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This Article is From Feb 14, 2017

ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक हफ्ते में पूरी कर लेंगे सुनवाई, पढ़ें क्या है पूरा मामला

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ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक हफ्ते में पूरी कर लेंगे सुनवाई, पढ़ें क्या है पूरा मामला
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट जल्द करेगा सुनवाई
नई दिल्ली: ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई पूरी करेगा. CJI खेहर ने कहा कि ये एक ऐसा मामला है, जिसमें  मानवाधिकार का मुद्दा भी हो सकता है. यह दूसरे मामलों पर भी असर डाल सकता है. हम इस मामले में कॉमन सिविल कोड पर बहस नहीं कर रहे. कोर्ट मामले में कानूनी पहलू पर फैसला देगा. 16 फरवरी को कोर्ट में मुद्दे तय होंगे और 11 मई से मामले की सुनवाई शुरू होगी. कोर्ट ने कहा- सब पक्षों के वकील तैयार होकर आएं और एक हफ्ते में सुनवाई पूरी करेंगे.

दरअसल, ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में एक और हलफनामा दाखिल कर केंद्र की दलीलों का विरोध किया था. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने हलफनामे में कहा था कि ट्रिपल तलाक को महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन बताने वाले केंद्र सरकार का रुख बेकार की दलील है. पर्सनल लॉ को मूल अधिकार के कसौटी पर चुनौती नहीं दी जा सकती. ट्रिपल तलाक, निकाह हलाला जैसे मुद्दे पर कोर्ट अगर सुनवाई करता है तो ये जूडिशियल लेजिस्लेशन की तरह होगा. केंद्र सरकार ने इस मामले में जो स्टैंड लिया है कि इन मामलों को दोबारा देखा जाना चाहिए ये बेकार का स्टैंड है. पर्सनल लॉ बोर्ड का स्टैंड है कि मामले में दाखिल याचिका खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि याचिकामें जो सवाल उठाए गए हैं वो जूडिशियल रिव्यू के दायरे में नहीं आते. हलफनामें में पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि पर्सनल लॉ को चुनौती नहीं दी जा सकती.

सोशल रिफॉर्म के नाम पर मुस्लिम पर्सनल लॉ को दोबारा नहीं लिखा जा सकता, क्योंकि ये प्रैक्टिस संविधान के अनुच्छेद-25, 26 और 29 के तहत प्रोटेक्टेड है. कॉमन सिविल कोड पर लॉ कमिशन के प्रयास का विरोध करते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि कॉमन सिविल कोड संविधान के डायरेक्टिव प्रिंसिपल का पार्ट है. दरअसल, ट्रिपल तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से एफिडेविट दाखिल कर याचिका का विरोध किया जा चुका है इसके बाद इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दायर किया गया जिसमें कहा गया है कि ट्रिपल तलाक के प्रावधान को संविधान के तहत दिए गए समानता के अधिकार और भेदभाव के खिलाफ अधिकार के संदर्भ में देखा जाना चाहिए. केंद्र ने कहा कि लैंगिक समानता और महिलाओं के मान सम्मान के साथ समझौता नहीं हो सकता. केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत जैसे सेक्युलर देश में महिला को जो संविधान में अधिकार दिया गया है उससे वंचित नहीं किया जा सकता. तमाम मुस्लिम देशों सहित पाकिस्तान के कानून का भी केंद्र ने हवाला दिया जिसमें तलाक के कानून को लेकर रिफॉर्म हुआ है और तलाक से लेकर बहुविवाह को रेग्युलेट करने के लिए कानून बनाया गया है. ट्रिपल तलाक, निकाह हलाला और बहु विवाह के संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से जवाबदाखिल करने को कहा गया था.

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