रुद्रप्रयाग / देहरादून/ केदार घाटी/ नई दिल्ली:
उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण बाढ़ एवं भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 550 को पार कर गई जबकि बचावकर्मियों ने दुर्गम भागों में अब भी फंसे 50 हजार लोगों को निकालने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा, ‘556 शव बरामद हुए हैं और खबर है कि मलबे में और शव दबे हो सकते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को निकालने में 15 दिन और लग सकते हें क्योंकि हिमालय के इतिहास में इस तरह की आपदा कभी नहीं आई। उन्होंने कहा, ‘लोगों को निकालने में समय लग रहा है क्योंकि सड़कें क्षतिग्रस्त हैं।’ फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि मृतकों की संख्या में वे 40 शव भी शामिल हैं जो हरिद्वार में गंगा में बहते हुए मिले।
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव स्वरूप ने कहा, ‘शाम से यहां विभिन्न स्थानों पर गंगा से 40 शव बरामद हुए हैं।’ मृतकों की संख्या अब भी बढ़ सकती हैं क्योंकि उत्तराखंड के प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा कि मरने वालों की संख्या ‘काफी बढ़’ सकती है।
व्यापक बचाव अभियान के तहत एयरफोर्स के हेलीकॉप्टरों ने तीन घंटे में 65 उड़ान भरकर 550 लोगों को बचाया। जरूरतमंद लोगों तक 15,000 किलो सामान भी पहुंचाया गया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 550 लोगों के मारे जाने की खबर है। हालांकि गैर-आधिकारिक स्तर पर मरने वालों का आंकड़ा हजारों में बताया गया है।
वहीं केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बताया कि केंद्र की तरफ से बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए हरसंभव मदद की जा रही है। मनीष तिवारी ने बताया कि अब तक 33,192 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। लोगों की मदद के लिए एंबुलेंस और तमाम आपातकालीन सेवाएं बचाव काम में दिन रात लगी हुई हैं।
--------------लापता लोगों की सूची--------------
बचाव अभियान के गति पकड़ने के बीच उत्तराखंड के प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा है कि हताहतों की संख्या इतनी अधिक हो सकती है, जो चौंका दे। वहीं, इसे सहस्राब्दी की सबसे भीषण त्रासदी करार देते हुए उत्तराखंड के कृषि मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि केदारनाथ कब्रिस्तान में बदल चुका है... यहां यात्रा शुरू करने में चार साल तक का समय लग सकता है।
केदारनाथ मंदिर से जो तस्वीरें आ रही हैं, उसमें सब कुछ तहस नहस नजर आ रहा है। 10 फुट तक मलबा, बालू और गाद जमा है। चहल-पहल को लीलने वाली खामोशी और वीरानी यहां कुदरत के जबरदस्त तांडव की गवाही दे रही हैं। मंदिर में प्रवेश का एक बड़ा हिस्सा मिट्टी के नीचे दब चुका है। मंदिर के अंदर और बाहर हर जगह लाशों का अंबार लगा हुआ है। वहां से लौटे श्रद्धालुओं के मुताबिक मंदिर परिसर में गर्भगृह तक बालू और गाद जमी हुई है। मंदिर के अंदर भी लोगों के शव देखे गए हैं।
उत्तराखंड में इस भीषण प्राकृतिक आपदा में 14,000 लोगों के लापता होने की खबर है। अचानक आई इस बाढ़ में 90 से ज्यादा धर्मशालाएं बह गई हैं। इसके अलावा केदार घाटी के 60 गांव भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ज्यादातर सड़कें और रास्ते बह जाने से हजारों लोग फंसे हैं। 50 बड़े भूस्खलनों में उत्तराखंड के चार प्रमुख रास्ते रुद्रप्रयाग−गौरीकुंड सड़क, ऋषिकेश−जोशीमठ, ऋषिकेश−धरासु−गंगोत्री सड़क और पिथौरागढ़−घटियाबगढ़ सड़क बंद हो गई है।
चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के कई गांवों में भी हजारों लोग फंसे हैं। इन इलाकों में बिजली सेवा पूरी तरह ठप हो गई है। साथ ही संचार सुविधाओं पर भी खासा असर पड़ा है। राहतकार्य में सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ़, बीआरओ, आईटीबीपी और एसएसबी के हजारों जवान लगे हैं।
बताया जा रहा है कि यहां हालात सामान्य होने में अभी काफी वक्त लग सकता है। इस भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार राज्य में 20 जून से 22 जून तक तीन दिनों के राजकीय शोक का ऐलान किया है। उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि इस हादसे में मरने वालों का सही आंकड़ा और इससे हुए नुकसान का सही अंदाजा पानी कम होने के बाद ही लगाया जा सकेगा।
उत्तराखंड में राहत और बचाव अभियान में तेजी लाते हुए रक्षा मंत्रालय ने सेना और एयरफोर्स के 46 हेलीकॉप्टर और 10 हजार सैनिकों को तैनात किया है। इंडियन एयरफोर्स ने राज्य में 20 एमआई−17 और 16 आधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर लगाए हैं, जिनकी मदद से 1500 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है और लोगों को निकाला जा रहा है।
मध्य प्रदेश की सरकार ने राहत के काम के लिए चार चॉपर भी भेजे हैं, साथ ही मांग की जा रही है कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सेना ने बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के तीन हजार जवानों के साथ आठ हजार से ज्यादा अपने जवानों को उत्तराखंड में प्रभावित इलाकों में तैनात किया है। रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा है कि सेना के जवानों को अधिकतम संभव सहायता देने का निर्देश दिया गया है, वहीं मीडिया में बूढ़े और बीमार लोगों को प्राथमिकता नहीं दिए जाने की खबरें आने के बाद इंडियन एयरफोर्स ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि राहत अभियानों के दौरान ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाए।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा, ‘556 शव बरामद हुए हैं और खबर है कि मलबे में और शव दबे हो सकते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को निकालने में 15 दिन और लग सकते हें क्योंकि हिमालय के इतिहास में इस तरह की आपदा कभी नहीं आई। उन्होंने कहा, ‘लोगों को निकालने में समय लग रहा है क्योंकि सड़कें क्षतिग्रस्त हैं।’ फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि मृतकों की संख्या में वे 40 शव भी शामिल हैं जो हरिद्वार में गंगा में बहते हुए मिले।
