विज्ञापन

लालू ने कहा था - शेषनवा को भैंसिया पर बैठाकर हम गंगाजी हेला देंगे...चुनाव में यूं ही हर बार याद नहीं आते शेषन

टीएन शेषन अपने बयानों को लेकर भी खासे चर्चाओं में रहे थे. मैं नाश्ते में नेताओं को खाता हूं...उनका यह बयान काफी चर्चाओं में रहा था. शेषन 1990 में जैसे ही मुख्य चुनाव आयुक्त बने उसके बाद देश की जनता को पहली बार एहसास हुआ कि चुनाव आयोग के नाम की भी कोई संस्था है. 

लालू ने कहा था - शेषनवा को भैंसिया पर बैठाकर हम गंगाजी हेला देंगे...चुनाव में यूं ही हर बार याद नहीं आते शेषन
टीएन शेषन ने देश में बदली चुनाव की तस्वीर
नई दिल्ली:

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में अगर आज चुनाव बगैर किसी विवाद और पारदर्शिता के साथ संपन्न करा लिया जाता है तो इसका क्रेडिट काफी हद तक तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन यानी देश के पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन (TN Seshan) को जाता है. टीएन शेषन को चुनाव सुधार के नायक के तौर पर भी जाना जाता है. टीएन शेषन चुनाव सुधारों के साथ-साथ अपने बयानों के लिए खासे प्रचलित थे. आपको बता दें कि टीएन शेषन तमिलनाडु काडर के IAS अधिकारी थे. उन्होंने भारत के 10वें चुनाव आयुक्त के तौर पर 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 तक अपनी सेवाएं भी दी. 

कहा जाता है कि टीएन शेषन देश के पहले ऐसे चुनाव आयुक्त रहे जिनके नाम से उस समय के नेता भी डरा करते थे. उनके हाजिरजवाबी तेवर की वजह से एक बार उनकी और उस समय बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव की भिड़ंत भी हो गई थी. ये बात 90 के देशक की है. उस दौरान बिहार में लालू प्रसाद यादव की लोकप्रियता चरम पर हुआ करती थी. उस दौर के बिहार में अपराध भी अपने चरम पर था. ऐसे में 1995 में सीएम रहने के दौरान चुनाव में धांधली को लेकर उनकी तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त शेषन से ठन गई थी. 

बिहार के चुनाव में पैरा  मिलिट्री फोर्स हुई तैनात

कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए टीएन शेषन ने बिहार के सभी बूथ पर पैरा मिलिट्री फोर्स की तैनाती करा दी. इतना ही नहीं शेषन ने पंजाब से स्पेशल कमांडो तक बुला लिए. कहा जाता है कि लालू यादव शेषन का नाम सुनते ही तिलमिला जाते थे. उस दौरान बिहार में निष्पक्ष चुनाव वो भी बैगर किसी हिंसा के करा पाना जैसे असंभव सा था. लेकिन शेषन ने ये भी करके दिखाया.

कहते हैं लालू यादव शेषन के नाम से भी इतना चिढ़ते थे कि उन्होंने एक बार यहां तक कह दिया था कि शेषनवा को भैंसिया पर बैठाकर हम गंगाजी हेला देंगे. 

"मैं तो नाश्ते में नेता खाता हूं"

टीएन शेषन अपने बयानों को लेकर भी खासे चर्चाओं में रहे थे. मैं नाश्ते में नेताओं को खाता हूं ...उनका यह बयान काफी चर्चाओं में रहा था. शेषन 1990 में जैसे ही मुख्य चुनाव आयुक्त बने उसके बाद देश की जनता को पहली बार एहसास हुआ कि चुनाव आयोग के नाम की भी कोई संस्था है. 

"मैं कोई कोऑपरेटिव सोसाइटी नहीं हूं"

शेषन हमेशा से ही अपने स्पष्ट जवाबों और बयानों के लिए जाने जाते थे. इसका जिक्र टीएन शेषन ने अपनी आत्मकथा में भी किया था. उन्होंने एक ऐसे ही वाक्ये का जिक्र करते हुए कहा कि  प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के समय के कानून मंत्री विजय भास्कर रेड्डी मुझे उस पीएम के पास लेकर गए और प्रधानमंत्री की उपस्थिति में मुझसे कहा कि शेषन आप सहयोग नहीं कर रहे हैं. इसपर मैंने उन्हें जवाब दिया कि मैं कोई कोऑपरेटिव सोसाइटी नहीं हूं. मैं चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करता हूं.

"मैं किसी हुक्म का पालन नहीं करूंगा"

यह कोई पहला वाक्या नहीं था. एक बार विधि सचिव रमा देवी ने चुनाव आयोग को फोन कर कहा कि विधि राज्य मंत्री रंगराजन कुमार मंगलम चाहते हैं कि अभी इटावा का उपचुनाव न कराए जाएं. ये सुनते ही शेषन ने प्रधानमंत्री को सीधे फोन मिला कर कहा कि सरकार को शायद ये गलतफहमी है कि मैं घोड़ा हूं. और सरकार घुड़सवार है. मैं ये स्वीकार नहीं करूंगा. अगर आपके पास किसी फैसले को लागू करने के बारे में एक अच्छा कारण है तो मुझे बता दीजिए. मैं सोचकर उसपर अपना फैसला लूंगा. लेकिन मैं किसी हुक्म का पालन नहीं करूंगा. 

इसपर प्रधानमंत्री ने मेरी बात सुनने के बाद कहा कि आप रंगराजन से अपना मामला सुलझा लीजिए. मैंने कहा कि मैं उनसे नहीं आपसे ये मामला सुलझाऊंगा. 

जब सरकार से पहली बार भिड़ गए थे शेषन

साल था 1993 का. इसी साल के 2 अगस्त को टीएन शेषन ने एक 17 पन्नों का आदेश जारी किया. इस आदेश में कहा गया था कि जबतक सरकार चुनाव आयोग की शक्तियों को मान्यता नहीं देती, तब तक देश में कोई चुनाव नहीं कराया जाएगा.शेषन ने अपने इस आदेश में लिखा था कि चुनाव आयोग ने ये तय किया है कि उसके नियंत्रण में होने वाले हर चुनाव जिसमें राज्यसभा चुनाव, लोकसभा  और विधानसभा के उपचुनाव जिसकी घोषणा भी की जा चुकी है, को अगले आदेश तक स्थगित रहेंगे. इतना ही नहीं शेषन ने पश्चिम बंगाल की राज्यसभा सीट पर चुनाव नहीं होने दिया था जिसकी वजह से उस समय के केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. 
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com