कोलकाता के जाने-माने साउथ पॉइंट स्कूल की पहचान हालिया तौर पर यह थी कि नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी स्कूल के पूर्व छात्र हैं. अब, स्कूल को अपनी नई उपलब्धि पर उतना ही गर्व है. इस साल 10वीं की बोर्ड परीक्षा में स्कूल के दो छात्रों ने बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए हैं. 18 वर्षीय महादेव बागल के 83.6 प्रतिशत और रोहित मंडी के 74 प्रतिशत अंक आए हैं. हालांकि, साउथ प्वाइंट आमतौर पर इससे बेहतर प्रदर्शन करता है. यहां तक कि इस साल सीबीएसई की परीक्षाओं में स्कूल के टॉपर के 99.4 प्रतिशत अंक आए हैं. तो आखिर स्कूल के लिए बड़ी बात क्या है?
इसका जवाब पाने के लिए आपको कोलकाता से 209 किमी पश्चिम में बेलपहाड़ी जाना होगा. स्कूल के छात्र रोहित मंडी यहीं से आते हैं. जबकि महादेव गिदनी से लगभग 25 किमी दूर के रहने वाले हैं. ये छात्र बंगाल के जनजातीय समूह से संबंध रखते हैं और जंगलमहल में बड़े हुए हैं जो कि एक वक्त में माओवादी गतिविधियों का केंद्र भी था.
रोहित के पिता एक बैंक कर्मचारी हैं जबकि महादेब के पिता मेहनत-मजदूरी करते हैं. दोनों छात्र 2015 में कक्षा 6 में बेलपहाड़ी एससी स्कूल में साथ पढ़ते थे. इसके बाद दोनों छात्रों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कहने पर रोहित और महादेव और इस पिछड़े इलाके के नौ अन्य छात्रों को कोलकाता भेजा. खास बात यह कि उनमें से कोई भी पहले शहर कभी नहीं गया था. छात्रों का दाखिला साउथ पॉइंट स्कूल में कराया गया जो कि शहर का सबसे नामी स्कूल है.
रोहित ने कहा, "मैं अंग्रेजी में वाक्य नहीं बना सकता." इसलिए मुझे इतिहास और भूगोल पढ़ने में खासी दिक्कत हुई.
महादेव ने कहा,"मैं (अंग्रेजी) शब्दों को समझ सकता था लेकिन बोल नहीं पाता था, यह सच में मुश्किल था." ये दो छात्र साल्ट लेक में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के बच्चों के लिए सरकार द्वारा संचालित छात्रावास में रहे. सरकार ने उनके लिए भाषा और अन्य विषयों के ट्यूशन आयोजित किए. कक्षा 7वीं में छात्रों का खासी मुश्किल पेश आई. लेकिन कक्षा 8 तक उन्हें इंग्लिश आ ही गई.
महादेव के बोर्ड में अंग्रेजी में 91 प्रतिशत और रोहित के 83 प्रतिशत अंक आए हैं. दोनों छात्र कक्षा 11वीं और 12वीं की पढ़ाई भी साउथ पॉइंट स्कूल से जारी रखेेंगे. दोनों साइंस पढ़ना चाहते हैं. महादेब कंप्यूटर इंजीनियर तो रोहित एक आईएएस अधिकारी बनना चाहता हैं. हालांकि दोनों को साइंस स्ट्रीम में सीट नहीं पाई है और टीचरों ने उन्हें कॉमर्स लेने के लिए कहा है.
कोरोनावायरस महामारी के चलते दोनों अभी तक स्कूल नहीं लौट सके हैं. इसलिए वे ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं. इंटरनेट कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है. रोहित जैसे तैसे इंतजाम कर लेते हैं लेकिन महादेव को मुश्किल पेश आ रही है. महादेब जहां रहते हैं वहां बिजली एक बड़ी समस्या है ,उनके फोन की बैटरी अक्सर खत्म हो जाती है और कनेक्टिविटी बहुत खराब है. कभी-कभी इंटरनेट लिंक खोजने के लिए उन्हें कुछ किलोमीटर तक चलना पड़ता है.
साउथ प्वाइंट स्कूल को दोनों लड़कों पर बहुत गर्व है. प्रिंसिपल रूपा सान्याल भट्टाचार्य ने कहा, "इस बात को लेकर चिंता थी कि लड़के स्कूल में एडजस्ट कैसे करेंगे." महादेव और रोहित स्कूल रोइंग क्लब में शामिल हुए और बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. उनकी कक्षा 11वीं और 12वीं में भी रोइंग के साथ जारी रखने की योजना है. दोनों छात्रों ने कहा,"हमें स्कूल में कोई समस्या नहीं हुई. छात्र और शिक्षक बहुत सहायक थे."
बता दें कि महादेब कविता भी लिखते हैं. रोहित ने कहा, "वे बहुत अच्छी कविता लिखते हैं." रोहित को क्रिकेट खेलना पसंद है. यहां तक कि उन्होंने साल्ट लेक में पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली द्वारा स्थापित क्रिकेट अकादमी में भी दाखिला लिया. लेकिन उसके माता-पिता फीस का भुगतान जारी रखने में असमर्थ थे. तो वह बंद हो गया है. लेकिन दोनों लड़के अपने भविष्य को लेकर उत्साहित हैं.
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