महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शनिवार को सिंधुदुर्ग जिले में एक हवाई अड्डे का उद्घाटन करते हुए मंच साझा किया. यह एक नियमित सार्वजनिक कार्यक्रम होना चाहिए था, लेकिन एक समस्या भी थी. अगस्त में ठाकरे की सरकार ने राणे (शिवसेना के एक पूर्व नेता) को मुख्यमंत्री की "भारत की आजादी के वर्ष की अज्ञानता" पर आलोचनात्मक टिप्पणियों को लेकर गिरफ्तार कर लिया था. राणे सिंधुदुर्ग से हैं. साल 1990 में यहां से पहली बार विधायक चुने जाने के बाद क्षेत्र में अपने योगदान को उजागर करने के लिए राणे ने इस अवसर को हाथ से नहीं जाने दिया.
नारायण राणे ने कहा कि शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बाल ठाकरे के निर्देशों के तहत उन्हें सिंधुदुर्ग का जिम्मा दिया गया था. उनके प्रयासों के कारण कोंकण क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का विकास हुआ. इस पर तिलमिलाए उद्धव ठाकरे (बाल ठाकरे के बेटे) ने राणे को याद दिलाया - "बालासाहेब ठाकरे को झूठ बोलना पसंद नहीं था ... कई बार ऐसे लोगों को शिवसेना से बाहर कर दिया गया था. वह (बाल ठाकरे) कहते थे, 'भले ही सच हो कड़वा, कृपया उसे कहो."
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मुख्यमंत्री ठाकरे इसी पर नहीं रुके. उन्होंने दूसरी व्यंग्यात्मक चोट करते हुए विख्यात सिंधुदुर्ग किले का उल्लेख किया और लोगों को याद दिलाया कि इसे शिवाजी ने बनाया था. उन्होंने चुटकी ली कि "... या कोई कहेगा कि मैंने किया."
उद्धव ठाकरे ने कहा, "आप (राणे) मंत्री हैं... तो क्या हुआ अगर यह (राणे का पद) 'सूक्ष्म और लघु' है. यह एक महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो है, और आप इसका उपयोग महाराष्ट्र को लाभ पहुंचाने के लिए कर सकते हैं." केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे वर्तमान में चिकित्सा के आधार पर जमानत पर हैं.
राणे की टिप्पणी को लेकर उनकी गिरफ्तारी हुई थी. 20 वर्षों में पहली बार एक केंद्रीय मंत्री को हिरासत में लिया गया था. पूर्व सहयोगी शिवसेना और भाजपा के बीच इससे एक और विवाद शुरू हो गया.
राणे की टिप्पणी भी मुंबई के नगरीय निकाय बीएमसी के चुनाव से कुछ समय पहले आई थी और शिवसेना ने तुरंत दावा किया कि वह मतदाताओं को भड़काने की कोशिश कर रहे थे.
(PTI के इनपुट के साथ)
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