डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा गुरमीत राम रहीम को 28 अगस्त को रोहतक कोर्ट में सजा सुनाई जाएगी.
नई दिल्ली:
अरबों की संपत्ति और अपने समर्थकों की ताकत के दम पर रेप जैसे वारदात को अंजाम देने वाला डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा गुरमीत राम रहीम सलाखों के पीछे है. स्वयंभू बाबा को इस मुकाम तक पहुंचाने में कई लोगों का योगदान रहा. सरकार और प्रशासन को अपनी मुट्ठी में रखने का दंभ भरने वाले बाबा की ताबूत में पहली कील उस बहादुर बेटी ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर ठोकी थी. इसके बाद जज, सीबीआई के अफसर, लगातार दबाव के बाद गवाही देने वाली बेटियों, पत्रकार रामचंद्र छत्रपति, पीड़ितों का केस लड़ने वाले वकील आदि के योगदान से बाबा राम रहीम को उसके अपराध की सजा मिली है. एनडीटीवी इस मामले की जांच करने वाले सीबीआई अफसर डीएसपी सतीश डागर, फैसला सुनाने वाले जज, पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बारे में पहले ही बता चुका है. अब हम आपको उन वकीलों के बारे में बता रहे हैं, जो पूरी बहादुरी के साथ कोर्टरूम में गुरमीत राम रहीम को अपराधी घोषित करने के लिए लड़े.
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पांच वकीलों ने दिया बहादुरी बेटियों का साथ: पीड़ित साध्वी ने 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को चिट्ठी लिखकर राम रहीम के अपराध के बारे में सरकार को अवगत कराया था. अब करीब 15 साल बाद राम रहीम दोषी करार दिया गया है. इस लंबी कानूनी लड़ाई में पांच वकीलों लेखराज ढोंट, अश्विनी बख्शी, आरएस चीमा और राजें सच्चर ने बहादुर बेटियों का साथ दिया.
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बिना फीस के बेटियों के लिए लड़े वकील: इस देश में जहां कई गरीब कोर्ट तक इसलिए नहीं पहुंच पाते हैं, क्योंकि उनके पास वकीलों को देने के लिए फीस के पैसे नहीं होते हैं. वहीं गुरमीत राम रहीम को काल कोठरी तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले पांच वकीलों ने पीड़ित बेटियों से केस की पैरवी करने के बदले कोई फीस नहीं ली.
VIDEO: साहसी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की कहानी, बेटे की जुबानी
बहादुर बेटियों को दिखाते रहे रास्ता: एनडीटीवी के कार्यक्रम प्राइम टाइम में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल ने बताया कि एक बार जब लड़ने का फैसला कर घर से निकले तो रास्ते में बहुत से अच्छे लोग मिले। तमाम दबावों के बाद भी कुछ लोगों ने हमारा और साध्वियों का ही साथ दिया था। लेखराज ढोंट, अश्विनी बख्शी, आरएस चीमा और राजें सच्चर जैसे वकीलों ने बिना पैसे के केस लड़ा. तमाम दबावों के बाद भी हमारा और साध्वियों का ही साथ दिया. इन पांचों वकीलों ने समय-समय पर बहादुर बेटियों को कानून की लड़ाई में संयम बनाए रखने के लिए प्रेरित किया.
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पांच वकीलों ने दिया बहादुरी बेटियों का साथ: पीड़ित साध्वी ने 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को चिट्ठी लिखकर राम रहीम के अपराध के बारे में सरकार को अवगत कराया था. अब करीब 15 साल बाद राम रहीम दोषी करार दिया गया है. इस लंबी कानूनी लड़ाई में पांच वकीलों लेखराज ढोंट, अश्विनी बख्शी, आरएस चीमा और राजें सच्चर ने बहादुर बेटियों का साथ दिया.
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बिना फीस के बेटियों के लिए लड़े वकील: इस देश में जहां कई गरीब कोर्ट तक इसलिए नहीं पहुंच पाते हैं, क्योंकि उनके पास वकीलों को देने के लिए फीस के पैसे नहीं होते हैं. वहीं गुरमीत राम रहीम को काल कोठरी तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले पांच वकीलों ने पीड़ित बेटियों से केस की पैरवी करने के बदले कोई फीस नहीं ली.
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बहादुर बेटियों को दिखाते रहे रास्ता: एनडीटीवी के कार्यक्रम प्राइम टाइम में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल ने बताया कि एक बार जब लड़ने का फैसला कर घर से निकले तो रास्ते में बहुत से अच्छे लोग मिले। तमाम दबावों के बाद भी कुछ लोगों ने हमारा और साध्वियों का ही साथ दिया था। लेखराज ढोंट, अश्विनी बख्शी, आरएस चीमा और राजें सच्चर जैसे वकीलों ने बिना पैसे के केस लड़ा. तमाम दबावों के बाद भी हमारा और साध्वियों का ही साथ दिया. इन पांचों वकीलों ने समय-समय पर बहादुर बेटियों को कानून की लड़ाई में संयम बनाए रखने के लिए प्रेरित किया.
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