प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने गुरुवार को उन दो सिख उग्रवादियों को जमानत दे दी, जिन पर 1981 में एयर इंडिया विमान को हाईजैक करने का आरोप था. अपहरण के बाद विमान को जबरन लाहौर में उतारा गया था. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ज्योति क्लेर ने तेजिंदर पाल सिंह और सतनाम सिंह को जमानत दे दी और उन्हें दो लाख का निजी बांड तथा जमानत राशि भरने का आदेश दिया.
इसके साथ ही अदालत ने उन्हें सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करने और न ही गवाहों को प्रभावित करने का निर्देश दिया. इससे पहले, अदालत ने उन्हें मंगलवार को दो दिन के लिए अंतरिम जमानत दी थी.
उल्लेखनीय है कि 29 सितंबर, 1981 को दोनों ने कथित तौर पर नई दिल्ली से अमृतसर होते हुए श्रीनगर जाने वाले एयर इंडिया के विमान का अपहरण कर लिया गया था और इसे जबरन लाहौर में उतारा गया था. इस मामले में पाकिस्तान की अदालत ने तेजिंदर और सतनाम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. सजा पूरी होने के बाद दोनों को वर्ष 2000 में पाकिस्तान से बाहर कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने इस मामले से मुक्ति देने की मांग की थी, लेकिन एक सत्र अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी.
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वर्ष 2011 में दिल्ली पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने), 121 ए (राज्य के खिलाफ कुछ अपराध करने का षडयंत्र), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप तय किए गए थे.
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने सत्र न्यायालय के फैसले पर स्थगन की मांग भी की थी, लेकिन याचिका खारिज कर दी गई और निचली अदालत से इस मामले की सुनवाई को आगे बढ़ाने के लिए कहा.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इसके साथ ही अदालत ने उन्हें सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करने और न ही गवाहों को प्रभावित करने का निर्देश दिया. इससे पहले, अदालत ने उन्हें मंगलवार को दो दिन के लिए अंतरिम जमानत दी थी.
उल्लेखनीय है कि 29 सितंबर, 1981 को दोनों ने कथित तौर पर नई दिल्ली से अमृतसर होते हुए श्रीनगर जाने वाले एयर इंडिया के विमान का अपहरण कर लिया गया था और इसे जबरन लाहौर में उतारा गया था. इस मामले में पाकिस्तान की अदालत ने तेजिंदर और सतनाम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. सजा पूरी होने के बाद दोनों को वर्ष 2000 में पाकिस्तान से बाहर कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने इस मामले से मुक्ति देने की मांग की थी, लेकिन एक सत्र अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी.
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वर्ष 2011 में दिल्ली पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने), 121 ए (राज्य के खिलाफ कुछ अपराध करने का षडयंत्र), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप तय किए गए थे.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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