साल दर साल मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुये, सरकार देश में हर साल एक जून को मानसून के दस्तक देने और एक सितंबर से इसकी वापसी शुरु होने की तारीखों में भी बदलाव करने पर विचार कर रही है. संपूर्ण भारत में बारिश के मौसम के लिये जिम्मेदार दक्षिण पश्चिम मानसून के सक्रिय होने और इसकी वापसी की तारीखों की समीक्षा के लिये गठित गाडगिल समिति की रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल मानसून का कार्यक्रम तय किया जाएगा. मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि आजादी के बाद 1950 के दशक में मौसम विभाग ने देश में दक्षिण पश्चिम मानसून के सक्रिय होने की तारीख एक जून और मानसून की वापसी शुरु होने की तारीख एक सितंबर निर्धारित की थी.
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महापात्रा ने बताया कि हर दस साल के अंतराल पर मानसून के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की समीक्षा होती है, लेकिन अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में मानसून की गति की समीक्षा के लिये गठित गाडगिल समिति बीते कुछ सालों से लगातार विलंबित मानसून के प्रभाव पर भी विचार कर रही है. उल्लेखनीय है कि जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप सर्दी, गर्मी और बारिश के मौसम की अवधि में भी बदलाव स्पष्ट रूप से दिख रहा है. जिसके कारण पिछले कुछ सालों से सर्दी और गर्मी का असर आमतौर पर देर से महसूस होना शुरू हो रहा है और यह असर अधिक समय तक रहता है. इसका सीधा प्रभाव मानसून की गतिविधियों पर भी पड़ा है. उन्होंने बताया कि भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून तय कार्यक्रम के मुताबिक केरल तट पर दस्तक देता है और लगभग तीन महीने तक इसके सक्रिय रहने के दौरान दक्षिण, मध्य, पूर्वी, उत्तर पूर्वी, पश्चिमी और उत्तरी राज्यों में बारिश होती है.
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एक सितंबर से पश्चिमी राजस्थान होते हुये इसकी वापसी शुरु हो जाती है। तय समयसीमा के तहत देश से 30 सितबंर तक सामान्यत: मानसून की पूरी तरह से वापसी हो जाती है। महापात्रा ने बताया कि पिछले साल मानसून विलंबित था, इसकी लगभग 20 दिन की देरी से वापसी हुयी थी। इस साल भी मानसून विलंबित चल रहा है और मौसम विभाग इसकी देर से वापसी का पूर्वानुमान व्यक्त कर चुका है. उन्होंने बताया कि अगर मानसून के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव की समिति सिफारिश करती है तो अगले साल मानसून की दस्तक और वापसी को बदली हुयी तारीखों के मुताबिक प्रभावी माना जाएगा. समझा जाता है कि मौसम के लगातार बदलते मिजाज को देखते हुये मानसून की नयी तारीखें तय किये जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. विभाग के अधिकारियों ने संशोधित समयसीमा के साथ मानसून की तारीखों में पांच से दस दिन के बदलाव की संभावना व्यक्त की है.
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