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव स्वरूप ने कहा, ‘शाम से यहां विभिन्न स्थानों पर गंगा से 40 शव बरामद हुए हैं।’ मृतकों की संख्या अब भी बढ़ सकती हैं क्योंकि उत्तराखंड के प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा कि मरने वालों की संख्या ‘काफी बढ़’ सकती है।
व्यापक बचाव अभियान के तहत एयरफोर्स के हेलीकॉप्टरों ने तीन घंटे में 65 उड़ान भरकर 550 लोगों को बचाया। जरूरतमंद लोगों तक 15,000 किलो सामान भी पहुंचाया गया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 550 लोगों के मारे जाने की खबर है। हालांकि गैर-आधिकारिक स्तर पर मरने वालों का आंकड़ा हजारों में बताया गया है।
वहीं केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बताया कि केंद्र की तरफ से बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए हरसंभव मदद की जा रही है। मनीष तिवारी ने बताया कि अब तक 33,192 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। लोगों की मदद के लिए एंबुलेंस और तमाम आपातकालीन सेवाएं बचाव काम में दिन रात लगी हुई हैं।
--------------लापता लोगों की सूची--------------
बचाव अभियान के गति पकड़ने के बीच उत्तराखंड के प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा है कि हताहतों की संख्या इतनी अधिक हो सकती है, जो चौंका दे। वहीं, इसे सहस्राब्दी की सबसे भीषण त्रासदी करार देते हुए उत्तराखंड के कृषि मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि केदारनाथ कब्रिस्तान में बदल चुका है... यहां यात्रा शुरू करने में चार साल तक का समय लग सकता है।
केदारनाथ मंदिर से जो तस्वीरें आ रही हैं, उसमें सब कुछ तहस नहस नजर आ रहा है। 10 फुट तक मलबा, बालू और गाद जमा है। चहल-पहल को लीलने वाली खामोशी और वीरानी यहां कुदरत के जबरदस्त तांडव की गवाही दे रही हैं। मंदिर में प्रवेश का एक बड़ा हिस्सा मिट्टी के नीचे दब चुका है। मंदिर के अंदर और बाहर हर जगह लाशों का अंबार लगा हुआ है। वहां से लौटे श्रद्धालुओं के मुताबिक मंदिर परिसर में गर्भगृह तक बालू और गाद जमी हुई है। मंदिर के अंदर भी लोगों के शव देखे गए हैं।
उत्तराखंड में इस भीषण प्राकृतिक आपदा में 14,000 लोगों के लापता होने की खबर है। अचानक आई इस बाढ़ में 90 से ज्यादा धर्मशालाएं बह गई हैं। इसके अलावा केदार घाटी के 60 गांव भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ज्यादातर सड़कें और रास्ते बह जाने से हजारों लोग फंसे हैं। 50 बड़े भूस्खलनों में उत्तराखंड के चार प्रमुख रास्ते रुद्रप्रयाग−गौरीकुंड सड़क, ऋषिकेश−जोशीमठ, ऋषिकेश−धरासु−गंगोत्री सड़क और पिथौरागढ़−घटियाबगढ़ सड़क बंद हो गई है।
चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के कई गांवों में भी हजारों लोग फंसे हैं। इन इलाकों में बिजली सेवा पूरी तरह ठप हो गई है। साथ ही संचार सुविधाओं पर भी खासा असर पड़ा है। राहतकार्य में सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ़, बीआरओ, आईटीबीपी और एसएसबी के हजारों जवान लगे हैं।
बताया जा रहा है कि यहां हालात सामान्य होने में अभी काफी वक्त लग सकता है। इस भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार राज्य में 20 जून से 22 जून तक तीन दिनों के राजकीय शोक का ऐलान किया है। उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि इस हादसे में मरने वालों का सही आंकड़ा और इससे हुए नुकसान का सही अंदाजा पानी कम होने के बाद ही लगाया जा सकेगा।
उत्तराखंड में राहत और बचाव अभियान में तेजी लाते हुए रक्षा मंत्रालय ने सेना और एयरफोर्स के 46 हेलीकॉप्टर और 10 हजार सैनिकों को तैनात किया है। इंडियन एयरफोर्स ने राज्य में 20 एमआई−17 और 16 आधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर लगाए हैं, जिनकी मदद से 1500 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है और लोगों को निकाला जा रहा है।
मध्य प्रदेश की सरकार ने राहत के काम के लिए चार चॉपर भी भेजे हैं, साथ ही मांग की जा रही है कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सेना ने बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के तीन हजार जवानों के साथ आठ हजार से ज्यादा अपने जवानों को उत्तराखंड में प्रभावित इलाकों में तैनात किया है। रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा है कि सेना के जवानों को अधिकतम संभव सहायता देने का निर्देश दिया गया है, वहीं मीडिया में बूढ़े और बीमार लोगों को प्राथमिकता नहीं दिए जाने की खबरें आने के बाद इंडियन एयरफोर्स ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि राहत अभियानों के दौरान ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाए।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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