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This Article is From Feb 19, 2017

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर देशभर में कई कार्यक्रम, प्रधानमंत्री ने किया नमन

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर देशभर में कई कार्यक्रम, प्रधानमंत्री ने किया नमन
शिवाजी महाराज ने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी
नई दिल्ली: देश आज शिवाजी महाराज की जयंती मना रहा है. उनकी जयंती पर देशभर में खासकर महाराष्ट्र में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मराठी भाषा में संदेश लिखकर शिवाजी महाराज को नमन किया. छत्रपति शिवाजी महाराज या शिवाजी राजे भोसले भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे. इन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी.

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. उनकी माता जीजाबाई तथा पिता शाहजी भोंसले थे. उनका जन्म शिवनेर दुर्ग में हुआ था. शिवाजी कई कलाओं में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी.

माता जीजाबाई धार्मिक स्वभाव वाली होते हुए भी गुण-स्वभाव और व्यवहार में वीरंगना नारी थीं. उन्होंने अपने बेटे का पालन-पोषण रामायण, महाभारत तथा अन्य भारतीय वीरों की उज्ज्वल कहानियां सुना कर और शिक्षा देकर किया. शिवाजी महाराज का विवाह 14 मई, 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल, पुना में हुआ था.

शिवाजी की पैतृक जायदाद बीजापुर के सुल्तान द्वारा शासित दक्कन में थी. बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों के हाथों सौंप दिया था. 16 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते उन्हें विश्वास हो गया कि हिन्दुओं की मुक्ति के लिए संघर्ष करना होगा. शिवाजी ने अपने विश्वासपात्रों को इकट्ठा कर अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी. जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो बीजापुर में अराजकता फैल गई. शिवाजी ने इस मौके लाभ उठाकर बीजापुर में प्रवेश करने का फैसला लिया. छोटी सी उम्र में ही उन्होंने टोरना किले का कब्जा हासिल कर लिया था.

1659 में आदिलशाह ने अपने सेनापति को शिवाजी को मारने के लिए भेजा. दोनों के बीच प्रतापगढ़ किले पर युद्ध हुआ. इस युद्ध में वे विजयी हुए. शिवाजी की बढ़ती ताकत को देखते हुए मुगल सम्राट औरंगजेब ने जय सिंह और दिलीप खान को शिवाजी को रोकने के लिए भेजा. उन्होंने एक समझौते पर शिवाजी से हस्ताक्षर करने को कहा. समझौते के मुताबिक उन्हें मुगल शासक को 24 किले देने होंगे.

समझौते के बाद शिवाजी आगरा के दरबार में औरंगज़ेब से मिलने के लिए गए. वह 9 मई, 1666 ई को अपने पुत्र शम्भाजी एवं 4000 मराठा सैनिकों के साथ मुग़ल दरबार में उपस्थित हुए, परन्तु औरंगज़ेब द्वारा उचित सम्मान न प्राप्त करने पर शिवाजी ने भरे हुए दरबार में औरंगज़ेब को विश्वासघाती कहा. इससे औरंगजेब ने उन्हें एवं उनके पुत्र को 'जयपुर भवन' में क़ैद कर दिया. शिवाजी 13 अगस्त, 1666 ई को फलों की टोकरी में छिपकर फ़रार हो गए और को रायगढ़ पहुंचे.
सन 1674 तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था, जो पुरन्दर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुग़लों को देने पड़े थे.

उन्होंने मराठाओं की एक विशाल सेना तैयार कर ली थी. उन्हीं के शासन काल में गुरिल्ला के युद्ध प्रयोग का भी प्रचलन शुरू हुआ. उन्होंने नौसेना भी तैयार की थी. भारतीय नौसेना का उन्हें जनक माना जाता है. अप्रैल 1680 को बीमार होने पर उनकी मृत्यु हो गई थी.

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