उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन नगर जोशीमठ में जमीन धंस रही है और इससे घरों में दरारें आती जा रही हैं. जोशीमठ में घर ढह रहे हैं और लोगों के सामने इस प्राकृतिक आपदा के कारण आसरा छिन जाने का संकट है. जोशीमठ में एक महिला ने एनडीटीवी से अपना दर्द बयां किया. उन्होंने कहा कि, ''मेरा दुनिया में कोई नहीं है. घर ही एक सहारा था, जब यही उजड़ जाएगा तो मेरा क्या होगा?''
जोशीमठ की निवासी बुजुर्ग महिला धनेश्वरी राणा ने बताया कि वे एक महिला शिक्षा सिलाई केंद्र चलाती हैं. उन्होंने कहा कि, ''मैं भूमिहीन हूं. यह घर दान में मिली जमीन पर बनाया है. पिछले 15 दिन से मेरे घर का गेट नहीं खुल रहा है. मेरा पूरा मकान गिरने वाला है. मैं अब कहां जाऊं?'' उन्होंने कहा कि, ''इस उम्र में कहीं रोजी रोटी भी नहीं मिलने वाली है. आप बताईए अब कौन मुझे अपने घर में रखेगा.''
सरकार ने जोशीमठ के प्रभावित लोगों का पुनर्वास करने की बात कही है. इससे संबंधित सवाल पर धनेश्वरी राणा ने कहा कि, ''जोशीमठ इतना बड़ा है, सरकार कहां इस शहर को लेकर जाएगी? जोशीमठ एक टापू में बसा हुआ है. ऊपर जाएं तो सेना बसी हुई है. आगे जाओ तो वहां भी आर्मी बसी हुई है. बद्रीनाथ के रोड की तरफ गरीब बसे हुए हैं. सरकार इतने लोगों को कहां आवास देगी?''
उन्होंने कहा कि, ''यह सीमांत क्षेत्र है, यहां चीन की बार्डर है, पूरे में आर्मी है. सरकार इसको कहां लेकर जाएगी? प्रधानमंत्री जी हर माह के अंतिम रविवार को मन की बात कहते हैं.. आज प्रधानमंत्री जी की हमारे लिए कोई आवाज नहीं है.''
उन्होंने कहा कि, ''यहां मेरी उम्र के कई लोग हैं जिनके पास रोजी रोटी का कोई साधन नहीं है. सरकार ने कहा था कि आप लोग होम स्टे खोल लो.. हमने उसमें पैसा लगा दिया. अब हम बैंक का पैसा कहां से देंगे?'' भविष्य को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि, ''हमारा कोई भविष्य नहीं है, हम लोग कभी भी जा सकते हैं.''
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