उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग पर आनेवाली दुकानों, ढाबों और रेस्टोरेंट संचालकों के नेम प्लेट लगाने के आदेश को लेकर सियासत जारी है. विपक्षी दलों के नेता यूपी सरकार पर निशाना साधते हुए इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. वहीं अब रालोद सांसद और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "यह कोई सोच-समझकर लिया गया और तर्कपूर्ण फैसला नहीं लगता है. किसी भी फैसले से समुदाय की भलाई और समुदाय में सद्भाव की भावना को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए. कांवड़ यात्रा पर जाने वाले और उनकी सेवा करने वाले सभी लोग एक जैसे हैं. यह परंपरा शुरू से चली आ रही है और किसी ने नहीं देखा कि उनकी सेवा कौन कर रहा है. विपक्ष क्या कह रहा है, मेरा उससे कोई लेना-देना नहीं है..."
#WATCH | On 'nameplates' on food shops on the Kanwar route in UP, RLD MP & Union Minister Jayant Chaudhary says, "It doesn't appear to be well thought out and well-reasoned decision. Any decision shouldn't cause harm to the sense of well-being of the community and harmony in the… pic.twitter.com/ULYQdKy8de
— ANI (@ANI) July 21, 2024
मुलायम सिंह यादव की सरकार में लागू हुआ था कानून: BJP
दूसरी ओर भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने यूपी सरकार के इस फैसले को लेकर एक पोस्ट किया और लिखा 'ये कानून 2006 में लागू किया गया, उस समय मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, सोनिया गांधी एनएसी की चेयरपर्सन और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. अगर ये कानून भेदभाव को बढ़ावा देता है, तो इसके पोषक कांग्रेस और सपा के नेता हैं. कांवड़ यात्रा शिवभक्तों की अपने आराध्य के प्रति आस्था एवं भक्ति का प्रतीक है. कांवड़ लेकर जाने वालों में बहुत बड़ी संख्या दलित समाज के लोगों की है. ऐसे में ये कहना कि ये कानून दलितों एवं अन्य किसी धर्म के प्रति भेदभावपूर्ण है, सर्वथा अनुचित है. जो लोग इस कानून की आड़ में दलितों एवं मुसलमानों को एक दर्जे पर रखने का प्रयास कर रहे हैं, वो भीम-मीम की राजनीति के द्योतक हैं और बाबा साहेब के विचारों की अवहेलना कर रहे हैं. दलित और मुसलमान कभी भी सामाजिक रूप से एक नहीं रहे हैं और इनको साथ लाने का प्रयास मात्र चुनावी समीकरण साधने का प्रयास है. दलित समाज को ऐसे अवसरवादी नेताओं को दूर रखना चाहिए.''
बता दें कि यूपी की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार में दुकानों पर नेम प्लेट लगाने का कानून लागू हुआ था और यूपीए सरकार ने इस बिल को पास किया था. ये नियम 2006 में ही बनाए गए थे, इसमें कहा गया था कि सभी दुकानदारों, ढाबा मालिकों को अपने नाम के साथ-साथ पता और लाइसेंस नंबर भी लिखना चाहिए.
उत्तराखंड ने भी दिया नेम प्लेट का आदेश
उत्तर प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड सरकार ने भी 22 जुलाई से शुरू होने वाली कावड़ यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले होटलों, ढाबों और खाने-पीने से जुड़े रेहडी-ठेले वालों को अपनी दुकानों के आगे अपने नाम और पते का बोर्ड लगाने का आदेश दिया है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 22 जुलाई से उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो जाएगी. हमने 12 जुलाई को कांवड़ यात्रा को लेकर एक बैठक की थी, जिसमें नेम प्लेट लगाने को लेकर फैसला कर लिया गया था. कुछ लोगों की तरफ से कहा गया था कि जो ठेले या दुकानें लगाते हैं, वह नाम और अपनी पहचान छिपाकर कारोबार करते हैं. इसलिए ये फैसला लिया गया. (आईएएनएस इनपुट के साथ)
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