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This Article is From Sep 16, 2023

तमिलनाडु में तीन युवा ग्रेजुएट महिलाओं ने पुजारी का पेशा अपनाया

महिला पुजारियों को मामूली वेतन मिलेगा, लेकिन उनका मानना है कि ईश्वर उनकी जरूरतों को पूरा करेंगे

तमिलनाडु में तीन युवा ग्रेजुएट महिलाओं ने पुजारी का पेशा अपनाया
प्रतीकात्मक तस्वीर
चेन्नई:

मंदिरों में पूजा-पाठ कराने के कार्य में लैंगिक असमानता को दूर करने के प्रयास के तहत तीन युवा महिलाओं ने पुजारी का पेशा अपनाने का फैसला किया है, जिनमें से एक परिवार की पहली स्नातक सदस्य है जबकि दूसरी स्नातक और तीसरी परास्नातक (पोस्ट ग्रेजुएट) है. इस कार्य के लिए उन्हें मामूली वेतन मिलेगा, लेकिन उनके लिए यह बड़ा मुद्दा नहीं है, क्योंकि उनका मानना है कि ईश्वर उनकी जरूरतों को पूरा करेंगे.

दृश्य संचार में स्नातक एन रंजीता ने कहा, ‘‘ मैं चेन्नई की निजी कंपनी में काम कर रही थी और राज्य सरकार द्वारा सभी जाति की महिलाओं को पुजारी बनने का मौका देने की घोषणा की जानकारी मेरे मित्र ने दी.''

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘मैंने भगवान की सेवा करने को अहम माना और इसलिए पुजारी बनने का फैसला किया.'' रंजीता का परिवार तिरुवरुर जिले के नीदमंगलम का रहने वाला है और पेशे से किसान है. रंजीता परिवार में स्नातक करने वाली पहली सदस्य हैं.

उन्हीं की तरह एस रम्या गणित में परास्नातक हैं, जबकि एस कृष्णवेणी गणित में ही स्नातक हैं और दोनों ने मंदिर में सेवा करने का फैसला किया है. तीनों महिलाएं कुल 98 अर्चक (पुजारियों) में शामिल हैं, जिन्होंने सफलतापूर्वक एक साल का पाठ्यक्रम पूरा किया है. इनमें से शेष 95 पुजारी पुरुष हैं. इसका संचालन तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मादा विभाग ने किया.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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