
- बिहार चुनाव में आरजेडी ने सबसे अधिक 24 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर बड़ा राजनीतिक दांव खेला
- CM नीतीश की जेडीयू और बीजेपी ने समान रूप से 13-13 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मुकाबले के लिए चुना है
- आरजेडी ने यादव, मुस्लिम, कुशवाहा, राजपूत, भूमिहार समेत विभिन्न जातीय समूहों के उम्मीदवारों को उतारा है
बिहार चुनाव में इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद वोटर्स पर तेजस्वी यादव ने डोरे डाले हैं. महिलाएं सीएम नीतीश कुमार की सबसे भरोसेमंद वोटर्स रही हैं, लेकिन इस बार जेडीयू से ज्यादा आरजेडी ने महिला उम्मीदवारों को चुनावी जंग में उतार बड़ा दांव खेला है. क्या तेजस्वी के दांव से नीतीश कुमार को लगेगा झटका? इस सवाल का जवाब, तो अभी दे पाना मुश्किल है, लेकिन बिहार की राजनीति में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं. महिलाओं की मतदान में साल-दर-साल बढ़ती हिस्सेदारी, लोकतंत्र में उनकी बढ़ती रुचि का प्रतीक है. ऐसे में महिला उम्मीदवारों को कम तवज्जो देना कहीं सीएम नीतीश कुमार को भारी न पड़ जाए.
आरजेडी ने 24 महिला कैंडिडेट को मैदान में उतारा
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने कई दांव खेले हैं. आरजेडी ने चुनाव में 143 सीटों से अपने उम्मीदवारों को उतारा है. इन 143 सीटों में आरजेडी ने समाज के सभी वर्गों को साधने की कोशिश भी है, जिसमें वह सफल होते हुए भी नजर आए हैं. तेजस्वी यादव ने 24 महिलाओं को भी टिकट दिया है. अन्य किसी भी पार्टी ने इतनी महिला उम्मीदवारों पर दांव नहीं खेला है. एनडीए गठबंधन में शामिल बीजेपी ओर जेडीयू ने 13-13 महिलाओं को टिकट दिए हैं. आरजेडी ने 20% से भी कम महिलाओं को टिकट दिए हैं, लेकिन वहीं विपक्षी महागठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की ओर से 60 सीटों पर घोषित उम्मीदवारों में केवल पांच महिला उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. कांग्रेस ने 10 फीसदी से भी कम महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है.

राष्ट्रीय जनता दल की लिस्ट का सामाजिक समीकरण
- सबसे अधिक 52 उम्मीदवार यादव जाति के हैं.
- 18 उम्मीदवार मुस्लिम हैं.
- 13 उम्मीदवार कुशवाहा हैं, 2 कुर्मी हैं.
- अगड़ी जाति के 16 उम्मीदवार हैं, इनमें 7 राजपूत, 6 भूमिहार और 3 ब्राह्मण शामिल हैं.
- 20 उम्मीदवार अनुसूचित जाति के हैं, इनमें 1 अनुसूचित जनजाति से है.
- कोइरी, कुर्मी, कुशवाहा के अलावा पिछड़ी एवं अत्यंत पिछड़ी जातियों के 21 उम्मीदवार हैं. इनमें चंद्रवंशी (कहार), नोनिया, तेली, मल्लाह जैसी जातियों को अधिक प्रतिनिधित्व मिला है.
जेडीयू और बीजेपी के मुकाबले ये बहुत ज्यादा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुरुआत से महिला वोटरों को तवज्जो देते नजर आए हैं. उन्होंने छात्राओं को साइकिल वितरण से लेकर महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाईं, जिसका लाभ भी उन्हें हुआ. महिलाओं को नीतीश कुमार का भरोसेमंद वोटर माना जाता रहा है. लेकिन इस बार नीतीश ने महिला उम्मीदवारों को उतनी तवज्जो नहीं दी, जितनी उम्मीद की जा रही थी. बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू और बीजेपी इस बार 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं और दोनों ने ही 13-13 महिलाओं को टिकट दी है. एनडीए की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने 6 महिलाओं को टिकट दिए हैं.

महिलाएं सीएम नीतीश कुमार की सबसे भरोसेमंद वोटर
देशभर की राजनीति में महिलाओं का महत्व लगातार बढ़ रहा है. नीतीश कुमार जब 2005 में पहली बार सत्ता में आए, तो उन्होंने इसे भांप लिया था. इसलिए नीतीश सरकार ने शुरुआत से महिलाओं से जुड़ी योजनाओं को तवज्जो दी. बिहार में शराबबंदी को महिलाओं के उत्थान से जोड़ा गया. सरकारी नौकरियों में आरक्षण का वादा भी महिलाओं को कदमों को मजबूत करने के लिया किया गया. यही वजह है कि महिलाएं नीतीश के प्रति एक खास लगाव रखती हैं. बिहार चुनाव 2025 से पहले नीतीश कुमार सरकार ने महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपये ट्रांसफर कर फिर बता दिया कि वह अपनी माताओं-बहनों के साथ खड़ हैं.
क्या तेजस्वी के दांव से नीतीश कुमार को लगेगा झटका?
तेजस्वी यादव इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि महिलाओं को अपने पाले में लाए, बिना बात नहीं बनेगी. नीतीश के इस वोट बैंग में सेंध लगाने के लिए तेजस्वी यादव ने कई दांव खेले हैं. 24 महिला कैंडिडेट को मैदान में उतार तेजस्वी ने यह बताने की कोशिश की है कि वह महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की सोच रखते हैं. वहीं, 'माई-बहिन' योजना के जरिए महिलाओं को सीधे आर्थिक लाभ देने का वादा किया है. तेजस्वी ने हर महिला को 2,500 रुपये देने का वादा किया है. इसके साथ ही वह, नीतीश सरकार द्वारा महिलाओं के खातों में 10 हजार रुपये ट्रांसफर करने की योजना के मुकाबले हर महिला के खाते में पूरे साल का एकमुश्त 30 हजार रुपया एडवांस दे देंगे, ऐसा वादा कर रहे हैं.
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