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साम्यवाद या समाजवाद का बेलगाम एजेंडा आज संविधान में नहीं': सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन, महाराष्ट्र की अपीलों पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 1986 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट एक्ट (म्हाडा) में अध्याय 8-ए की शुरूआत पर सवाल उठाया गया था.

साम्यवाद या समाजवाद का बेलगाम एजेंडा आज संविधान में नहीं': सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:

मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली 9 जजों की संविधान पीठ मंगलवार को इस संवैधानिक सवाल पर फैसला सुनाएगी कि क्या सरकार को निजी संपत्ति अधिग्रहित कर उनका पुनर्वितरण करने का अधिकार है या नहीं. ⁠संविधान पीठ अनुच्छेद 39(बी) के प्रावधानों को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस अनुच्छेद में जनहित के लिए संपत्ति के पुनर्वितरण से संबंधित है.

लोकसभा 2024 चुनावों के बीच कांग्रेस और बीजेपी के बीच बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक पूरी तरह से असंबद्ध मामले की सुनवाई में कहा कि आज के समय में, संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) और (सी) को एक परिभाषा के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, जो साम्यवाद या समाजवाद, का बेलगाम एजेंडा देता है क्योंकि ये आज हमारा संविधान नहीं है. 

वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश एसजी तुषार मेहता ने कहा कि जिस सवाल पर वह अदालत की सहायता कर रहे हैं वह यह है कि क्या कोई निजी संपत्ति अनुच्छेद 39 के तहत आएगी? उन्होंने अनुच्छेद 39 के बारे में अपनी धारणा के बारे में विस्तार से बताया.

सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन, महाराष्ट्र की अपीलों पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 1986 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट एक्ट (म्हाडा) में अध्याय 8-ए की शुरूआत पर सवाल उठाया गया था, जिसके द्वारा राज्य 1 सितंबर 1, 1940 से पहले निर्मित संपत्तियों का अधिग्रहण कर सकता था और ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों द्वारा कब्जा कर लिया गया.

कानून बनाते समय, राज्य ने जीर्ण-शीर्ण इमारत को संरक्षित करने या इमारत के पुनर्निर्माण के लिए संरचनात्मक सुधार करने के हित में अनुच्छेद 39 (बी) का हवाला दिया. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान की व्याख्या इस बात पर ध्यान देने के लिए की जानी चाहिए कि भारत आज क्या है और भारत कल किस ओर बढ़ रहा है.

राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में अनुच्छेद 39 (बी) कहता है कि "राज्य, विशेष रूप से, अपनी नीति को यह सुनिश्चित करने की दिशा में निर्देशित करेगा कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाए कि आम भलाई की पूर्ति हो सके.

अनुच्छेद 39(सी) में कहा गया है कि "आर्थिक प्रणाली के संचालन के परिणामस्वरूप सामान्य हानि के लिए धन और उत्पादन के साधनों का संकेंद्रण नहीं होता है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अनुच्छेद 39 के विस्तार का उल्लेख किया और कहा कि जिस प्रश्न में वह अदालत की सहायता कर रहे हैं वह यह है कि क्या निजी संपत्ति  अनुच्छेद 39 के अंतर्गत आएगी? उन्होंने अनुच्छेद 39 के बारे में अपनी धारणा के बारे में विस्तार से बताया.

समुदाय की सामग्री का स्वामित्व और नियंत्रण आम भलाई के लिए सर्वोत्तम रूप से वितरित किया जाता है. मेरे प्रस्तुतीकरण में प्रत्येक शब्द एक कल्याणकारी राज्य के निर्माण से जुड़ा है. स्वामित्व और नियंत्रण का अनिवार्य रूप से मतलब है कि कुछ ऐसा जो सरकार का नहीं है लेकिन आम हित के व्यापक हित में एक कानून पारित किया जा सकता है. मेहता ने कहा, उन्होंने अनुच्छेद 39 (बी) में शब्दों का विश्लेषण करने का प्रस्ताव रखा है. जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि सवाल यह है कि क्या समुदाय का स्वामित्व भी एक व्यक्ति के स्वामित्व के बराबर है, या समुदाय के स्वामित्व में संपत्ति का व्यक्तिगत स्वामित्व भी शामिल है? क्या समुदाय का मतलब एक व्यक्ति है? 

दरअसल ये मसला और भी महत्वपूर्ण हो गया था जब 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हैदराबाद की चुनावी रैली में 'जितनी आबादी उतना हक' का नारा देते हुए देश में आर्थिक-सामाजिक सर्वे कराने की बात कही थी.

उन्होंने कहा, अगर पार्टी जीतकर सत्ता में आई तो देश में जातिगत जनगणना के साथ आर्थिक सर्वे भी कराया जाएगा ताकि पता लगाया जा सके कि किसके पास कितना पैसा पहुंच रहा है. यानी कि देश की अधिकतर संपत्ति पर किसका कंट्रोल है. ⁠कांग्रेस पार्टी ने भी  कहा था कि इन्हीं आंकड़ों के आधार पर जनता को योजनाओं का लाभ दिया जाएगा. 9 जज संविधान पीठ के फैसले की लाइव स्ट्रीमिंग होगी.

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