63 दिनों से पैदल चलकर नागपुर से दिल्ली आ रहे SSC GD के सैकड़ों अभ्यर्थियों को हरियाणा पुलिस ने पलवल में हिरासत में ले लिया. और फिर इन्हें दूसरे अलग अलग ज़िलों में ले जाकर छोड़ दिया ताकि ये अभ्यार्थी दिल्ली न पहुँच सकें. SSC GD (2018) के 5000 से ज़्यादा अभ्यर्थी परीक्षा पास करने के बाद भी पिछले एक साल से अपनी ज्वाइनिंग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. अभ्यार्थियों के पैरों में छाले पड़ गए हैं. ऐसे ही एक अभ्यार्थी हैं 28 साल के सत्यजीत जो किसी तरह पुलिस से बचते बचाते लगभग 1000 किलोमीटर से ज्यादे का सफर तय किया है और वो भी करीबन 63 दिनों बाद.
पिछले दिनों सत्यजीत के सैकड़ों साथियों को हरियाणा पुलिस ने पलवल में हिरासत में लिया और सरकारी बसों में बैठाकर इन्हें अलग अलग ज़िलों में छोड़ दिया ताकि ये दिल्ली न पहुंच सकें. सत्यजीत ने कहा,”हम एक जून से पैदल चल रहे हैं… हम नागपुर से चले थे… आज 63वां दिन है… हमें कई जगह रोका गया आगरा में, मथुरा में, सागर में, और कल तो हमें पलवल में रोका गया.. बहुत बदतमीज़ी की गई हमें अलग अलग शहरों में छोड़ दिया गया.”
एक दूसरे अभ्यर्थी वीरू ने कहा,”हमारे साथियों के साथ बर्बरता की गई हरियाणा पुलिस द्वारा , लड़कियों को पुरूष पुलिसकर्मियों ने धक्का दिया.
हाथों में तिरंगा लेकर नागपुर से चले इन छात्रों को इन दो महीनों में पुलिस से कई बार लाठी खानी पड़ी… आगरा में तो यूपी पुलिस ने इन्हें गुरूद्वारे से उठाकर हिरासत में ले लिया था पर मीडिया में ख़बर आने के बाद इन्हें छोड़ा….मथुरा पहुँचें तो पुलिस के दरोगा ने इन्हें हाईवे पर रोककर जमकर धमकियां दीं. मथुरा के एक पुलिसकर्मी ने कहा,”ये यूपी है यहां अस्सी ज़िले हैं यहां अलग तरह से काम होता है .. तुम्हारे यहां की पुलिस हमारे यहाँ की होम गार्ड है.” धमकी खा कर भूखे पेट किसी तरह रास्ते में पड़ने वाले गुरूद्वारों में लंगर खा कर सिर्फ़ इस आस में ये छात्र दिल्ली पहुँचने की कोशिश करते रहे कि शायद गृहमंत्री अमित शाह इनसे मिलने को तैयार हो जाएं और इनकी ज्वाइनिंग करवा दें.
गौरतलब है कि एसएससी GD 2018 की परीक्षा में पास हुए अभ्यर्थियों को अब तक नियुक्ति नहीं मिली है. शुरुआत में पदों की संख्या 54 हजार थी. बाद में इन सीटों को बढ़ाकर 60,210 किया गया. 21 जुलाई 2020 को एसएससी ने फाइनल कट ऑफ में बदलाव कर 55,912 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी. बाद में तय सीटों में से 4,298 सीटें घटा दीं गईं. तब से लगभग 5000 अभ्यर्थी परीक्षा पास करने के बाद भी अपनी नियुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
हमारे देश में सरकार हर घर तिरंगा अभियान चला रही है. इस अभियान में छात्र भी शामिल हैं. इनका सपना है कि ये देश की सेवा करें और अगर जान भी चली जाए तो तिरंगा में लिपट कर वापस आ जाएं. ये छात्र तो बस इतना चाहते हैं कि इनकी बातों को सरकार सुने. लेकिन उल्टे इन्हें पुलिस की लाठी खानी पड़ रही है. कहीं इन्हें हिरासत में लिया जा रहा है. सरकार ने परीक्षा कराने के बाद 5000 वेकेंसी घटा दीं जिससे ये छात्र आज मेरिट से बाहर हो गए हैं.
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