नई दिल्ली: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर से आए युवाओं के एक समूह के साथ बातचीत की. यह केंद्र के 'अपने नेता को जानें' कार्यक्रम का हिस्सा था। पीएम मोदी की युवओं के साथ ये बातचीत बेहद इंट्रेस्टिंग रही. युवाओं को हल्के-फुल्के अंदाज में बेहद गंभीर बातों को पीएम मोदी ने बताया. पीएम मोदी ने बातचीत की शुरुआत में युवाओं से पूछा कि आपने नेताजी के जीवन पर गहराई से अध्ययन किया होगा? हालांकि, आजकल लोग गहराई से कम और गूगल से ज्यादा अध्ययन करते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं से पूछा कि कौन यहां मौजूद सबसे ज्यादा लोगों के राज्य और नाम बता सकता है? इसके बाद एक युवा ने कई लोगों के राज्यों का नाम बताया. पीएम मोदी ने कहा कि जब भी हम किसी शख्स से मिलते हैं, तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए. उसके बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए. उसका नाम, चेहरा, राज्य आदि को याद रखने की कोशिश करनी चाहिए. जब हम ऐसा करते हैं, तो उससे अगर पांच साल बाद भी मिलते हैं, तो उससे जुड़ी बातों को याद कर अपनेपन का अहसास करा सकते हैं. इससे लोगों को आपसे जुड़ाव महसूस होता है.
उन्होंने पूछा कि नेताजी की वो कौन-सी चीज है, जो आप जीवन में लाना चाहेंगे? इस पर एक युवती ने कहा कि वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की संगठन क्षमता को सीखना चाहेंगी. नेताजी ने दुनियाभर के भारतीयों को संगठित कर अंग्रेजों से लड़ाई की, वैसे ही हम सभी चाहे वो किसी भी राज्य पंजाब, जम्मू-कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल से हों, मिलकर देश की समस्याओं से लड़ें. इस युवती ने कहा कि सर मैं 2015 से हर रोज आपसे सपनों में बात करती हूं. आज ये सपना सच हो गया है. इसलिए सपने सभी को देखने चाहिए. मेरा सपना आज पूरा हो गया. मैं आपके सामने हूं."
पीएम मोदी ने युवाओं से पूछा कि आज आप जिस सेंट्रल हॉल में बैठे थे, क्या उसका महत्व और इतिहास जानते हैं? इस सवाल के जवाब में एक लॉ स्टूडेंट ने कहा, "सर, देश के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यहीं भारत का संविधान तैयार हुआ था. एक लॉ स्टूडेंट होने के नाते मेरे लिए यह बेहद महत्व रखता है." पीएम मोदी ने बताया कि आप लोग सेंट्रल हॉल कि जिन सीटों पर बैठे थे, उन पर कोई न कोई महापुरुष बैठे थे, जो संविधान बनाकर गए हैं. आपको यह महसूस हो रहा था?
पीएम मोदी ने बताया कि महान नेताओं की जयंती पहले भी आती रही है. इस दिन हम कुछ लोग सेंट्रल हॉल में जाते थे, वहां उनसे जुड़े भाषणों को भी सुनने का मौका मिलता था. फिर विचार आया कि क्यों न देशभर से युवाओं को इन दिनों पर संसद में बुलाया जाए. ये कल्पना और कार्यक्रम आपको कैसा लगा? इस पर पंजाब से आई युवती परनीत ने कहा, "सर, यहां आकर हमको पता चला कि 'विविधता में एकता' क्या होती है. यहां संसद भवन की एक-एक सीढ़ी चढ़कर गर्व महसूस हो रहा था, ये सोचकर कि यहीं देश के महापुरुष चलते थे. यहीं से देश के लिए नीतियां बनती हैं. यहां आकर बहुत अच्छा लगा." वहीं, एक युवक ने कहा, "सबसे पहले मन में ये था कि हम संसद को देखेंगे. वो जगह देखेंगे जहां से पूरे भारत के निर्माण की सोच पैदा होती है."तमिलनाडु से आईं रुखसाना ने कहा, "यहां आना एक सपने के सच होने जैसा है, क्योंकि मैं महान देशभक्त सुभाष चंद्र बोस को बेहद मानती हूं. वह सही मायनों में देश के हीरो थे. वह मेरे आदर्श हैं. मैं उनके जैसा ही बनना चाहती हूं. मैं अपने आपको बेहद भाग्यशाली मानती हूं कि मुझे आप जैसे नेता से मिलने का मौका मिला, जो नेताजी की तरह राष्ट्रभक्त हैं."
पीएम मोदी ने कहा कि मेरा सभी युवाओं से निवेदन है कि आप जहां भी जाएं चीजों को बेहद बारीकी से देखें, समझें और कुछ नोट भी बनाने की कोशिश करें. हमारे चारों ओर बहुत कुछ हो रहा है. पढ़ने की भी आदत डालिए और हो सके, तो ऑटोबायग्राफी पढि़ए. सिर्फ नेताओं की ही नहीं, हर क्षेत्र के महान लोगों की जीवनियां पढि़ए. इससे आपको लोगों के जीवन संघर्ष और तप के बारे में जानने का मौका मिलेगा. इससे आपको प्रेरणा भी मिलेगी उनके जैसा बनने की.
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