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This Article is From Jul 25, 2016

सुप्रीम कोर्ट ने 24 हफ्ते की गर्भवती रेप पीड़ित महिला को दी गर्भपात की इजाजत

सुप्रीम कोर्ट ने 24 हफ्ते की गर्भवती रेप पीड़ित महिला को दी गर्भपात की इजाजत
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
गर्भपात नहीं कराएगी तो जान को खतरा
मंगेतर ने शादी का झांसा देकर बलात्कार किया
20 हफ्ते से ज्यादा हो चुके थे तो डॉ. ने गर्भपात से मना किया
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाते हुए मुंबई की 24 हफ्ते की गर्भवती रेप पीड़ित महिला को गर्भपात की इजाजत दे दी है। कोर्ट का कहना है कि अगर महिला की जान को खतरा है तो 20 हफ्ते बाद भी गर्भपात कराया जा सकता है। कोर्ट ने कानून के दायरे में ही यह फैसला सुनाया है। एक्ट का सेक्शन 3 कहता है कि 20 हफ्ते से ज्यादा होने पर गर्भपात नहीं हो सकता लेकिन सेक्शन 5 कहता है कि अगर महिला की जान को खतरा हो तो कभी भी गर्भपात किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को Life vs Life माना है और कहा है कि महिला की जान को खतरा है इसलिए गर्भपात किया जा सकता है, लेकिन 1971 का कानून सही है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करता रहेगा।

उल्लेखनीय है कि मेडिकल टेर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के मुताबिक 20 हफ़्ते से ज़्यादा गर्भवती महिला का गर्भपात नहीं हो सकता। मुंबई की रेप पीड़ित महिला ने इस एक्ट को अंसवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और गर्भपात कराने की इजाज़त मांगी थी। महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि वह बेहद ही गरीब परिवार से है उसके मंगेतर ने शादी का झांसा देकर उसके साथ बलात्कार किया और उसे धोखा देकर दूसरी लड़की से शादी कर ली, जिसके बाद उसने मंगेतर के खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज किया गया। महिला को जब पता चला वह प्रेग्नेंट है तो उसने कई मेडिकल टेस्ट कराए, जिससे पता चला कि अगर वह गर्भपात नहीं कराती तो उसकी जान जा सकती है।

2 जून 2016 को डॉक्टरों ने उसका गर्भपात करने से इनकार कर दिया क्योंकि उसे गर्भधारण किए 20 हफ्ते से ज़्यादा हो चुके थे। महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि 1971 में जब कानून बना था तो उस समय 20 हफ्ते का नियम सही था, लेकिन अब समय बदल गया है अब 26 हफ़्ते बाद भी गर्भपात हो सकता है।

इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट को मुम्बई के KE मेडिकल अस्पताल ने रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। 22 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से SG रंजीत कुमार ने सुझाव दिया था कि इस मामले में एक मेडिकल बोर्ड का गठन कर देते है जो महिला की जांच कर तय करेगा कि उसका गर्भपात किया जा सकता है या नहीं। इसके लिए AIIMS के डॉक्टर की एक टीम बनाई जाए जो महिला की जाँच करेगी।

लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि महिला मुंबई है और वह दिल्ली आने में सक्षम नहीं है। ऐसे में मुंबई में ही उसकी जांच हो। तब महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा था कि मुम्बई के KE मेडिकल अस्पताल में जांच हो सकती है, जिसके बाद कोर्ट ने रिपोर्ट दाखिल की थी।

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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