उबर कैब रेप के आरोपी शिव कुमार यादव के तेवर बरकरार हैं। तीस हजारी कोर्ट में जज के पूछने पर उसने पुलिस को एक बार फिर पाम प्रिंट देने से इनकार कर दिया, लेकिन कोर्ट ने इसे कानूनी बाध्यता बताते हुए उसके पंजे के प्रिंट दिलवाए।
हालांकि सवाल यह भी है कि इतने अहम केस में ये प्रिंट पहले क्यों नहीं लिए गए। इस मामले में 24 दिसंबर को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
शुक्रवार को आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, तो दिल्ली पुलिस ने उसके पंजे के प्रिंट लेने की अर्जी लगाई। कोर्ट के पूछने पर शिव कुमार कुमार ने इससे साफ इनकार करते हुए कहा कि पुलिस पहले ही फिंगर प्रिंट ले चुकी है, लेकिन कोर्ट ने कहा कि इसके लिए कानून में प्रावधान है और वह इसे मानने के लिए बाध्य है। फिर कोर्ट में ही उसके प्रिंट लिए गए।
कोर्ट ने कहा कि यह मामला संवेदनशील है और इसकी सुनवाई फास्ट ट्रैक होगी। इसके बाद चार्जशीट की कॉपी आरोपी के वकील को दे दी गई। कोर्ट ने 5 जनवरी तक आरोपी की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी है और इसी दिन मामले की अगली सुनवाई होगी।
इस बीच कोर्ट में मौजूद आरोपी शिव कुमार की पत्नी ने अपने पति को बेकसूर बताया और वह बेहोश होकर गिर पड़ी।
चूंकि इस मामले में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है, इसलिए चार्जशीट पर संज्ञान लेने के बाद मामले को सेशन कोर्ट में भेजा जाएगा।
इस मामले में शिव कुमार ने सरकारी वकील की मांग की थी, लेकिन अब उसके लिए एक वकील केस लड़ने को राजी हो गया है।
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