सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही जजों के रिक्त पदों पर नियुक्तियों के साथ सभी 34 पद भर जाएंगे. हाईकोर्ट के दो जजों को पदोन्नति दिए जाने की संभावना है. सरकार के शीर्ष सूत्रों ने एनडीटीवी से इसकी पुष्टि की है. सूत्रों ने कहा कि नियुक्ति के लिए वारंट अगले कुछ दिनों में जारी होने की उम्मीद है. इससे पहले जब रंजन गोगोई भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) थे तब सुप्रीम कोर्ट में जजों के सभी पद भरे हुए थे.
जिन न्यायाधीशों को प्रोन्नति दी जा रही है, उनकी सिफारिश हाल ही में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की थी. जस्टिस राजेश बिंदल इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं और जस्टिस अरविंद कुमार गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं.
सरकार हाईकोर्टों के तीन चीफ जस्टिसों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी कर रही है. सरकार को अभी विभिन्न उच्च न्यायालयों में पांच जजों के रीइंटरेशन पर जवाब देना है और कोलेजियम की सिफारिशों से सहमति है या नहीं, इस पर भी राजनीतिक निर्णय लेना है.
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने खुफिया एजेंसियों के इनपुट के आधार पर सरकार की लगाई गई आपत्तियों का खंडन करते हुए केंद्र को लिखे गए अपने पत्र अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए थे.
एडवोकेट सौरभ किरपाल को दिल्ली हाईकोर्ट, सोमशेखर सुंदरसन को बॉम्बे हाईकोर्ट और आर जॉन सत्यन को मद्रास हाईकोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी.
किरपाल के मामले में न्यायालय ने दोनों कारणों का हवाला देते हुए यह खारिज कर दिया था कि उम्मीदवार खुले तौर पर समलैंगिक है और उसका साथी स्विस नागरिक है. अदालत ने कहा था कि इन आधारों पर उसे खारिज करना स्पष्ट रूप से संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत होगा.
बॉम्बे हाईकोर्ट के सोमशेखर सुंदरेसन की पदोन्नति सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर खारिज कर दी गई थी. सूत्रों ने कहा कि उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर आलोचनात्मक ट्वीट किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ''सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है.''
अदालत ने कहा था, "एक उम्मीदवार द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति उसे एक संवैधानिक पद धारण करने के लिए तब तक अयोग्य नहीं बनाती है जब तक कि जज के पद के लिए प्रस्तावित व्यक्ति मेरिट और सत्यनिष्ठा के आधार पर योग्यता रखने वाला व्यक्ति हो."
मद्रास हाईकोर्ट के वकील आर जॉन साथियान के बारे में भी उनकी सोशल मीडिया पोस्ट पर खुफिया ब्यूरो से एक निगेटिव रिपोर्ट मिली थी. इनमें से एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना वाला लेख था.
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