प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह भारत में पोर्नोग्राफी पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका स्थित एक निजी संस्था की मदद ले रहा है जो 99 देशों को चाइल्ड पोर्नोग्राफी के अपलोड होने को लेकर तकनीकी जानकारियां देती है. शीर्ष न्यायालय में दायर की गई स्थिति रिपोर्ट में केंद्र ने कहा कि अमेरिका स्थित नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉयटिड चिल्ड्रेन (एनसीएमईसी) लापता और पीड़ित बच्चों के बारे में सूचना देने के लिए एक स्रोत केंद्र की तरह काम करता है तथा वे अमेरिका तथा 99 अन्य देशों की केंद्रीय कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों को सुरक्षित माध्यम के जरिए ‘निशुल्क’ जानकारियां उपलब्ध कराता है. सरकार ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ को बताया कि एनसीएमईसी द्वारा दी गई सूचना के अनुसार वे देश में कानून प्रवर्तन एजेंसी के साथ ‘सिक्योर लिंक’ बनाने की कोशिश कर रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एनसीएमईसी एक निजी, गैर लाभकारी संगठन है और वह गुमशुदा और पीड़ित बच्चों के बारे में सूचना देने के लिए नेशनल क्लियरिंग हाउस और स्रोत केंद्र के रूप में काम करता है. एनसीएमईसी हॉटलाइन कोई भी चाइल्ड पोर्न अपलोड होने पर अमेरिका तथा दुनिया के 99 अन्य देशों की संबंधित कानूनी प्रवर्तन एजेंसी को पोर्न की तकनीकी जानकारियां उपलब्ध कराता है.’’
सरकार ने शीर्ष न्यायालय से कहा, ‘‘यह केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसी को यह सूचना निशुल्क लेकिन एक सुरक्षित माध्यम के जरिए उपलब्ध कराई जाती है. एनसीएमईसी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार वे भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसी के साथ सिक्योर लिंक बनाने का प्रयास कर रहे हैं.’’ रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटी) ने गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजा है जिसकी एक प्रति महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी भेजी गई है और इसमें उनसे एनसीएमईसी के साथ संपर्क बनाए रखने का अनुरोध किया गया है.
हाल ही में गृह मंत्रालय को दी एक सूचना में एमईआईटी ने बताया कि एनसीएमईसी ने सूचना दी है कि ‘‘बड़ी संख्या में ऐसी रिपोर्टें हैं कि भारतीय क्षेत्र से चाइल्ड पोर्नोग्राफी/बाल शोषण से संबंधित गैरकानूनी वीडियो अपलोड किए गए हैं.’’ सूचना में कहा गया है, ‘‘एनसीएमईसी वर्ष 2013 से इस संबंध में जानकारियां साझा करने के लिए सीबीआई के साथ संपर्क का एक सुरक्षित माध्यम स्थापित करने का प्रयास कर रहा है. हालांकि अभी तक इस मामले में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है. ऐसी रिपोर्टों पर कार्रवाई करने से भारत की ओर से ऐसे गैरकानूनी वीडियो को अपलोड करने वाले संभावित लोगों के लिए ठोस तंत्र बनाया जा सकता है.’’
स्थिति रिपोर्ट में देश में बाल पोर्नोग्राफी पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारियां भी दी गई है. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने 14 जुलाई को पीठ को बताया था कि केंद्र ने पिछले महीने बाल पोर्नोग्राफी वाली 3,522 वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया है और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को ऐसी साइटों तक बच्चों की पहुंच को रोकने के लिए स्कूलों में जैमर लगाने पर विचार करने के लिए कहा गया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एनसीएमईसी एक निजी, गैर लाभकारी संगठन है और वह गुमशुदा और पीड़ित बच्चों के बारे में सूचना देने के लिए नेशनल क्लियरिंग हाउस और स्रोत केंद्र के रूप में काम करता है. एनसीएमईसी हॉटलाइन कोई भी चाइल्ड पोर्न अपलोड होने पर अमेरिका तथा दुनिया के 99 अन्य देशों की संबंधित कानूनी प्रवर्तन एजेंसी को पोर्न की तकनीकी जानकारियां उपलब्ध कराता है.’’
सरकार ने शीर्ष न्यायालय से कहा, ‘‘यह केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसी को यह सूचना निशुल्क लेकिन एक सुरक्षित माध्यम के जरिए उपलब्ध कराई जाती है. एनसीएमईसी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार वे भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसी के साथ सिक्योर लिंक बनाने का प्रयास कर रहे हैं.’’ रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटी) ने गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजा है जिसकी एक प्रति महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी भेजी गई है और इसमें उनसे एनसीएमईसी के साथ संपर्क बनाए रखने का अनुरोध किया गया है.
हाल ही में गृह मंत्रालय को दी एक सूचना में एमईआईटी ने बताया कि एनसीएमईसी ने सूचना दी है कि ‘‘बड़ी संख्या में ऐसी रिपोर्टें हैं कि भारतीय क्षेत्र से चाइल्ड पोर्नोग्राफी/बाल शोषण से संबंधित गैरकानूनी वीडियो अपलोड किए गए हैं.’’ सूचना में कहा गया है, ‘‘एनसीएमईसी वर्ष 2013 से इस संबंध में जानकारियां साझा करने के लिए सीबीआई के साथ संपर्क का एक सुरक्षित माध्यम स्थापित करने का प्रयास कर रहा है. हालांकि अभी तक इस मामले में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है. ऐसी रिपोर्टों पर कार्रवाई करने से भारत की ओर से ऐसे गैरकानूनी वीडियो को अपलोड करने वाले संभावित लोगों के लिए ठोस तंत्र बनाया जा सकता है.’’
स्थिति रिपोर्ट में देश में बाल पोर्नोग्राफी पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारियां भी दी गई है. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने 14 जुलाई को पीठ को बताया था कि केंद्र ने पिछले महीने बाल पोर्नोग्राफी वाली 3,522 वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया है और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को ऐसी साइटों तक बच्चों की पहुंच को रोकने के लिए स्कूलों में जैमर लगाने पर विचार करने के लिए कहा गया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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