राज्यसभा में हंगामे का एक दृश्य।
नई दिल्ली:
भारी हंगामे के बीच संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार को खत्म हो गया। राज्यसभा सेक्रेटेरिएट की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक शीत सत्र में सदन की कार्रवाई हंगामे की वजह से 47 घंटे से ज्यादा बर्बाद हो गई। जबकि लोकसभा में 8 घंटे 37 मिनट राजनीतिक हंगामे की वजह से कामकाज नहीं चल सका। दरअसल मॉनसून सत्र के बाद यह लगातार दूसरा सत्र है जिसमें राज्यसभा में जीएसटी समेत कई अहम विधेयक अटके रहे और सदन का काफी समय हंगामे की वजह से बर्बाद हो गया।
नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर सबसे ज्यादा बवाल
सबसे ज्यादा हंगामा नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कोर्ट की तरफ से जारी सम्मन को लेकर हुआ। कांग्रेस सांसदों ने सरकार पर इस मामले में राजनीतिक द्वेष से हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। पार्टी ने इस मामले में आरोप लगाया कि बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस मामले में राजनीतिक वजहों से दखलअंदाज़ी की। सरकार ने इन आरोपों को गलत बताया लेकिन इस मुद्दे पर गतिरोध बढ़ता चला गया। हंगामा दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भी उठा और विपक्ष ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस्तीफे की मांग की। साथ ही, कई दिनों तक कांग्रेस सांसदों ने अरुणाचल प्रदेश में जारी राजनीतिक संकट के लिए राज्य के गवर्नर की भूमिका पर सवाल उठाया और केन्द्र पर राज्य में कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने का आरोप लगाया। सरकार इन आरोपों को बेबुनियाद बताती रही लेकिन यह विवाद सुलझ नहीं सका।
वीके सिंह के बयान पर हंगामा
28 दिन के सत्र में केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह के दलितों के खिलाफ कथित बयान को लेकर भी विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। इस हंगामे के बीच राज्यसभा में 9 बिल पास किए गए या रिटर्न किए गए।
लोकसभा में 18 बिल पारित किए गए
उधर लोकसभा में राज्यसभा के मुकाबले अच्छा काम हुआ। इस सत्र में 13 बिल पास किए गए जबकि सरकार ने 9 नए बिल सदन में पेश किए। लोकसभा में हंगामे की वजह से 8 घंटे 37 मिनट बर्बाद हुए जबकि इस नुकसान की भरपाई के लिए लोक सभा की कार्रवाई 17 घंटे 10 मिनट बढ़ाई गई। लेकिन सरकार के सामने मुश्किल यह है कि विपक्ष के विरोध की वजह से इस सत्र में उसके कई अहम बिल राजनीतिक विरोध और राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से अटके रह गए। अब देखना होगा कि सरकार बजट सत्र के दौरान सदन के कामकाज को आगे बढ़ाने में कितनी कामयाब हो पाती है।
नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर सबसे ज्यादा बवाल
सबसे ज्यादा हंगामा नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कोर्ट की तरफ से जारी सम्मन को लेकर हुआ। कांग्रेस सांसदों ने सरकार पर इस मामले में राजनीतिक द्वेष से हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। पार्टी ने इस मामले में आरोप लगाया कि बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस मामले में राजनीतिक वजहों से दखलअंदाज़ी की। सरकार ने इन आरोपों को गलत बताया लेकिन इस मुद्दे पर गतिरोध बढ़ता चला गया। हंगामा दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भी उठा और विपक्ष ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस्तीफे की मांग की। साथ ही, कई दिनों तक कांग्रेस सांसदों ने अरुणाचल प्रदेश में जारी राजनीतिक संकट के लिए राज्य के गवर्नर की भूमिका पर सवाल उठाया और केन्द्र पर राज्य में कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने का आरोप लगाया। सरकार इन आरोपों को बेबुनियाद बताती रही लेकिन यह विवाद सुलझ नहीं सका।
वीके सिंह के बयान पर हंगामा
28 दिन के सत्र में केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह के दलितों के खिलाफ कथित बयान को लेकर भी विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। इस हंगामे के बीच राज्यसभा में 9 बिल पास किए गए या रिटर्न किए गए।
लोकसभा में 18 बिल पारित किए गए
उधर लोकसभा में राज्यसभा के मुकाबले अच्छा काम हुआ। इस सत्र में 13 बिल पास किए गए जबकि सरकार ने 9 नए बिल सदन में पेश किए। लोकसभा में हंगामे की वजह से 8 घंटे 37 मिनट बर्बाद हुए जबकि इस नुकसान की भरपाई के लिए लोक सभा की कार्रवाई 17 घंटे 10 मिनट बढ़ाई गई। लेकिन सरकार के सामने मुश्किल यह है कि विपक्ष के विरोध की वजह से इस सत्र में उसके कई अहम बिल राजनीतिक विरोध और राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से अटके रह गए। अब देखना होगा कि सरकार बजट सत्र के दौरान सदन के कामकाज को आगे बढ़ाने में कितनी कामयाब हो पाती है।
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