देश में जातिगत जनगणना का मुद्दा पिछले दिनों से काफी जोर पकड़ रहा है. विपक्ष एक सुर में सरकार पर दबाव बनाते हुए जातिगत जनगणना की मांग कर रहा है. इसलिए जातिगत जनगणना पर सरकार और विपक्षी दलों के नेता आमने-सामने भी होते रहते हैं. अब बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी याद ने फिर से जातिगत जनगणना पर बयान दिया है. तेजस्वी ने कहा कि जातिगत जनगणना की हमारी बहुत पुरानी मांग है.
जातिगत जनगणना के समर्थन में क्या बोले तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने कहा कि आदरणीय लालू प्रसाद जी जब जनता दल के अध्यक्ष थे तभी से यह हमारी मांग रही है. उसी का परिणाम रहा कि जनता दल की संयुक्त मोर्चा सरकार ने 𝟏𝟗𝟗𝟔-𝟗𝟕 में 𝟐𝟎𝟎𝟏 की जनगणना में जातिगत गणना कराने का निर्णय भी लिया था. लेकिन साल 𝟏𝟗𝟗𝟗 में बीजेपी के नेतृत्व में 𝐍𝐃𝐀 की सरकार बनने पर उन्होंने वह निर्णय पलट दिया. नीतीश कुमार जी भी वाजपेयी जी नेतृत्व में उसी 𝐍𝐃𝐀 कैबिनेट का हिस्सा थे.
जनगणना भी नहीं कराई...
आरजेडी नेता ने कहा कि 𝟐𝟎𝟏𝟏 की जनगणना से पूर्व उसमें जातिगत जनगणना की मांग को लेकर 𝟐𝟎𝟏𝟎 में लालू प्रसाद सहित प्रमुख समाजवादियों ने संसद में पुरजोर तरीके से अपनी बात रख तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी द्वारा जातिगत गणना/सामाजिक आर्थिक सर्वे कराने की स्वीकृति देने के बाद ही संसद चलने दी थी. 𝐍𝐃𝐀/𝐁𝐉𝐏 सरकार ने 𝟏𝟎 वर्षों बाद होने वाली 𝟐𝟎𝟐𝟏 की जनगणना भी नहीं कराई. हमने तो केवल 𝟏𝟕 महीनों के अल्प सेवाकाल में बिहार में जाति आधारित गणना करा और उसी अनुपात में आरक्षण भी बढ़ाया.
जातिगत जनगणना पर करेंगे मजबूर
अगर इस बार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 𝐍𝐃𝐀 सरकार ने जातिगत जनगणना नहीं कराई तो वंचित, उपेक्षित, उत्पीड़ित और उपेक्षित वर्गों के लोग भाजपाइयों को क्षेत्र में नहीं घुसने देंगे. 𝐁𝐉𝐏 को समर्थन दे रहे क्षेत्रीय दल बिना रीढ़ के हड्डी के सिद्धांतहीन लोगों के हाथ में है. देख लेना हम आपको जातिगत जनगणना कराने पर मजबूर करेंगे ही करेंगे.
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