मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में शनिवार तड़के सुरक्षा बलों के एक शिविर पर सशस्त्र समूह के हमले में एक सब-इंस्पेक्टर सहित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के दो जवानों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि एक संदिग्ध कुकी सशस्त्र समूह ने मोइरांग थाने के तहत नारायणसेना के मैतेई गांव में गोलीबारी की और बम फेंके. एक बम सीआरपीएफ की 128 बटालियन की चौकी के अंदर फट गया, जिससे चार कर्मी घायल हो गए.
सब-इंस्पेक्टर एन. सरकार (55) और हेड कांस्टेबल अरूप सैनी (40) ने बाद में दम तोड़ दिया, जबकि इंस्पेक्टर जादव दास और कांस्टेबल आफताब हुसैन का नजदीकी अस्पताल में इलाज चल रहा है. सरकार असम के कोकराझार के रहने वाले थे, जबकि सैनी पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले निवासी थे.
अधिकारी ने कहा कि अतिरिक्त सुरक्षा बलों को घटनास्थल पर भेजा गया है. अपराधियों का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, जिनके पास गृह विभाग भी है, ने हमले की कड़ी निंदा की. उन्होंने ट्वीट किया, “भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं, जिसमें बिष्णुपुर जिले के नारायणसेना इलाके में सीआरपीएफ के दो जवानों की दुःखद मौत हो गई. इस तरह की कार्रवाइयां उन समर्पित सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ कायरता को प्रदर्शित करती हैं जो राज्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दिन-रात अथक परिश्रम करते हैं. उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.”
इस बीच, मणिपुर में आदिवासी संगठनों ने हमले के लिए कुकी उग्रवादियों को जिम्मेदार ठहराने के लिए पुलिस और मीडिया की आलोचना की है. राज्य के दो प्रमुख आदिवासी संगठनों इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) और कुकी इंपी मणिपुर (केआईएम) ने दावा किया कि हमले के लिए 'घाटी-आधारित विद्रोही समूह' जिम्मेदार थे.
तीन दिन पहले 24 अप्रैल को एक शक्तिशाली आईईडी विस्फोट में मणिपुर के कांगपोकपी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर एक महत्वपूर्ण पुल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे नागालैंड के माध्यम से मणिपुर और देश के बाकी हिस्सों के बीच यातायात बंद हो गया था.
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