यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सी-सैट के मुद्दे के हल के लिए सरकार के निर्णय की मांग को लेकर कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया, जिस कारण तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
यूपीएससी परीक्षा के सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट यानी सीसैट को लेकर बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है और विपक्ष जानना चाह रहा है कि रिपोर्ट पर सरकार क्या कार्रवाई कर रही है। सूत्रों के मुताबिक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सीसैट में बदलाव की सिफारिश नहीं की है और यूपीएससी की परीक्षा तय समय पर ही होगी।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में कहा, सरकार यूपीएससी परीक्षा के भाषा से संबंधित मुद्दे का उचित समाधान जल्द ढूंढ निकालेगी। उन्होंने कहा, सरकार ने छात्रों के प्रदर्शन को गंभीरता से लिया है। हमें इस मामले से संबंधित समिति की रिपोर्ट प्राप्त हुई है और हम इसका अध्ययन कर रहे हैं।
अरविंद वर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने गुरुवार को केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस समिति का गठन यूपीएससी परीक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव के विभिन्न पहलुओं को देखने के लिए किया गया था। केंद्रीय मंत्री का यह बयान इस मुद्दे पर विभिन्न सांसदों की ओर से चिंता जताए जाने और इस पर तुरंत कोई कदम उठाने की मांग करने के बाद आया।
राजनाथ के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और वाम मोर्चे ने सदन से बर्हिगमन कर दिया। इससे पहले सदन को तीन बार स्थगन का सामना करना पड़ा था।
हंगामे की वजह से उच्च सदन में प्रश्नकाल नहीं हो पाया। सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल शुरू करने का ऐलान किया, लेकिन तभी कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, जेडीयू के शरद यादव और सपा के नरेश अग्रवाल ने संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा में सी-सैट का मुद्दा उठाया।
तिवारी ने कहा कि यूपीएससी की परीक्षा देने वाले छात्र पिछले कुछ दिनों से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, उल्टे उन पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं।
जेडीयू के शरद यादव ने कहा कि सरकार ने एक सप्ताह में इस मुद्दे को सुलझाने की बात कही थी। इस मुद्दे पर गौर करने के लिए गठित वर्मा समिति ने अपनी रिपोर्ट अब दे दी है, आखिर कब तक छात्र अपनी मांग को लेकर आंदोलन करते रहेंगे और सरकार कब उनकी सुध लेगी। सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि भाषा के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता। यह बेहद गंभीर मुद्दा है और छात्रों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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