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This Article is From Nov 03, 2016

भारत में तेज़ी से घटते पारसियों को ज़्यादा दुःखी कर रहा है टाटा-मिस्त्री विवाद

भारत में तेज़ी से घटते पारसियों को ज़्यादा दुःखी कर रहा है टाटा-मिस्त्री विवाद
मुंबई: टाटा की वजह से लंबे अरसे तक भारत के छोटे-से पारसी समुदाय का सिर फख्र से ऊंचा उठा रहा है, लेकिन लगातार घटता जा रहा यह समुदाय आजकल टाटा समूह के भीतर जारी कलह और इस चिंता से परेशान है कि समूह का अगला प्रमुख कोई 'बाहरी' व्यक्ति हो सकता है.

टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा और उनके पारसी समकक्ष व पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के बीच रोज़ाना एक दूसरे पर कीचड़ उछाले जाने से मुंबई का प्रसिद्ध, लेकिन खुद में सिमटा रहने के लिए बदनाम पारसी समुदाय काफी नाखुश है.

समुदाय की पत्रिका 'पारसियाना' के संपादक जहांगीर पटेल ने कहा, "पारसी नाराज़ हैं, क्योंकि साइरस मिस्त्री और रतन टाटा की लड़ाई बोर्डरूम की बातचीत न रहकर सार्वजनिक हो गई... हमें उम्मीद है कि यह जल्द ही खत्म हो जाएगा..."

पारसी समुदाय के लोग दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक ज़ोरोअस्ट्रियनिज़्म (Zoroastrianism - जिसे हिन्दी में ज़रथुष्ट्र भी कहा जाता है) के मानने वाले होते हैं. ये एक परमात्मा में विश्वास करते हैं, और अग्नि मंदिरों में पूजा करते हैं, क्योंकि वे अग्नि को परमात्मा की पवित्रता का प्रतीक मानते हैं.

भारत में पारसियों का आगमन 1,000 साल से भी पहले हुआ था, जब वे फारस (पर्शिया) में हो रहे अत्याचारों से बचकर भाग आए थे.

वे भारत के सबसे समृद्ध समुदायों में से एक बने, जिसने देश को कई जाने-माने उद्योगपति दिए. उन्हीं में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर टाटा परिवार भी शामिल है. उद्योगपतियों के अलावा इस समुदाय के लोग जाने-माने विज्ञानी तथा संगीतकार भी हुए हैं, जिनकी वजह से समुदाय की आबादी की तुलना में उनका प्रभाव कहीं ज़्यादा है.

बहरहाल, बड़ी उम्र तक शादी नहीं करने और गिरती जन्मदर की वजह से समुदाय के सामने जनसांख्यिकीय संकट पैदा हो गया है, और उनके अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है, क्योंकि वर्ष 1940 की तुलना में भारत में पारसियों की आबादी आधी से भी कम रह गई है.

दुनिया में सबसे ज़्यादा पारसी भारत में ही रहते हैं, और यहां भी उनकी संख्या 60,000 से भी कम रह गई है, और अब सुधारकों तथा परंपरावादियों के बीच इस मुद्दे पर बहस आम है कि इस समुदाय को सुरक्षित कैसे रखा जा सकता है.

टाटा और मिस्त्री मुंबई के पारसी समुदाय के आधारस्तंभ रहे हैं, और उनके बीच जारी विवाद ने पहले से समुदाय के भविष्य को लेकर दुःखी बहुत-से पारसियों को नाराज़ कर दिया है.

जहांगीर पटेल ने एएफपी से कहा, "इस झगड़े ने पारसी समुदाय का सिर नीचा कर दिया है, क्योंकि इससे पारसी समुदाय में मौजूद रोलमॉडलों और ताकतवर पदों पर मौजूद लोगों की गिनती कम होती है..."

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