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This Article is From Sep 08, 2023

"एक पृथ्वी, एक परिवार का कालातीत आदर्श महा उपनिषद से प्रेरित": UN प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, जलवायु संकट नाटकीय रूप से बिगड़ रहा है, लेकिन सामूहिक प्रतिक्रिया में महत्वाकांक्षा, विश्वसनीयता और तात्कालिकता की कमी है

"एक पृथ्वी, एक परिवार का कालातीत आदर्श महा उपनिषद से प्रेरित": UN प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन से पहले प्रेस से बातचीत की.
नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने आज जी20 सम्मेलन से पहले कहा कि, दुनिया परिवर्तन के मुश्किल दौर में है, भविष्य बहुध्रुवीय है. हमारे बहुपक्षीय संस्थानों में गुजरे जमाने की झलक है, वैश्विक वित्तीय ढांचा पुराना और निष्क्रिय है. जलवायु संकट तेजी से गहरा रहा है, लेकिन सामूहिक प्रतिक्रिया में महत्वाकांक्षा, प्रामाणिकता और तत्परता की कमी है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, वैश्विक वित्तीय संरचना पुरानी और निष्क्रिय हो चुकी है. जलवायु संकट गहराता जा रहा है. हमें एक साथ आना चाहिए और मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि, जलवायु संकट नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है. जी-20 अस्सी फीसदी वैश्विक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है. 

उन्होंने कहा कि, इस महत्वपूर्ण G20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आना बहुत खुशी की बात है. मैं गर्मजोशी के साथ किए गए स्वागत के लिए भारत के प्रति आभार व्यक्त करता हूं. मुझे आशा है कि भारत की जी20 की अध्यक्षता इस तरह के परिवर्तनकारी बदलाव को जन्म देने में मदद करेगी जिसकी हमारी दुनिया को सख्त जरूरत है. 

उन्होंने कहा कि, मैं 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' पर ध्यान केंद्रित करने का स्वागत करता हूं. महा उपनिषद से प्रेरित यह वाक्यांश आज की दुनिया में गहरी प्रतिध्वनि पाता है, न केवल एक कालातीत आदर्श के रूप में, बल्कि हमारे समय के एक अभियोग के रूप में.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि, हम वास्तव में एक वैश्विक परिवार हैं लेकिन आज हम एक बेकार परिवार की तरह दिखते हैं. विभाजन बढ़ रहे हैं, तनाव बढ़ रहा है, और विश्वास कम हो रहा है जो मिलकर विखंडन और अंततः टकराव की आशंका को बढ़ाते हैं. यह टूटन सबसे अच्छे समय में बेहद चिंताजनक होगा. हमारे समय में यह तबाही का कारण बनता है. हमारी दुनिया संक्रमण के एक कठिन क्षण में है. भविष्य बहुध्रुवीय है, लेकिन हमारी बहुपक्षीय संस्थाएं बीते युग को प्रतिबिंबित करती हैं.

उन्होंने कहा कि, वैश्विक वित्तीय संरचना पुरानी, निष्क्रिय और अनुचित है. इसके लिए गहन संरचनात्मक सुधार की आवश्यकता है. और यही बात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बारे में भी कही जा सकती है. हमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर 21वीं सदी की वास्तविकताओं में निहित प्रभावी अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की आवश्यकता है.

एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, इसीलिए मैं उन वैश्विक संस्थानों को वास्तव में सार्वभौमिक और आज की वास्तविकताओं का प्रतिनिधि बनाने और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने के लिए साहसिक कदमों की वकालत कर रहा हूं. हमारे पास खोने के लिए समय नहीं है. चुनौतियां वहां तक फैली हुई हैं जहां तक नज़र जा सकती है. जलवायु संकट नाटकीय रूप से बिगड़ रहा है, लेकिन सामूहिक प्रतिक्रिया में महत्वाकांक्षा, विश्वसनीयता और तात्कालिकता की कमी है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि, युद्ध और संघर्ष बढ़ रहे हैं, लेकिन शांति को आगे बढ़ाने के प्रयास लड़खड़ा रहे हैं. नई प्रौद्योगिकियां खतरे के झंडे उठा रही हैं लेकिन जोखिमों को रोकने के लिए कार्रवाई बहुत धीमी है, और टुकड़ों में भी है. गरीबी, भुखमरी और असमानताएं बढ़ रही हैं, लेकिन कार्रवाई में वैश्विक एकजुटता गायब है.

उन्होंने कहा कि, मैं जी20 में एक सरल लेकिन जरूरी अपील के साथ आया हूं. हम इस तरह से नहीं चल सकते. हमें एक साथ आना चाहिए और आम भलाई के लिए मिलकर काम करना चाहिए. 

यून महासचिव ने कहा कि, G20 नेताओं को दो प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में नेतृत्व दिखाना होगा, जिसमें पहला जलवायु पर नेतृत्व है. जलवायु संकट नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है, लेकिन इस पर G20 देशों का नियंत्रण है. कुल मिलाकर, G20 देश 80 प्रतिशत वैश्विक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं.

उन्होंने कहा कि, आधे-अधूरे उपाय जलवायु के पूर्ण विघटन को नहीं रोकेंगे. नेतृत्व का अर्थ है, 1.5 डिग्री लक्ष्य को जीवित रखना. जलवायु न्याय पर आधारित विश्वास का पुनर्निर्माण और हरित अर्थव्यवस्था के लिए न्यायसंगत परिवर्तन को आगे बढ़ाना. मैंने एक जलवायु एकजुटता संधि को आगे बढ़ाया है, जिसमें बड़े उत्सर्जक उत्सर्जन में कटौती के लिए अतिरिक्त प्रयास करें और धनी देश इसे हासिल करने के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करें.

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