अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर के साथ मनोहर पर्रिकर
नई दिल्ली:
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और अमेरिका के निवर्तमान रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने भारत को ‘बड़े रक्षा साझेदार’ का दर्जा देने के कदम को गुरुवार को अंतिम रूप दिया. इससे उच्च स्तरीय अमेरिकी रक्षा प्रौद्योगिकी को साझा करने और त्वरित सहयोग में मदद मिलेगी.
एश्टन कार्टर और पर्रिकर के बीच मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने संकल्प लिया कि वे द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को विस्तार देंगे. दोनों रक्षा मंत्रियों ने सातवीं बार मुलाकात की है और वाशिंगटन ने नई दिल्ली को ‘बड़ा रक्षा साझेदार’ बताया है.
मुलाकात के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है, ‘‘आज हमने भारत को अमेरिका के ‘बड़े रक्षा साझेदार’ मनोनीत करने के कदम को अंतिम रूप दिया है. बड़े रक्षा साझेदार का दर्जा भारत के लिए अद्भुत है और यह अमेरिका के निकटतम सहयोगियों एवं साझेदारों के स्तर पर भारत के साथ रक्षा व्यापार एवं प्रौद्योगिकी को साझा करने को लेकर प्रगति को संस्थागत बनाता है तथा यह भविष्य में स्थायी सहयोग सुनिश्चित करता है.’’
कार्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. अधिकारियों ने अमेरिका के लाइसेंसिंग नियमों के संदर्भ में भी ब्यौरा दिया. इसको भी अंतिम रूप दिया गया है. बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने आतंकवाद के खतरे सहित क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया. इसमें कहा गया, ‘‘दोनों ने आतंकवाद विरोधी द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत बनाना जारी रखने पर सहमति जताई और यह सुनिश्चित करने की जरूरत पर पर जोर दिया कि आतंकी समूहों को किसी राष्ट्र से कोई संरक्षण नहीं मिले.’
साउथ ब्लॉक में मुलाकात के दौरान कार्टर ने पर्रिकर से कहा, ‘‘आपका धन्यवाद मेरे दोस्त.’’ कार्टर ने कहा कि पर्रिकर के साथ यह सातवीं मुलाकात है और ‘वह एक ऐसे रक्षा मंत्री हैं जिनके साथ मैंने अधिकतम बार मुलाकात की है. मुलाकात के दौरान कार्टर ने कहा, ‘‘आज हमारे रक्षा संबंधों ने एक बड़ा कदम लिया है क्योंकि हम भारत को एक रक्षा साझेदार मानते हैं.’’
अमेरिकी कांग्रेस की शक्तिशाली समिति ने बीते 30 नवंबर को कार्टर और विदेश मंत्री से कहा था कि वे भारत को अमेरिका के बड़े रक्षा साझेदार के तौर पर स्वीकार्यता देने के लिए जरूरी कदम उठायें ताकि द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को मजबूती प्रदान की जा सके. भारत को लेकर यह उल्लेख 3,000 पृष्ठों और 618 अरब डॉलर के बजट वाले राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार विधेयक में किया गया है. इसमें रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री से कहा गया है कि वे इसका आकलन करें कि किस हद तक भारत परस्पर हितों के सैन्य अभियानों में सहयोग देने और उन्हें अंजाम देने की क्षमता रखता है.
इस विधेयक को अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों में पारित होना है और फिर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा इस पर हस्ताक्षर करेंगे जिसके बाद यह कानून की शक्ल लेगा. इधर, पर्रिकर ने कहा कि उन्होंने रक्षा साझेदारी को लेकर कार्टर की मजबूत प्रतिबद्धता को सराहा है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि रक्षा सहयोग आपकी ओर से बनाई गई बुनियाद पर विस्तार लेगा.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एश्टन कार्टर और पर्रिकर के बीच मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने संकल्प लिया कि वे द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को विस्तार देंगे. दोनों रक्षा मंत्रियों ने सातवीं बार मुलाकात की है और वाशिंगटन ने नई दिल्ली को ‘बड़ा रक्षा साझेदार’ बताया है.
मुलाकात के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है, ‘‘आज हमने भारत को अमेरिका के ‘बड़े रक्षा साझेदार’ मनोनीत करने के कदम को अंतिम रूप दिया है. बड़े रक्षा साझेदार का दर्जा भारत के लिए अद्भुत है और यह अमेरिका के निकटतम सहयोगियों एवं साझेदारों के स्तर पर भारत के साथ रक्षा व्यापार एवं प्रौद्योगिकी को साझा करने को लेकर प्रगति को संस्थागत बनाता है तथा यह भविष्य में स्थायी सहयोग सुनिश्चित करता है.’’
कार्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. अधिकारियों ने अमेरिका के लाइसेंसिंग नियमों के संदर्भ में भी ब्यौरा दिया. इसको भी अंतिम रूप दिया गया है. बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने आतंकवाद के खतरे सहित क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया. इसमें कहा गया, ‘‘दोनों ने आतंकवाद विरोधी द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत बनाना जारी रखने पर सहमति जताई और यह सुनिश्चित करने की जरूरत पर पर जोर दिया कि आतंकी समूहों को किसी राष्ट्र से कोई संरक्षण नहीं मिले.’
साउथ ब्लॉक में मुलाकात के दौरान कार्टर ने पर्रिकर से कहा, ‘‘आपका धन्यवाद मेरे दोस्त.’’ कार्टर ने कहा कि पर्रिकर के साथ यह सातवीं मुलाकात है और ‘वह एक ऐसे रक्षा मंत्री हैं जिनके साथ मैंने अधिकतम बार मुलाकात की है. मुलाकात के दौरान कार्टर ने कहा, ‘‘आज हमारे रक्षा संबंधों ने एक बड़ा कदम लिया है क्योंकि हम भारत को एक रक्षा साझेदार मानते हैं.’’
अमेरिकी कांग्रेस की शक्तिशाली समिति ने बीते 30 नवंबर को कार्टर और विदेश मंत्री से कहा था कि वे भारत को अमेरिका के बड़े रक्षा साझेदार के तौर पर स्वीकार्यता देने के लिए जरूरी कदम उठायें ताकि द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को मजबूती प्रदान की जा सके. भारत को लेकर यह उल्लेख 3,000 पृष्ठों और 618 अरब डॉलर के बजट वाले राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार विधेयक में किया गया है. इसमें रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री से कहा गया है कि वे इसका आकलन करें कि किस हद तक भारत परस्पर हितों के सैन्य अभियानों में सहयोग देने और उन्हें अंजाम देने की क्षमता रखता है.
इस विधेयक को अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों में पारित होना है और फिर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा इस पर हस्ताक्षर करेंगे जिसके बाद यह कानून की शक्ल लेगा. इधर, पर्रिकर ने कहा कि उन्होंने रक्षा साझेदारी को लेकर कार्टर की मजबूत प्रतिबद्धता को सराहा है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि रक्षा सहयोग आपकी ओर से बनाई गई बुनियाद पर विस्तार लेगा.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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