नई दिल्ली/हैदराबाद:
केंद्रीय मंत्रिमंडल के पृथक तेलंगाना गठन के फैसले के विरोध में शुक्रवार को विरोध तेज हो गया। क्षेत्र के कुछ केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने अपने इस्तीफे की घोषणा की। 48 घंटे के बंद के कारण सीमांध्र (रायलसीमा व तटीय आंध्र) के सभी 13 जिलों में दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान व शैक्षिक संस्थान बंद रहे और सड़कों पर वाहन नहीं दिखे।
वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने शनिवार से यहां अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा की, तो तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार से नई दिल्ली में आमरण अनशन करने का ऐलान किया है।
कांग्रेस सांसद वी. हनुमंत राव और तेलंगाना समर्थक कुछ और नेताओं ने पुलिस प्रमुख प्रसाद राव से मुलाकात कर जगन को भूख हड़ताल करने की अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया है। तेलंगाना के वकीलों की संयुक्त कार्रवाई समिति ने जगन की भूख हड़ताल में बाधा डालने की धमकी दी है।
उधर, राज्य के मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा नहीं देने की घोषणा की ताकि वे विधानसभा में तेलंगाना पर प्रस्ताव के खिलाफ मतदान कर सकें।
मंत्रियों और विधायकों सहित कांग्रेस के 70 से ज्यादा विधायकों एवं नेताओं ने मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी के साथ बैठक में फैसला लिया। नेताओं ने आंध्र प्रदेश के विभाजन का विरोध करने की ठानी है।
आंध्र प्रदेश के विभाजन के विरोध में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे और जबरन होटल एवं दुकानें बंद कराईं। विरोध में मुख्य मार्गो पर पहिए फूंके गए। उन्होंने राज्य की सड़कों व राष्ट्रीय राज्यमार्गों को अवरुद्ध किया, जिससे कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा से आवागमन अवरुद्ध हो गया। कहीं-कहीं से हिंसा की भी जानकारी मिली है।
प्रदर्शनकारियों ने 'जय समेक्य आंध्र' के नारे लगाते हुए कांग्रेसी नेताओं के पुतले फूंके और विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, गुंटूर, तिरुपति, अनंतपुर, कुरनूल और अन्य शहरों की जिंदगी में ठहराव ला दिया।
विजयनगरम में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बोत्सा सत्यनारायण के कैंप कार्यालय पर हमला बोलने वाली भीड़ को तितर-बितर करने के लए पुलिस ने आंसू गैस का प्रयोग किया। प्रदर्शनकारी यहां बोत्सा के कार्यालय के समीप धरना देकर बैठ गए हैं।
विजयवाड़ा और विशाखापट्टनम में बिजली उत्पादन थम गया है क्योंकि यहां के कर्मचारी 48 घंटों के बंद में शामिल हो गए हैं। अधिकारियों ने कहा है कि इससे कुछ जिलों में विद्युत आपूर्ति पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
अनंतपुर और प्रकाशम जिले में भी तनाव पैदा हो गया। यहां तेलुगू देशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भिड़ंत हो गई।
तेलंगाना के विरोध में कर्मचारियों की हड़ताल के कारण करीब दो माह से सरकारी स्वामित्व वाली बसें नहीं चल रही हैं। बंद के कारण निजी वाहन भी सड़कों पर नहीं उतरे जिससे यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
30 जुलाई को कांग्रेस की ओर से तेलंगाना को हरी झंडी दिए जाने के बाद 13 अगस्त से राज्य में छह लाख सरकारी कर्मचारी, शिक्षक और कामगार हड़ताल पर हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने शुक्रवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की और पुलिस को स्थिति से निपटने के दौरान सावधानी बरतने के लिए कहा है। उन्होंने पुलिस से रबर की गोलियां इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा है।
सूत्रों ने बताया है कि राज्य की पुलिस ने सीमांध्र में तैनाती के लिए केंद्र सरकार से अर्ध सैनिक बलों की 20 कंपनियों की मांग की है। कम से कम 45 कंपनियां अभी यहां तैनात हैं।
पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले के विरोध में आंध्र प्रदेश के सीमांध्र क्षेत्र के छह केंद्रीय मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है।
गुरुवार की मंत्रिमंडल की बैठक में उपस्थित कपड़ा मंत्री केएस राव और मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू ने देर रात अपने इस्तीफे दिए। राज्य मंत्री के. चिरंजीव और कोटला सूर्यप्रकाश रेड्डी ने भी अपने इस्तीफों की घोषणा कर दी।
डी. पुरन्देश्वरी और के. क्रुपा रानी ने भी शुक्रवार को कहा कि पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के मंत्रिमंडल के फैसले के विरोध में वे इस्तीफा दे रही हैं। सूर्यप्रकाश रेड्डी रायलसीमा के हैं जबकि अन्य मंत्री तटीय आंध्र के हैं।
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने कहा कि चिरंजीवी ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को फैक्स कर दिया। अन्य मंत्रियों ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि उन्होंने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को भेजा है या नहीं।
पल्लम राजू ने मंत्रिमंडल की बैठक के तत्काल बाद प्रधानमंत्री से मुलाकात की और इस्तीफे के अपने फैसले से उन्हें अवगत कराया। मनमोहन सिंह ने उन्हें जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाने को कहा।
