सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जलीकट्टू (Bull-Taming Sport Jallikattu), कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई फिर से शुरू की. जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सी टी रवि कुमार की 5 जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
पीठ ने सभी पक्षों से एक सप्ताह के भीतर लिखित अभिवेदन का सामूहिक संकलन दाखिल करने के लिए कहा. शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि पशु क्रूरता रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक बड़ी पीठ द्वारा निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि इनमें संविधान की व्याख्या से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हैं.
बता दें कि ‘जल्लीकट्टू' को ‘एरुथाझुवुथल' के रूप में भी जाना जाता है. सांडों को वश में करने वाला यह खेल तमिलनाडु में पोंगल फसल उत्सव अवसर पर खेला जाता है.
एनिमल बोर्ड ऑफ इंडिया बनाम ए नागराजा और अन्य ने 7 SCC 547 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने के लिए संबंधित राज्यों को निर्देश देने के लिए दायर किया गया था. जबकि मामला लंबित था. तभी पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017 पारित किया गया था. तत्पश्चात, उक्त संशोधन अधिनियम को रद्द करने की मांग करने के लिए रिट याचिकाओं को दाखिल किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने तब इस मामले को एक संविधान पीठ को सौंप दिया था कि क्या तमिलनाडु संविधान के अनुच्छेद 29(1) के तहत अपने सांस्कृतिक अधिकार के रूप में जलीकट्टू का संरक्षण कर सकता है, जो नागरिकों के सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देता है.
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस रोहिंटन नरीमन की एक पीठ ने महसूस किया था कि जलीकट्टू के इर्द-गिर्द घूमती रिट याचिका में संविधान की व्याख्या से संबंधित पर्याप्त प्रश्न शामिल हैं और रिट याचिकाओं में उठाए गए सवालों के अलावा इस मामले में पांच सवालों को संविधान पीठ को तय करने के लिए भेजा गया था.
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