नई दिल्ली:
भारतीय सेना की एक्जिट एंड कमांड पॉलिसी पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि भारतीय सेना में कांबेट स्पोर्ट यूनिट के लिए कर्नल के 141 पद की नियुक्ति निकाली जाएं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के पॉलिसी को रद्द करने के फैसले को पलट दिया है और सेना की पॉलिसी को बरकरार रखा है। दरअसल भारतीय सेना में इंफेंट्री जैसी युद्ध में जाने वाली यूनिट के अफसरों को ही कर्नल के तौर पर प्रमोशन दी जाती है जबकि इंजीनियिरंग जैसी यूनिटों को ये सुविधा नहीं है।
2009 में बनाई गई इस पॉलिसी को आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यनूल ने रद्द कर दिया था जिसके खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
केंद्र की दलील है कि कॉम्बैट यूनिटों में कम उम्र के अफसर रखने के लिए ये कदम उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट में ये भी दलील दी गई कि इस वक्त पाकिस्तान में ऐसे अफसरों की औसत उम्र 35 साल जबकि चीन में 40 साल है।
हालांकि सुनवाई के दौरान ही केंद्र सरकार ने कहा था कि उसने कर्नल के 141 अतिरिक्त पद भी बना रहे हैं ताकि इसका लाभ बाकी यूनिट के लोगों को भी मिल सके।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के पॉलिसी को रद्द करने के फैसले को पलट दिया है और सेना की पॉलिसी को बरकरार रखा है। दरअसल भारतीय सेना में इंफेंट्री जैसी युद्ध में जाने वाली यूनिट के अफसरों को ही कर्नल के तौर पर प्रमोशन दी जाती है जबकि इंजीनियिरंग जैसी यूनिटों को ये सुविधा नहीं है।
2009 में बनाई गई इस पॉलिसी को आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यनूल ने रद्द कर दिया था जिसके खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
केंद्र की दलील है कि कॉम्बैट यूनिटों में कम उम्र के अफसर रखने के लिए ये कदम उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट में ये भी दलील दी गई कि इस वक्त पाकिस्तान में ऐसे अफसरों की औसत उम्र 35 साल जबकि चीन में 40 साल है।
हालांकि सुनवाई के दौरान ही केंद्र सरकार ने कहा था कि उसने कर्नल के 141 अतिरिक्त पद भी बना रहे हैं ताकि इसका लाभ बाकी यूनिट के लोगों को भी मिल सके।
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