उत्तर प्रदेश सरकार धर्म परिवर्तन को लेकर और सख्त कानून बनाने जा रही है. इसी से जुड़ा हुआ धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक विधेयक सोमवार को पेश किया गया है. जिसमें पहले से मौजूदा सजा प्रावधानों को और कड़ा किया गया है. जैसे कि अधिकतम सजा को 10 साल से बढ़ाकर आजीवन कारावास करना; शिकायत दर्ज करने की अनुमति देने के लिए दायरे को बढ़ाना; जमानत को और अधिक कठिन बनाना जैस प्रमुख बदलाव प्रस्तावित है. तर्क दिया जा रहा है कि यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत मौजूदा प्रावधान पर्याप्त नहीं हैं, इसलिए सरकार अपने धर्मांतरण विरोधी कानून को और अधिक कठोर बनाना चाहती है.
इस विधेयक में कहा गया है कि अवैध धर्म परिवर्तन के अपराध की संवेदनशीलता और गंभीरता, महिलाओं की गरिमा और सामाजिक स्थिति, अवैध धर्म परिवर्तन और जनसांख्यिकीय परिवर्तन में विदेशी और राष्ट्र विरोधी तत्वों को ध्यान में रखते हुए, यह महसूस किया गया है कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम में प्रदान किए गए जुर्माने और दंड की राशि को बढ़ाया जाना चाहिए और जमानत की शर्तों को और भी कठोर बनाया जाना चाहिए. अधिनियम के मौजूदा दंडात्मक प्रावधान नाबालिग, विकलांग, मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित व्यक्ति के संबंध में धार्मिक रूपांतरण और सामूहिक धर्मांतरण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, इसलिए उपरोक्त अधिनियम में संशोधन करने की आवश्यकता है.
विधेयक में प्रस्तावित प्रमुख परिवर्तन इस प्रकार हैं:
- इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा अधिनियम किसी भी पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई, बहन, विवाह या गोद लेने से संबंधित किसी भी व्यक्ति को अवैध धर्मांतरण के मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने की अनुमति देता है, विधेयक इस प्रावधान के दायरे को बढ़ाकर “किसी भी व्यक्ति” को शामिल करता है. इसमें कहा गया है, “अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन से संबंधित कोई भी जानकारी कोई भी व्यक्ति दे सकता है.”
- विधेयक में नए प्रावधान में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो धर्म परिवर्तन कराने के इरादे से किसी व्यक्ति को डराता है, हमला करता है या बल का प्रयोग करता है. विवाह का वादा करता है या फिर उकसाता है, किसी नाबालिग, महिला या व्यक्ति की तस्करी करने या अन्यथा उन्हें बेचने के लिए षड्यंत्र रचता है या प्रेरित करता है या इस संबंध में उकसाता है, या फिर षड्यंत्र करता है, उसे कम से कम 20 वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.
- इस धारा के तहत लगाया गया जुर्माना पीड़ित को चिकित्सा व्यय और पुनर्वास के लिए दिया जाएगा. विधेयक में कहा गया है, "अदालत आरोपी द्वारा धर्म परिवर्तन के पीड़ित को देय उचित मुआवज़ा भी स्वीकृत करेगी, जो 5 लाख रुपये तक हो सकता है, जो जुर्माने के अतिरिक्त होगा."
- विधेयक में एक अन्य प्रावधान यह भी है कि जो कोई भी व्यक्ति अवैध धर्म परिवर्तन के संबंध में किसी विदेशी या अवैध संस्था से धन प्राप्त करता है, उसे कम से कम सात वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे 14 वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा और उसे न्यूनतम 10 लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा.
- विधेयक के अनुसार, जो कोई भी नाबालिग, विकलांग या मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के संबंध में प्रावधान का उल्लंघन करता है, उसे 14 साल तक के कठोर कारावास का सामना करना पड़ेगा, और उसे कम से कम 1 लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा. मौजूदा अधिनियम में 10 साल तक की सजा का प्रावधान है, जबकि न्यूनतम जुर्माना 25,000 रुपये निर्धारित किया गया है.
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