कांग्रेस के चार सांसदों वी. अरुण कुमार, अनंत, वेंकटरामी रेड्डी, ए. साई प्रताप और सबम हरि ने गुरुवार को ही इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। राज्य के कानून मंत्री ई प्रताप रेड्डी ने मंत्रिमंडल और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने शनिवार से यहां अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा की, तो तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार से नई दिल्ली में आमरण अनशन करने का ऐलान किया है।
कांग्रेस सांसद वी. हनुमंत राव और तेलंगाना समर्थक कुछ और नेताओं ने पुलिस प्रमुख प्रसाद राव से मुलाकात कर जगन को भूख हड़ताल करने की अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया है। तेलंगाना के वकीलों की संयुक्त कार्रवाई समिति ने जगन की भूख हड़ताल में बाधा डालने की धमकी दी है।
उधर, राज्य के मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा नहीं देने की घोषणा की ताकि वे विधानसभा में तेलंगाना पर प्रस्ताव के खिलाफ मतदान कर सकें।
मंत्रियों और विधायकों सहित कांग्रेस के 70 से ज्यादा विधायकों एवं नेताओं ने मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी के साथ बैठक में फैसला लिया। नेताओं ने आंध्र प्रदेश के विभाजन का विरोध करने की ठानी है।
आंध्र प्रदेश के विभाजन के विरोध में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे और जबरन होटल एवं दुकानें बंद कराईं। विरोध में मुख्य मार्गो पर पहिए फूंके गए। उन्होंने राज्य की सड़कों व राष्ट्रीय राज्यमार्गों को अवरुद्ध किया, जिससे कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा से आवागमन अवरुद्ध हो गया। कहीं-कहीं से हिंसा की भी जानकारी मिली है।
प्रदर्शनकारियों ने 'जय समेक्य आंध्र' के नारे लगाते हुए कांग्रेसी नेताओं के पुतले फूंके और विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, गुंटूर, तिरुपति, अनंतपुर, कुरनूल और अन्य शहरों की जिंदगी में ठहराव ला दिया।
विजयनगरम में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बोत्सा सत्यनारायण के कैंप कार्यालय पर हमला बोलने वाली भीड़ को तितर-बितर करने के लए पुलिस ने आंसू गैस का प्रयोग किया। प्रदर्शनकारी यहां बोत्सा के कार्यालय के समीप धरना देकर बैठ गए हैं।
विजयवाड़ा और विशाखापट्टनम में बिजली उत्पादन थम गया है क्योंकि यहां के कर्मचारी 48 घंटों के बंद में शामिल हो गए हैं। अधिकारियों ने कहा है कि इससे कुछ जिलों में विद्युत आपूर्ति पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
अनंतपुर और प्रकाशम जिले में भी तनाव पैदा हो गया। यहां तेलुगू देशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भिड़ंत हो गई।
तेलंगाना के विरोध में कर्मचारियों की हड़ताल के कारण करीब दो माह से सरकारी स्वामित्व वाली बसें नहीं चल रही हैं। बंद के कारण निजी वाहन भी सड़कों पर नहीं उतरे जिससे यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
30 जुलाई को कांग्रेस की ओर से तेलंगाना को हरी झंडी दिए जाने के बाद 13 अगस्त से राज्य में छह लाख सरकारी कर्मचारी, शिक्षक और कामगार हड़ताल पर हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने शुक्रवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की और पुलिस को स्थिति से निपटने के दौरान सावधानी बरतने के लिए कहा है। उन्होंने पुलिस से रबर की गोलियां इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा है।
सूत्रों ने बताया है कि राज्य की पुलिस ने सीमांध्र में तैनाती के लिए केंद्र सरकार से अर्ध सैनिक बलों की 20 कंपनियों की मांग की है। कम से कम 45 कंपनियां अभी यहां तैनात हैं।
पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले के विरोध में आंध्र प्रदेश के सीमांध्र क्षेत्र के छह केंद्रीय मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है।
गुरुवार की मंत्रिमंडल की बैठक में उपस्थित कपड़ा मंत्री केएस राव और मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू ने देर रात अपने इस्तीफे दिए। राज्य मंत्री के. चिरंजीव और कोटला सूर्यप्रकाश रेड्डी ने भी अपने इस्तीफों की घोषणा कर दी।
डी. पुरन्देश्वरी और के. क्रुपा रानी ने भी शुक्रवार को कहा कि पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के मंत्रिमंडल के फैसले के विरोध में वे इस्तीफा दे रही हैं। सूर्यप्रकाश रेड्डी रायलसीमा के हैं जबकि अन्य मंत्री तटीय आंध्र के हैं।
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने कहा कि चिरंजीवी ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को फैक्स कर दिया। अन्य मंत्रियों ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि उन्होंने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को भेजा है या नहीं।
पल्लम राजू ने मंत्रिमंडल की बैठक के तत्काल बाद प्रधानमंत्री से मुलाकात की और इस्तीफे के अपने फैसले से उन्हें अवगत कराया। मनमोहन सिंह ने उन्हें जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाने को कहा।
कांग्रेस के चार सांसदों वी. अरुण कुमार, अनंत, वेंकटरामी रेड्डी, ए. साई प्रताप और सबम हरि ने गुरुवार को ही इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। राज्य के कानून मंत्री ई प्रताप रेड्डी ने मंत्रिमंडल और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
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