
- केंद्र सरकार संसद में तीन विधेयक पेश करने जा रही है.
- कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ये विधेयक विपक्षी सीएम को मनमाने गिरफ्तारी के बाद पद से हटाने के लिए लाए जा रहे हैं
- कांग्रेस ने कहा कि विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी बिना दिशानिर्देश के अनुचित और राजनीतिक उद्देश्य से की जा रही है
केंद्र सरकार आज संसद में तीन विधेयक लाने की तैयारी में है. इन विधेयकों में केंद्र शासित संसोधन विधेयक और संविधान का 130वां संशोधन विधेयक बेहद खास माना जा रहा है. इन विधेयक की मदद से पीएम से लेकर प्रदेशों के सीएम और किसी भी मंत्री को आपराधिक आरोपों की वजह से पद से हटाने का अधिकार होगा. इन विधेयकों को आज संसद में पेश किया जाना है लेकिन कांग्रेस इनके पेश होने से पहले ही इन विधेयकों का विरोध करना शुरू कर चुकी है.
कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार के मुख्यमंत्रियों को ‘‘पक्षपाती'' केंद्रीय एजेंसियों द्वारा ‘‘मनमाने ढंग'' से गिरफ्तार कराने के बाद, उन्हें तुरंत पद से हटाकर विपक्ष को अस्थिर करने के लिए कानून लाने की मंशा के तहत ये काम करना चाह रही है.
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि केंद्र सरकार विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हरा पाने में विफल रहने के बाद उन्हें हटाने के लिए ऐसा कानून लाना चाहती है.उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि यह कैसा दुष्चक्र है! गिरफ्तारी के लिए किसी दिशानिर्देश के पालन की आवश्यकता नहीं! विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां अनियंत्रित और अनुचित. सिंघवी ने यह भी कहा कि प्रस्तावित कानून गिरफ्तारी के तुरंत बाद मौजूदा मुख्यमंत्री को हटाने का प्रावधान करता है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्ष को अस्थिर करने का सबसे अच्छा तरीका पक्षपाती केंद्रीय एजेंसियों को विपक्षी मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार करने के लिए लगाना है और उन्हें चुनावी तौर पर हराने में असमर्थ होने के बावजूद, मनमाने ढंग से गिरफ्तार करके उन्हें हटाना है! सत्तारूढ़ दल के किसी भी मौजूदा मुख्यमंत्री को कभी भी हाथ नहीं लगाया गया! उधर, इन विधेयकों को लेकर लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा था कि इन विधेयकों का उद्देश्य बिहार में राहुल गांधी की 'वोट अधिकार यात्रा' से लोगों का ध्यान भटकाना है.
गोगोई ने अपने आरोपों को लेकर एक्स पर एक पोस्ट भी किया था. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि गृह मंत्री अमित शाह के ये विधेयक राहुल गांधी की धमाकेदार वोट अधिकार यात्रा से जनता का ध्यान भटकाने की एक हताश कोशिश के अलावा और कुछ नहीं हैं. पहले सीएसडीएस-भाजपा आईटी प्रकोष्ठ का नाटक और अब ये विधेयक. साफ है कि बिहार में बदलाव की हवा बह रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को लोकसभा में इन तीनों विधेयकों को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव भी पेश करेंगे.
क्या है केंद्र शासित संशोधन विधेयक
आपको बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन विधेयक, 2025 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, केंद्र शासित अधिनियम, 1963 (1963 का 20) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं, जिसके तहत सीएम या मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी और हिरासत के बाद हटाया जा सके. यही वजह है कि इस कानून की धारा 45 में संसोधन कर ऐसी स्थिति के लिए कानूनी प्रावधान करना जरूरी है. ये विधेयक उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है.
संविधान का 130वां संशोधन क्या है
अब बात करते हैं संविधान के 130वें संशोधन की. इसके तहत संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 के उद्देश्यों में कहा गया है कि संविधान में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी मंत्री को गंभीर आरोपों में गिरफ्तारी और हिरासत की स्थिति में हटाया जा सके. इसलिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239एए में संसोधन कर पीएम या केंद्रीय मंत्री और राज्यों व दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का प्रावधान जोड़ना जरूरी है. साथ ही नए प्रावधानों के तहत यदि कोई मंत्री, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या राज्यों को मंत्री शामिल हैं, को पांच साल या उससे अधिक की अवधि की सजा वाले अपराध के लिए लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है, तो उसे पद से हटाया जा सकता है.
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