दुनिया भर में कोरोना को लेकर फिर से खतरे की घंटी बज रही है. हालांकि सेंट्रे के कोविड पैनल के प्रमुख एनके अरोड़ा ने एनडीटीवी से कहा है कि चीन में ताजा प्रकोप से घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत चीन से सही सूचना नहीं मिल पाने को लेकर सिर्फ एहतियाती तैयारी कर रहा है. लेकिन, यह स्पष्ट है कि चीन का प्रकोप वायरस के कॉकटेल के कारण है, जो स्थानीय महामारी साइंस के कारण अलग व्यवहार करते हैं.
उन्होंने कहा कि BF.7 वेरिएंट केवल 15 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है. 50 प्रतिशत मामले बीएन और बीक्यू सीरीज के हैं, वहीं एसवीवी वेरिएंट के 10 से 15 प्रतिशत मरीज हैं.
टीकों के जरिए हासिल की गई इम्यूनिटी और, पहली, दूसरी और तीसरी लहर के जरिए बड़े पैमाने पर संक्रमण के जरिए हासिल हाइब्रिड इम्युनिटी से भारत को फायदा हुआ है.
डॉक्टर अरोड़ा ने एक विशेष साक्षात्कार में एनडीटीवी को बताया कि चीन में इसकी अनुभवहीनता है. वे पहले वायरस के संपर्क में नहीं आए हैं, और उन्हें जो टीका मिला है वह शायद कम प्रभावी है. जबकि उनमें से अधिकांश लोगों को तीन से चार खुराकें मिली हैं.
इसकी तुलना में, 97 प्रतिशत भारतीयों को टीकों की दो खुराकें मिलीं, अन्य को एक से अधिक बार वायरस का संक्रमण हुआ. यहां तक कि बच्चे भी सुरक्षित हैं क्योंकि 12 साल से कम उम्र के कम से कम 96 फीसदी बच्चे कोविड के संपर्क में आ चुके हैं.
उन्होंने कहा, "इसलिए टीकाकरण के दौरान भी जिस तरह से लोगों के संपर्क में आए, हम देखते हैं कि हम कोविड के नजरिए से एक बहुत ही सुरक्षित समाज हैं."
डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि देश में अब जो प्रतिक्रिया हो रही है, वह मुख्यतः पूर्वव्यापी और सक्रिय प्रतिक्रिया है. क्योंकि चीन की मौजूदा स्थिति पर भारी अस्पष्टता है. मामलों के संदर्भ में अस्पष्टता, मामलों की गंभीरता, उनके टीकाकरण की स्थिति और फिर तरह-तरह के वेरिएंट वहां चल रहे हैं.
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