याकूब मेमन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
1993 मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन के डेथ वारंट से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। कोर्ट में आज याकूब की फांसी पर रोक नहीं लगाई है। इस मामले में सुबह 10.30 बजे सुनवाई शुरू हो जाएगी। पहली सुनवाई याक़ूब की याचिका पर है, जिसमें कहा गया है कि उसे फांसी नहीं दी जा सकती, क्योंकि टाडा कोर्ट का डेथ वारंट ग़ैर-क़ानूनी है।
याकूब का कहना है कि 9 अप्रैल को पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के बाद डेथ वारंट जारी किया गया जबकि क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी। एक दूसरे मामले में याक़ूब की फांसी पर रोक के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने याकूब का डेथ वारंट जारी कर दिया है, जिसके लिए 30 जुलाई का दिन तय किया गया है।
ऐसे में क्यूरेटिव से पहले डेथ वारंट जारी करना गैर-कानूनी है, नियमों और कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके लिए 27 मई 2015 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला दिया गया है।
इसके लिए शबनम जजमेंट का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया कि डेथ वारंट सारे कानूनी उपचार पूरे होने के बाद जारी होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने शबनम और उसके प्रेमी का डेथ वारंट को रद्द किया था। कोर्ट ने दोनों की फांसी को 15 मई को बरकरार रखा था और छह दिनों के भीतर 21 मई को डेथ वारंट जारी हुआ था। 27 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस डेथ वारंट को रद्द कर दिया था।
2010 में अपने परिवार के सात लोगों की हत्या में फांसी की सजायाफ्ता शबनम और सलीम पुनर्विचार, क्यूरेटिव और दया याचिका से पहले ही डेथ वारंट जारी कर दिया गया था।
याकूब का कहना है कि 9 अप्रैल को पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के बाद डेथ वारंट जारी किया गया जबकि क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी। एक दूसरे मामले में याक़ूब की फांसी पर रोक के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने याकूब का डेथ वारंट जारी कर दिया है, जिसके लिए 30 जुलाई का दिन तय किया गया है।
ऐसे में क्यूरेटिव से पहले डेथ वारंट जारी करना गैर-कानूनी है, नियमों और कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके लिए 27 मई 2015 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला दिया गया है।
इसके लिए शबनम जजमेंट का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया कि डेथ वारंट सारे कानूनी उपचार पूरे होने के बाद जारी होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने शबनम और उसके प्रेमी का डेथ वारंट को रद्द किया था। कोर्ट ने दोनों की फांसी को 15 मई को बरकरार रखा था और छह दिनों के भीतर 21 मई को डेथ वारंट जारी हुआ था। 27 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस डेथ वारंट को रद्द कर दिया था।
2010 में अपने परिवार के सात लोगों की हत्या में फांसी की सजायाफ्ता शबनम और सलीम पुनर्विचार, क्यूरेटिव और दया याचिका से पहले ही डेथ वारंट जारी कर दिया गया था।
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