फाइल फोटो - गुजरात के पूर्व IPS संजीव भट्ट
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जांच कराने वाली गुजरात के पूर्व IPS संजीव भट्ट की याचिका को आज खारिज कर दिया। अब उनके खिलाफ ट्रायल चलता रहेगा। संजीव भट्ट ने याचिका में अमित शाह की सोराबुद्दीन केस में भूमिका की जांच के अलावा सुप्रीम कोर्ट में उन्हें पार्टी बनाने की मांग की थी। साथ ही अपने खिलाफ दो मामलों की जांच कोर्ट की निगरानी में SIT से कराने की मांग की थी।
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के पूर्व IPS संजीव भट्ट पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता को जांच एजेंसी चुनने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता संजीव भट्ट को राजनीतिक पार्टियों, एक्टिविस्ट और वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप द्वारा मामले के ट्रायल के आखिर में सामने लाया गया। पहले एक एक्टविस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई जबकि संजीव भट्ट विरोधी राजनीतिक पार्टी और वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप से लगातार सलाह ले रहा था। कोर्ट ने आगे कहा, 'भट्ट के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि जब 27 फरवरी 2002 को मीटिंग हुई थी तो वो नौ साल तक चुप क्यों रहा।
न्यायालय ने गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज दो एफआईआर की एसआईटी जांच करवाने की मांग की थी। इस मामले में भट्ट ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कुछ लोगों पर आरोप लगाया है कि वे इन मामलों में जांच को प्रभावित कर रहे है। साथ ही सोराबुद्दीन केस में अमित शाह की भूमिका की जांच कराने की मांग की थी।
सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने कहा था कि एक आरोपी को मामले में जांच का तरीका चुनने का कोई अधिकार नहीं होता है। संजीव भट्ट पर गुजरात के तत्कालीन एडिशनल एडवोकेट जनरल तुषार मेहता के ईमेल अकाउंट को हैक करने का भी आरोप है। यही नहीं, उन पर एक अधीनस्थ पुलिसकर्मी पर अपने हक में फर्जी शपथ-पत्र बनाने के लिए दबाव बनाने का भी आरोप है।
हालांकि, भट्ट का कहना है कि वह निर्दोष हैं और उन पर लगाए गए सारे आरोप गलत हैं। उनका कहना है कि 2002 गुजरात दंगा मामले में उन्होंने राज्य सरकार के मत से अलग जाकर काम किया था, इसलिए उन्हें फंसाया जा रहा है।
गौरतलब है कि भट्ट पहले मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे, लेकिन केंद्र में सरकार बदलने के बाद उन्हें लगता है कि सीबीआई सही जांच नहीं कर सकेगी, इसलिए उन्होंने मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी के गठन को लेकर याचिका दायर की थी।
भट्ट की मांग थी कि कोर्ट इस सुनवाई में अमित शाह को भी शामिल करे। भट्ट ने अपनी याचिका में कहा है गुजरात सरकार के हलफनामे अमित शाह और दूसरे आरोपियों को दिए गए इसलिए उन पर अवमानना का मामला भी चलाया जाना चाहिए।
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के पूर्व IPS संजीव भट्ट पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता को जांच एजेंसी चुनने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता संजीव भट्ट को राजनीतिक पार्टियों, एक्टिविस्ट और वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप द्वारा मामले के ट्रायल के आखिर में सामने लाया गया। पहले एक एक्टविस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई जबकि संजीव भट्ट विरोधी राजनीतिक पार्टी और वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप से लगातार सलाह ले रहा था। कोर्ट ने आगे कहा, 'भट्ट के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि जब 27 फरवरी 2002 को मीटिंग हुई थी तो वो नौ साल तक चुप क्यों रहा।
न्यायालय ने गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज दो एफआईआर की एसआईटी जांच करवाने की मांग की थी। इस मामले में भट्ट ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कुछ लोगों पर आरोप लगाया है कि वे इन मामलों में जांच को प्रभावित कर रहे है। साथ ही सोराबुद्दीन केस में अमित शाह की भूमिका की जांच कराने की मांग की थी।
सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने कहा था कि एक आरोपी को मामले में जांच का तरीका चुनने का कोई अधिकार नहीं होता है। संजीव भट्ट पर गुजरात के तत्कालीन एडिशनल एडवोकेट जनरल तुषार मेहता के ईमेल अकाउंट को हैक करने का भी आरोप है। यही नहीं, उन पर एक अधीनस्थ पुलिसकर्मी पर अपने हक में फर्जी शपथ-पत्र बनाने के लिए दबाव बनाने का भी आरोप है।
हालांकि, भट्ट का कहना है कि वह निर्दोष हैं और उन पर लगाए गए सारे आरोप गलत हैं। उनका कहना है कि 2002 गुजरात दंगा मामले में उन्होंने राज्य सरकार के मत से अलग जाकर काम किया था, इसलिए उन्हें फंसाया जा रहा है।
गौरतलब है कि भट्ट पहले मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे, लेकिन केंद्र में सरकार बदलने के बाद उन्हें लगता है कि सीबीआई सही जांच नहीं कर सकेगी, इसलिए उन्होंने मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी के गठन को लेकर याचिका दायर की थी।
भट्ट की मांग थी कि कोर्ट इस सुनवाई में अमित शाह को भी शामिल करे। भट्ट ने अपनी याचिका में कहा है गुजरात सरकार के हलफनामे अमित शाह और दूसरे आरोपियों को दिए गए इसलिए उन पर अवमानना का मामला भी चलाया जाना चाहिए।
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