसला आ सकता है।
अगर अदालत विधायकों को मान्यता दे देती है तो हरीश रावत फिलहाल जीती लग रही बाजी हार सकते हैं। लेकिन हाइकोर्ट का रुख देखते हुए कांग्रेस को उम्मीद है कि इन बागी विधायकों की सदस्यता चली जाएगी। ऐसे में विधानसभा में कुल 62 सीटें रह जाएंगी जिनमें बहुमत के लिए 32 सीटें चाहिए होंगी। कांग्रेस के पास 35 विधायक दिख रहे हैं। यानी 29 अप्रैल को विधानसभा में जो कुछ होना है उसकी तस्वीर 23 को उत्तराखंड हाईकोर्ट में साफ हो सकती है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
उत्तराखंड, राजनीतिक संकट, कांग्रेस, बीजेपी, हरीश रावत सरकार, उत्तराखंड हाईकोर्ट, Uttrakhand Crisis, Uttrakhand Government, Harish Rawat, Uttrakhand High Court, Congress, BJP