
प्रतीकात्मक तस्वीर
- पीएमओ को खत अमेरिकी वकील सी. एडमंड्स एलेन ने भेजा है
- वर्ष 2012 तक एलेन खुद हथियारों के सौदागर अभिषेक वर्मा का साझीदार था
- सेवानिवृत्त एयर मार्शल हरीश मसंद ने आरोपों का खंडन किया है
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उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने अभिषेक वर्मा के व्यापारिक साझीदार रहे और अमेरिका में बसे वकील सी. एडमंड्स एलेन द्वारा लगाए गए इन आरोपों का ज़ोरदार खंडन किया है. दरअसल, सी. एडमंड्स एलेन तथा अभिषेक वर्मा के बीच साझीदारी जनवरी, 2012 में खत्म हुई थी, और उस वक्त दोनों ने ही एक दूसरे पर मनी-लॉन्डरिंग, गबन और धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे. इसके बाद सी. एडमंड्स एलेन लगातार भारतीय जांचकर्ताओं को अभिषेक वर्मा के खिलाफ कागज़ात देते रहे.
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सी. एडमंड्स एलेन ने उन खतों की प्रतियां जारी की हैं, जो उसके मुताबिक उसने प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को लिखे हैं. इन खतों में आरोप लगाया गया है कि संसद की रक्षा समिति के सदस्य के रूप में वरुण गांधी की पहुंच महत्वपूर्ण जानकारियों तक थी, जिन्हें वह नियमित रूप से अभिषेक वर्मा तथा उसके साथ शामिल हथियार निर्माताओं के देते रहे थे.
सी. एडमंड्स एलेन के मुताबिक, वरुण गांधी को यब जानकारियां देने के लिए ब्लैकमेल किया गया था, क्योंकि उनकी तस्वीरें विदेशी एस्कॉर्ट महिलाओं तथा वेश्याओं के साथ खींची गई थीं. वरुण गांधी का कहना है कि अगर इस तरह की कोई तस्वीरें हैं (एलेन के मुताबिक उसने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे खत के साथ वे तस्वीरें भी भेजी हैं), तो वे मॉर्फ्ड हैं. 36-वर्षीय सांसद का यह भी कहना है कि संसदीय रक्षा समिति की जिन बैठकों का ज़िक्र सी. एडमंड्स एलेन ने किया है, उनमें उन्होंने शिरकत ही नहीं की थी.
पत्र में दावा किया गया है कि एयर मार्शल हरीश मसंद की तस्वीरें भी बिल्कुल इसी तरह उज़्बेकी वेश्याओं के साथ खींची गई थीं, और उस समय 'एक बहुत वरिष्ठ एयरफोर्स अधिकारी' तथा उनके कुछ पूर्व सहकर्मी भी वहीं मौजूद थे. सी. एडमंड्स एलेन का कहना है कि एयर मार्शल हरीश मसंद को 2010 में 'काम पर रखा' गया था, ताकि वह 'अंदरूनी जानकारी' दें, जिससे एक अमेरिकी हथियार निर्माता हॉकर बीचक्राफ्ट कॉरपोरेशन को भारतीय वायुसेना से एक अरब अमेरिकी डॉलर का ट्रेनर विमान सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने में मदद मिले.
सेवानिवृत्त एयर मार्शल हरीश मसंद ने NDTV को बताया है कि उन्हें हॉकर बीचक्राफ्ट कॉरपोरेशन ने वर्ष 2010 में काम पर रखा था, और उन्होंने हॉकर बीचक्राफ्ट कॉरपोरेशन को बताया था कि वह अभिषेक वर्मा से किसी भी तरह का कारोबार नहीं करे. उन्होंने यह भी संकेत दिए कि वर्ष 2009 में उनकी अभिषेक वर्मा से 'मामूली व्यापारिक बातचीत' (उन्होंने बताया कि यह सर्वे था, विस्तार से जानकारी नहीं दी) हुई थी, जिसके लिए उन्हें किसी तरह का कोई भुगतान नहीं किया गया था.
वरुण गांधी का कहना है कि वह कॉलेज में अभिषेक वर्मा से मिले थे, और लगभग 15 साल से उनका अभिषेक वर्मा से कोई संपर्क नहीं है.
वैसे, सी. एडमंड्स एलेन के ज़रिये पिछले कई सालों से लगातार भारतीय जांचकर्ताओं, यानी सीबीआई को उसके पूर्व साझीदार अभिषेक वर्मा के खिलाफ दस्तावेज़ उपलब्ध कराए जाते रहे हैं.
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