पर्चा लीक होने पर भड़के तेजस्वी, कहा- BPSC का नाम बदलकर बिहार लोक पेपर लीक आयोग कर देना चाहिए

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने रविवार को हुई सिविल सेवा (प्रारंभिक) की परीक्षा का प्रश्न पत्र ‘लीक’ होने के बाद व्यापक रोष के चलते परीक्षा रद्द कर दी है.

पर्चा लीक होने पर भड़के तेजस्वी, कहा- BPSC का नाम बदलकर बिहार लोक पेपर लीक आयोग कर देना चाहिए

राजद नेता तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने रविवार को हुई सिविल सेवा (प्रारंभिक) की परीक्षा का प्रश्न पत्र ‘लीक' होने के बाद व्यापक रोष के चलते परीक्षा रद्द कर दी है. प्रश्न पत्र ‘लीक'होने की खबर के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोला है. राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि बिहार के करोड़ों युवाओं और अभ्यर्थियों का जीवन  बर्बाद करने वाले बिहार लोक सेवा आयोग का नाम बदलकर अब “बिहार लोक पेपर लीक आयोग” कर देना चाहिए.

गौरतलब है कि दोपहर में परीक्षा शुरू होने से कुछ मिनट पहले प्रश्न पत्रों के एक सेट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे. बीपीएससी परीक्षा नियंत्रक अमरेंद्र कुमार ने पीटीआई को फोन पर बताया, ‘‘परीक्षा रद्द कर दी गई है. अन्य घोषणाएं नियत समय में की जाएंगी.'' बीपीएससी के सचिव जीत सिंह ने कहा कि पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है और तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है.

सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें परीक्षा शुरू होने के समय प्रश्न पत्र लीक होने की शिकायतें मिली थीं. हमने स्क्रीनशॉट की तुलना प्रश्न पत्रों के सेट सी से की. स्क्रीनशॉट कथित तौर पर परीक्षा शुरू होने से लगभग छह मिनट पहले सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे. इन आरोपों पर जांच कमेटी गौर करेगी.''

भोजपुर जिला मुख्यालय आरा में परीक्षा केंद्रों में से एक वीर कुंवर सिंह कॉलेज में परीक्षार्थियों ने कई आरोप लगाए. युवकों और युवतियों ने यह आरोप लगाते हुए हंगामा किया कि कुछ उम्मीदवारों को अलग कर दिया गया और एक अलग कमरे के अंदर अपने प्रश्नपत्र हल करने की अनुमति दी गई और वहां मोबाइल फोन ले जाने की भी अनुमति दी गई.

भोजपुर के जिलाधिकारी रौशन कुशवाहा मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को शांत कराया. कुशवाहा ने कहा, ‘‘उम्मीदवारों को लिखित में अपनी शिकायत देने को कहा गया है. हम इन्हें बीपीएससी को सौंप देंगे जो आगे कोई कार्रवाई कर सकती है. स्थानीय प्रशासन केवल यह सुनिश्चित कर सकता है कि परीक्षा निर्धारित दिन पर बिना किसी बाधा के आयोजित की जाए.''

परीक्षा में बैठने वाले पांच लाख से अधिक उम्मीदवारों के लिए राज्य भर में 1,000 से ज्यादा केंद्र बनाए गए थे. एक छात्र ने कहा, ‘‘यही कह सकता हूं कि यह मनोबल गिराने वाला है. परीक्षा दिसंबर में होनी थी, लेकिन पंचायत चुनाव के कारण स्थगित कर दी गई. अब इसमें और देरी होने वाली है.''

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